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बेल्जियम के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों, सेमिनरी छात्रों एवं प्रचारकों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस बेल्जियम के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों, सेमिनरी छात्रों एवं प्रचारकों से मुलाकात करते संत पापा फ्रांँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

बेल्जियम के याजकों से पोप : आपकी प्रेरिताई आनन्द और करूणा से पूर्ण हो

संत पापा फ्राँसिस ने बेल्जियम में कलीसिया के प्रेरितिक से जुड़े सभी लोगों से मुलाकात की तथा उनसे आग्रह किया कि वे कष्टदायक अनुभवों के बावजूद भी आनन्द और दया के सुसमाचारी मूल्यों को अपनाएँ।

बेल्जियम, शनिवार, 28 सितंबर 2024 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने लक्समबर्ग एवं बेल्जियम की अपनी प्रेरितिक यात्रा में शनिवार को बेल्जियम के धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसमाजियों, सेमिनरी छात्रों एवं प्रेरिताई कार्यों से जुड़े भाई-बहनों से ब्रसेल्स के कोकेलबर्ग पवित्र हृदय महागिरजाघर में मुलाकात की।

संत पापा ने उन्होंने सम्बोधित कर कहा, “बेल्जियम एक चौराहा है, और आप एक “यात्री” कलीसिया है। वास्तव में, कुछ समय से आप इस क्षेत्र में पल्लियों की उपस्थिति में बदलाव लाने और लोकधर्मियों के गठन को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। सबसे बढ़कर, आप एक ऐसा समुदाय बनने का प्रयास कर रहे हैं जो लोगों के करीब हो, और जो उनके साथ हो, दया के कार्यों के माध्यम से गवाही देता हो।“

संत पापा ने गवाहों के प्रश्नों के आधार पर तीन शब्दों पर चिंतन किया – सुसमाचार प्रचार, आनन्द और करुणा।

पहला रास्ता है सुसमाचार प्रचार का

संत पापा ने कहा, “हमारे समय में आए बदलावों और पश्चिम में हम विश्वास के जिस संकट का सामना कर रहे हैं, उसने हमें उस चीज़ की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया है जो ज़रूरी है, यानी सुसमाचार प्रचार। येसु ने जो खुशखबरी दुनिया में लाई थी, उसे एक बार फिर सभी को सुनाया जाना है और उसे अपनी पूरी खूबसूरती के साथ चमकने देना है।”

यह वर्तमान संकट, हर संकट की तरह, हमें झकझोरने, हमें सवाल करने और बदलाव लाने का समय है। यह एक मूल्यवान अवसर है, जिसे बाइबिल की भाषा में कैरोस कहा जाता है, खुद को नींद से जगाने और पवित्र आत्मा के तरीकों को फिर से खोजने के लिए, जैसा कि अब्राहम, मूसा और भविष्यवक्ताओं के साथ हुआ था।

वास्तव में, जब हम वीरानी का अनुभव करते हैं, तो हमें हमेशा खुद से पूछना चाहिए कि प्रभु हमें क्या संदेश देना चाहते हैं। और यह संकट हमें क्या दिखाता है? यह दर्शाता है कि हम एक स्वागत योग्य सामाजिक ढांचे के भीतर स्थित ख्रीस्तीय धर्म से, एक “अल्पसंख्यक” ख्रीस्तीय धर्म की ओर चले गये हैं, एक गवाह ख्रीस्तीय धर्म से दूर चले गये हैं।

इसके लिए कलीसिया में बदलाव करने का साहस चाहिए, ताकि उन प्रेरितिक परिवर्तनों को संभव बनाया जा सके जो हमारे काम करने के अभ्यस्त तरीकों और जिस भाषा में हम अपने विश्वास को व्यक्त करते हैं, उससे संबंधित हैं, ताकि वे वास्तव में सुसमाचार प्रचार की ओर उन्मुख हों। (प्रेरितिक प्रबोधन एवंजेली गौदियुम, 27)

संत पापा ने पहले साक्षी हेल्मुट के सवाल पर कहा, पुरोहितों को भी इस साहस की आवश्यकता है ताकि वे ऐसे पुरोहित बन बनें जो न केवल अतीत की विरासत को सुरक्षित या प्रबंधित करते, बल्कि जो येसु ख्रीस्त से प्रेम करते और जो ईश्वर की पवित्र प्रजा के साथ चलते समय सुसमाचार की अंतर्निहित मांगों का जवाब देने के प्रति सजग हैं।

ऐसा करते हुए, वे कभी-कभी अपने लोगों से आगे होते हैं, कभी उनके बीच में और कभी-कभी उनसे पीछे। संत पापा ने दूसरे साक्षी यानिन्का के साक्ष्य की याद करते हुए कहा, “जब हम सुसमाचार साझा करते हैं तो प्रभु हमारे दिलों को उन लोगों से मिलने के लिए खोलते हैं जो हमसे अलग हैं। यह अच्छा है, वास्तव में आवश्यक है, कि युवा लोगों के बीच अलग-अलग सपने और आध्यात्मिकताएँ हैं। आपने बहुत सुंदर बात कही: "सभी रास्ते पर हैं, लेकिन अलग-अलग रास्तों पर।"

ऐसा होना ही चाहिए, क्योंकि कई व्यक्तिगत या सामुदायिक रास्ते हो सकते हैं, फिर भी हमें एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ना है, जो प्रभु से मिलने के लिए ले जाते हैं। कलीसिया में सभी के लिए जगह है और किसी को भी किसी दूसरे की नकल नहीं करनी चाहिए। कलीसिया में एकता का अर्थ, एकरूपता नहीं है, बल्कि विविधता के भीतर सामंजस्य स्थापित करना है!

तीसरे साक्षी अरनॉड से संत पापा ने कहा, सिनॉडल प्रक्रिया (एक साथ चलने) में सुसमाचार की ओर लौटना शामिल होना चाहिए। यह “फैशनेबल” सुधारों को प्राथमिकता देने के बारे में नहीं है, बल्कि यह पूछना है कि हम सुसमाचार को ऐसे समाज तक कैसे पहुँचा सकते हैं जो अब सुन नहीं रहा है या जिसने खुद को विश्वास से दूर कर लिया है? आइए, हम सभी खुद से यह सवाल पूछें।

आनंद का मार्ग

संत पापा ने कहा, “हम यहाँ क्षणिक आनंद के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, न ही पलायनवाद या उपभोक्तावादी मनोरंजन के तरीकों में लिप्त होने के बारे में। हम एक ऐसे महान आनंद के बारे में बात कर रहे हैं जो हमारे जीवन का साथ देता है और हमें सहारा देता है, यहाँ तक कि अंधेरे या दर्दनाक क्षणों में भी। यह एक वरदान है जो ऊपर से, ईश्वर की ओर से आता है।

यह सुसमाचार द्वारा प्रज्वलित हृदयों की खुशी है। यह जानना है कि हम अपनी यात्रा में अकेले नहीं हैं और गरीबी, पाप और दुःख की स्थितियों में भी, ईश्वर हमारे निकट है। वे हमारी परवाह करते हैं और मृत्यु को अंतिम शब्द नहीं बनने देंगे।

पोप बनने से बहुत पहले, जोसेफ रत्ज़िंगर ने लिखा था कि आत्मपरख का एक विशेष नियम है, "जहाँ आनंद की कमी होती है, और हास्य मर जाता है, वहाँ पवित्र आत्मा भी नहीं रहता [...] और इसके विपरीत: आनंद अनुग्रह का चिन्ह है" (द गॉड ऑफ जीसस क्राइस्ट, ब्रेशिया 1978, 129)।

इसलिए, संत पापा ने कहा, “अपने उपदेश, अपने उत्सव, अपनी सेवा और प्रेरिताई से अपने दिलों में खुशी बिखेरें, क्योंकि इससे जो लोग दूर हैं वे भी आपकी ओर आकर्षित होंगे।” मैं सिस्टर एग्नेस को धन्यवाद देना चाहूँगा और उनसे कहना चाहूँगा: खुशी ही रास्ता है। जब निष्ठा कठिन लगती है, तो हमें दिखाना चाहिए, जैसा कि आपने कहा, कि यह "खुशी का रास्ता" है। फिर, इस बात पर ध्यान केंद्रित करके कि सड़क कहाँ ले जाती है, हम यात्रा शुरू करने के लिए अधिक इच्छुक होंगे।

करुणा का रास्ता

संत पापा ने कहा, “सुसमाचार को अपनाया और साझा किया जाना, ग्रहण किया जाना और दिया जाना चाहिए, जो  हमें आनन्द की ओर ले जाता है क्योंकि यह हमें यह ज्ञात कराता है कि ईश्वर दया के पिता हैं, जो हमारे प्रति करुणा से प्रेरित होते हैं, जब हम गिरते हैं तो वे हमें उठाते हैं और वे हमसे अपना प्रेम कभी वापस नहीं लेते हैं।

हमारे दिलों में यह बात बैठ जानी चाहिए कि ईश्वर हमसे अपना प्रेम कभी नहीं हटाते। "तब भी नहीं जब हम गंभीर गलती कर देते हैं?" ईश्वर कभी भी आपसे अपना प्रेम नहीं हटाते। यह कभी-कभी "अन्यायपूर्ण" लग सकता है, जब हम बुराई के अनुभव का सामना करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम केवल सांसारिक न्याय लागू करते हैं जो कहता है, "कि जो गलती करता है उसे भुगतना होगा"। फिर भी ईश्वर का न्याय महान है: वे गलत करनेवालों को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए बुलाते हैं।

उन्हें अपने दिलों को ठीक करने के लिए ईश्वर के दयालु प्रेम की आवश्यकता है। ईश्वर की दया हमें न्यायसंगत ठहराती है; हमें एक नया दिल, एक नया जीवन देकर धर्मी बनाती है। यही कारण है कि संत पापा ने मिया से कहा : क्रोध और दर्द को मदद, निकटता और करुणा में बदलने हेतु आपके द्वारा किए गए महान प्रयास के लिए धन्यवाद। दुर्व्यवहार से भयानक पीड़ा और घाव उत्पन्न होते हैं, जो विश्वास के मार्ग को भी कमजोर करते हैं। और पीड़ितों की पीड़ा के आगे हमारे दिलों को कठोर होने से रोकने के लिए बहुत अधिक दया की आवश्यकता है, ताकि हम उन्हें अपनी निकटता महसूस करने में मदद कर सकें और अपनी पूरी मदद दे सकें। हमें उनसे सीखना चाहिए, जैसा कि आपने कहा, किसी को भी कमतर आंके बिना सभी की सेवा करनेवाली कलीसिया बनना है। वास्तव में, हिंसा की जड़ों में से एक शक्ति के दुरुपयोग से उपजी है जब हम दूसरों को कुचलने या हेरफेर करने के लिए अपने पदों का उपयोग करते हैं।

फादर पीटर की सेवा के बारे में सोचते हुए, संत पापा ने कहा कि कैदियों के लिए दया एक महत्वपूर्ण शब्द है। येसु हमें दिखाते हैं कि ईश्वर हमारे घावों और अशुद्धियों से खुद को दूर नहीं करते। वे जानता है कि हम सभी गलतियाँ कर सकते हैं, लेकिन कोई भी गलती नहीं है। कोई भी हमेशा के लिए खो नहीं जाता है। सांसारिक न्याय और संबंधित मानवीय, मनोवैज्ञानिक और आपराधिक प्रक्रियाओं के सभी मार्गों का अनुसरण करना निश्चित रूप से सही है; लेकिन सजा एक औषधि होनी चाहिए; उपचार की ओर लेनेवाली होनी चाहिए। लोगों को अपने पैरों पर वापस खड़े होने और जीवन एवं समाज में अपना रास्ता खोजने में मदद की जानी चाहिए। आइए हम याद रखें: हम सभी गलतियाँ कर सकते हैं, लेकिन कोई भी अपने आप में गलती नहीं है, कोई भी हमेशा के लिए खो नहीं जाता है। दया, हमेशा दया का स्थान होना चाहिए।

संत पापा ने रेने मग्रीते के कार्य विश्व के कार्य की याद करते हुए कहा कि इसमें एक बंद दरवाज़े को कमरे के अंदर से देखा गया है, एक दरवाज़ा जिसे तोड़ दिया गया है, जिससे खुला आसमान दिखाई देता है। यह छवि हमें परे जाने, अपनी निगाह आगे और ऊपर की ओर लगाने और कभी भी खुद को बंद न करने के लिए आमंत्रित करती है। संत पापा ने कहा, यह एक ऐसी कलीसिया है जो सुसमाचार का प्रचार करती है, जो सुसमाचार के आनन्द को जीती है और दया का अभ्यास करती है।

आप सभी पवित्र आत्मा के साथ मिलकर चलें, ताकि आप ऐसी कलीसिया बन सकें। पवित्र आत्मा के बिना, ख्रीस्तीय धर्म में कुछ भी नहीं हो सकता। कुँवारी मरियम, हमारी माँ, हमें यही सिखाती है। वे आपकी रक्षा करें और आपका मार्गदर्शन करें। मैं आप सभी को अपने दिल से आशीर्वाद देता हूँ। और, कृपया, मेरे लिए प्रार्थना करना न भूलें। धन्यवाद!

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28 September 2024, 15:10