संत पापा लोकप्रिय आंदोलनों से: ‘सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए संघर्ष करें'
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 21 सितंबर 2924 : संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को “अमानवीयकरण के खिलाफ झंडा फहराना” कार्यक्रम के लिए समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए गठित विभाग के मुख्यालय का दौरा किया।
2014 में रोम में संत पापा के साथ आयोजित पहली विश्व लोकप्रिय आंदोलनों की बैठक (डब्ल्यूएमपीएम) की दसवीं वर्षगांठ मनाने के लिए लोकप्रिय आंदोलनों के प्रतिनिधि उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
यह “बैठक”, पाँच महाद्वीपों के जमीनी संगठनों के बीच भाईचारे की एक स्थान है, जो आवास, भूमि और कार्य के समर्थन में मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देता है, जिसका उद्देश्य हमारे आम घर में सामाजिक न्याय और शांति के पक्ष में आज की चुनौतियों का समाधान करने के लिए 2014 से अब तक की यात्रा पर संवाद और चिंतन करना है।
जब संत पापा पहुंचे, तो वे प्रतिभागियों के बीच बैठे और उनकी चर्चा सुनी कि "कोई भी परिवार बिना घर के न रहे, कोई भी किसान बिना जमीन के न रहे, कोई भी श्रमिक बिना अधिकारों के न रहे, और कोई भी व्यक्ति काम से मिलने वाली गरिमा के बिना न रहे।" यह डब्ल्यूएमपीएम का आदर्श वाक्य है।
भाईचारे को बढ़ावा देना
संत पापा ने स्पानी भाषा में एक लंबा भाषण दिया, जिसमें उन्होंने सामाजिक न्याय पर बात की, सबसे कमजोर लोगों - बुजुर्गों, बच्चों और गरीबों - की देखभाल करने का आह्वान किया और "करुणा" के मूल्य पर जोर दिया, जिसका अर्थ है दूसरों के साथ "पीड़ा सहना", उनके साथ खड़ा होना और बेजुबानों की आवाज बनना।
उन्होंने धनी लोगों से अपने संसाधनों को साझा करने का आह्वान किया, उन्हें याद दिलाते हुए कहा: "धन साझा करने, भाईचारा बनाने और बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।"
"धन साझा करने, भाईचारा बनाने और बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।"
संत पापा ने इस बात पर जोर दिया कि “प्रेम के बिना हम कुछ भी नहीं हैं” और सभी रिश्ते इसी प्रेम पर आधारित होने चाहिए, क्योंकि न्याय को हिंसा के बिना प्राप्त किया जाना चाहिए, जैसा कि सुसमाचार में विधवा के उदाहरण से स्पष्ट होता है।
धनी लोगों का लालच
संत पापा फ्राँसिस ने अपने विश्वपत्र ‘इवांजेली गौडियुम के एक केंद्रीय विषय पर प्रकाश डाला: बाजारों और वित्तीय सट्टेबाजी की पूर्ण स्वायत्तता को अस्वीकार करके गरीबों की समस्याओं को दूर करने की आवश्यकता। उन्होंने बताया कि "हम सभी गरीबों पर निर्भर हैं, यहाँ तक कि अमीर भी।"
संत पापा ने स्वीकार किया कि कुछ लोग मध्यम वर्ग की तुलना में गरीबों के बारे में अधिक बोलने के लिए उनकी आलोचना करते हैं, लेकिन उन्होंने फिर से पुष्टि की कि सुसमाचार गरीबों को केंद्र में रखता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भूमि, आवास और उचित मजदूरी तक पहुँच सुनिश्चित करने वाली न्यायपूर्ण नीतियाँ नहीं हैं, तो "भौतिक और मानव अपशिष्ट का तर्क फैल जाएगा, जिससे हिंसा और विनाश का मार्ग प्रशस्त होगा।"
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, अक्सर सबसे धनी लोग ही महज लालच के कारण सामाजिक न्याय या समग्र पारिस्थितिकी की प्राप्ति का विरोध करते हैं।"
यह लालच अक्सर विचारधारा के आवरण में छिपा रहता है, लेकिन संत पापा के अनुसार, यही लोभ है जो सरकारों पर हानिकारक नीतियों का समर्थन करने के लिए दबाव डालता है।
संसाधनों को साझा करना
संत पापा ने आशा व्यक्त की कि आर्थिक रूप से शक्तिशाली व्यक्ति अलगाव से बाहर आएंगे, “पैसे की झूठी सुरक्षा को अस्वीकार करेंगे और वस्तुओं को साझा करेंगे,” जिसे उन्होंने एक सार्वभौमिक नियति के रूप में वर्णित किया, जो सृष्टि से ही उत्पन्न होती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धन को “भिक्षा के रूप में नहीं” बल्कि “भाईचारे के साथ” साझा किया जाना चाहिए। उन्होंने लोकप्रिय आंदोलनों से इस बदलाव की मांग करने का आग्रह किया, यह देखते हुए कि “वास्तविकता का विकृत दृष्टिकोण” धन के संचय को एक गुण के रूप में बढ़ाता है, जबकि वास्तव में, यह एक बुराई है।
"संचय पुण्य नहीं है। वितरण पुण्य है।” धरती पर नहीं बल्कि स्वर्ग में खजाना जमा करने की मसीह की शिक्षाओं का हवाला देते हुए संत पापा ने याद दिलाया कि येसु ने संचय नहीं किया; उन्होंने गुणा किया।"
बहिष्कृत लोगों की पुकार
संत पापा ने धन के लिए अनियंत्रित प्रतिस्पर्धा की निंदा करते हुए इसे "एक विनाशकारी शक्ति” कहा जो विनाश की ओर ले जाती है। संत पापा ने इसे "गैर-जिम्मेदार, अनैतिक और तर्कहीन" कहा। उन्होंने कहा कि यह लालच मानवता को विभाजित करता है और सृष्टि को नष्ट करता है। उन्होंने नेताओं से "बहिष्कृत लोगों की पुकार" पर ध्यान देने का आग्रह किया, जिसमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को लागू करने के लिए जिम्मेदार राजनीतिक नेताओं की अंतरात्मा को जगाने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि ये अधिकार, अधिकांश देशों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, फिर भी वे सामाजिक-आर्थिक वास्तविकता में अधूरे हैं।
करुणा
संत पापा ने स्पष्ट किया कि न्याय के साथ करुणा भी होनी चाहिए, जिसका अर्थ है "दूसरों के साथ दुख सहना, उनकी भावनाओं को साझा करना।" करुणा का अर्थ विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति से दान देना नहीं है, बल्कि दूसरों के साथ सहानुभूति और एकजुटता के साथ व्यवहार करना है।
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "सच्ची करुणा एकता और दुनिया की सुंदरता का निर्माण करती है।"
किसी का तिरस्कार नहीं किया जाना चाहिए
उन्होंने "विजेताओं की संस्कृति" की भी निंदा की, जो "बर्बाद करने की संस्कृति" का एक पहलू है। यह प्रथा, जो अक्सर लोगों या प्रकृति का शोषण करने, या वित्तीय सट्टेबाजी, कर चोरी, या संगठित अपराध से लाभ उठाने पर आधारित होती है, कुछ लोगों को तथाकथित "हारे हुए लोगों" से अहंकारपूर्वक घृणा करने के लिए प्रेरित करती है।
संत पापा ने चेतावनी दी कि "उदासीनता या अवमानना के साथ दूसरों को देखने" का यह रवैया हिंसा को बढ़ावा देता है।
उन्होंने जोर देकर कहा, "अन्याय के सामने चुप्पी सामाजिक विभाजन का रास्ता खोलती है, सामाजिक विभाजन मौखिक हिंसा का रास्ता खोलती है, मौखिक हिंसा शारीरिक हिंसा का रास्ता खोलती है, और शारीरिक हिंसा युद्ध का रास्ता खोलती है।"
प्रेम का आह्वान
संत पापा फ्राँसिस ने जीवन के हर पहलू में प्रेम की आवश्यकता की पुष्टि की। उन्होंने दिली, तिमोर-लेस्ते में विकलांग बच्चों के एक स्कूल में अपनी हाल की यात्रा का हवाला देते हुए कहा, "प्रेम के बिना, इनमें से कोई भी बात समझ में नहीं आएगी।"
उन्होंने लोकप्रिय आंदोलनों को याद दिलाया कि "सामाजिक न्याय और अभिन्न पारिस्थितिकी को केवल प्रेम के माध्यम से ही समझा जा सकता है।"
सामाजिक डार्विनवाद
संत पापा ने चेतावनी दी कि स्वार्थ और व्यक्तिवाद की खोज "सामाजिक डार्विनवाद" के एक रूप की ओर ले जाती है, जहाँ सबसे मजबूत का कानून उदासीनता और क्रूरता को उचित ठहराता है।
उन्होंने इसे दुष्ट की ओर से आने वाला बताया और लोकप्रिय आंदोलनों को सांस्कृतिक स्मृति या पहचान को मिटाने के किसी भी प्रयास का विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसका प्रतीक "मगरमच्छों" का संदर्भ है जो समुदायों के मूल्यों को निगलना चाहते हैं।
संगठित अपराध का नाटक
संत पापा फ्राँसिस ने संगठित अपराध के उदय के बारे में चिंता व्यक्त की, जो गरीबी और बहिष्कार पर पनपता है। उन्होंने लोकप्रिय अर्थव्यवस्था के माध्यम से आपराधिक अर्थव्यवस्था के खिलाफ निरंतर लड़ाई का आह्वान किया, इस बात पर जोर देते हुए कि कोई भी बच्चा या व्यक्ति “मौत के व्यापारियों” के हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए।
सार्वभौमिक बुनियादी आय
संत पापा फ्राँसिस ने स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में यह सुनिश्चित करने के लिए सार्वभौमिक बुनियादी आय के लिए अपने आह्वान को दोहराया कि कोई भी व्यक्ति बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित न रहे। उन्होंने जोर दिया कि यह केवल “करुणा” नहीं बल्कि “सख्त न्याय” है।
अंत में, संत पापा ने भावी पीढ़ियों के लिए अपनी व्यक्तिगत आशा व्यक्त की: “मैं कामना करता हूँ कि नई पीढ़ियों को हमारे द्वारा प्राप्त की गई दुनिया से कहीं बेहतर दुनिया मिले।”
और उन्होंने आशा के संदेश के साथ अपना संदेश समाप्त किया: “आशा सबसे कमजोर गुण है, लेकिन यह कभी निराश नहीं करती।”
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here