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इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और सिंगापुर में येसु संघियों के साथ पोप फ्राँसिस की मुलाकात इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और सिंगापुर में येसु संघियों के साथ पोप फ्राँसिस की मुलाकात 

पोप: आंग सान सू की को रिहा करें; वाटिकन उनका स्वागत करने के लिए तैयार है

जेसुइट पत्रिका "ला चिविल्ता कत्तोलिका" इंडोनेशिया, पूर्वी तिमोर और सिंगापुर में येसु संघियों के साथ पोप फ्राँसिस की व्यक्तिगत मुलाकातों का विवरण प्रकाशित करती है।

वाटिकन न्यूज

"मैंने श्रीमती आंग सान सू की की रिहाई की मांग की और रोम में उनके बेटे का स्वागत किया। मैंने उनके लिए वाटिकन को शरणस्थल के रूप में पेश किया।"

पोप फ्राँसिस ने इस महीने की शुरुआत में दक्षिण-पूर्व एशिया और ओशिनिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के आरंभ में जकार्ता की यात्रा के दौरान येसु संघियों के साथ मुलाकात करते हुए, मानवाधिकारों के प्रवर्तक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, अपदस्थ बर्मी नेता के लिए यह अपील की।

सैन्य तख्तापलट के बाद 2021 से जेल में बंद आंग सान सू की की दुर्दशा, और सामान्य रूप से म्यांमार के घाव, जो हमेशा उनके विचारों और प्रार्थनाओं के केंद्र में रही हैं, उन्हीं विषयों में से थे जिन्हें पोप फ्रांसिस ने इंडोनेशिया, तिमोर-लेस्ते और सिंगापुर में येसुसंघियों के साथ बातचीत में संबोधित किया।

पोप ने दक्षिण-पूर्व एशिया और ओशिनिया की 2-13 सितंबर की अपनी लंबी प्रेरितिक यात्रा के हिस्से के रूप में तीन अलग-अलग अवसरों पर अपने भाइयों से व्यक्तिगत मुलाकातें कीं। जैसा कि हर प्रेरितिक यात्रा की 'परंपरा' है, सोसाइटी ऑफ जीसस की ऐतिहासिक पत्रिका ला सिविल्ता कत्तोलिका ने 24 सितंबर को संस्कृति और शिक्षा विभाग के अवर सचिव और मुलाकात करनेवालों में से एक फादर एंटोनियो स्पादारो के एक लेख में पोप की बातचीत के पर्याप्त अंश प्रकाशित की है।

अनेक विषय

पोप फ्राँसिस ने अपने दौरे वाले क्षेत्रों और पड़ोसी क्षेत्रों के येसु संघियों के साथ अनेक विषयों पर चर्चा की, जो या तो उन्हीं देशों से थे या उन स्थानों पर दशकों से मिशन में हैं।

वार्ता में व्यक्तिगत साक्ष्य, विशेष रूप से एशिया में पुरोहितों की सेवा और मिशन के लिए सुझाव और संकेत; एवं वर्तमान घटनाओं, जैसे कि म्यांमार में पिछले तीन वर्षों से चल रही दुखद स्थिति को स्थान दिया गया।

रोहिंग्या और आंग सान सू की के लिए विचार

एक बर्मी जेसुइट के सवाल : "हमने जीवन, परिवार, सपने और भविष्य खो दिया है... हम आशा कैसे न खोएं?" के जवाब में पोप फ्रांसिस ने स्वीकार किया कि स्थिति "कठिन" है।

पोप फ्राँसिस के विचार तुरंत रोहिंग्या की ओर मुड़ गए, मुस्लिम अल्पसंख्यक जिनके साथ भेदभाव किया जाता है और जो अक्सर उत्पीड़न के शिकार होते हैं: "आप जानते हैं कि रोहिंग्या मेरे दिल के करीब हैं," पोप ने कहा।

उन्होंने दिसंबर 2017 में म्यांमार और बांग्लादेश की अपनी यात्रा के दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री और बाद में जेल में बंद आंग सान सू की के साथ बातचीत और रोहिंग्या के साथ मुलाकात को याद किया, जिन्हें "बाहर निकाल दिया गया था।" उन्होंने युवा येसु संघियों से कहा: "आपके प्रश्न का कोई सार्वभौमिक उत्तर नहीं है। अच्छे युवा अपनी मातृभूमि के लिए लड़ रहे हैं। म्यांमार में आज आप चुप नहीं रह सकते; आपको कुछ करना होगा!"

पोप फ्राँसिस ने समझाया, "आपके देश का भविष्य शांति होना चाहिए, जो सभी की गरिमा और अधिकारों के सम्मान पर आधारित हो, एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के सम्मान पर आधारित हो जो प्रत्येक व्यक्ति को आम भलाई में योगदान करने की अनुमति दे।" आंग सान सू की की रिहाई के लिए अपनी नई अपील के बाद, पोप ने कहा, "अभी, महिला एक प्रतीक है और राजनीतिक प्रतीकों का बचाव किया जाना चाहिए। क्या आपको वह धर्मबहन याद है जो सेना के सामने अपने हाथ ऊपर करके घुटने टेक रही थी? उसकी छवि दुनिया भर में फैल गई। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप युवा लोग भी ऐसे ही बहादुर बनें। आपके देश की कलीसिया साहसी है।"

न्याय का आदर्श

पोप प्लाजा डे मेयो की अर्जेंटीना की माताओं के संदर्भ में साहस की बात भी करते हैं, जिन्होंने दशकों तक अपने बच्चों और नाती-नातिनों के बारे में न्याय और सच्चाई के लिए संघर्ष किया और विरोध किया, जो सैन्य तानाशाही के दौरान गायब हो गए थे।

इस समूह ने इंडोनेशिया में कामिसन के लिए प्रेरणा प्रदान की, जो एक शांतिपूर्ण आंदोलन है जो हर गुरुवार को 1998 के सेमांगी - "राष्ट्रीय त्रासदी" के दौरान जकार्ता को हिला देनेवाली व्यापक हिंसा के बारे में स्पष्टीकरण मांगने के लिए प्रदर्शन और अहिंसक विरोध प्रदर्शन आयोजित करता है - जब दर्जनों महिलाओं को गुस्साई भीड़ ने निशाना बनाया था, जिसके परिणामस्वरूप लोगों और संपत्ति के खिलाफ व्यापक हिंसा हुई थी।

जकार्ता में संगोष्ठी में उपस्थित जेसुइट्स पुरोहित, जो मानवाधिकार उल्लंघनों के पीड़ितों के परिवारों के पास जाते और पोप को सेमांगी त्रासदी के पीड़ितों में से एक की माँ सुश्री मारिया कैटरीना सुमारसिह द्वारा लिखी एक चिट्टी दी, बताया, "वह अर्जेंटीना में प्लाजा डे मेयो की माताओं से प्रेरित होकर कामिसन की शुरुआत करने वालों में से एक है। यह समूह सरकार से पिछले मानवाधिकार उल्लंघनों का खुलासा करने और पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय प्रदान करने का आह्वान करता है," और पूछा, "आप हमें क्या सलाह दे सकते हैं?"

पोप ने प्लाजा डे माजो मदर्स की अध्यक्ष हेबे डे बोनाफिनी के साथ अपनी मुलाकात को याद किया, जिनकी 2022 में मृत्यु हो गई। "मैं भावुक हो गया और उनसे बात करके मुझे बहुत राहत मिली। उन्होंने मुझे उन लोगों को आवाज़ देने का जुनून दिया जिनके पास आवाज़ नहीं है। यह हमारा काम है: उन लोगों को आवाज़ देना जिनके पास कोई आवाज़ नहीं है।" उन्होंने दोहराया, "याद रखें: यह हमारा काम है। अर्जेंटीना की तानाशाही के तहत स्थिति बहुत कठिन थी, और ये महिलाएँ, ये माताएँ, न्याय के लिए लड़ रही थीं। हमेशा न्याय के आदर्श को बढ़ावा दें!"

याजकवाद का अभिशाप

सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के अलावा, पोप फ्राँसिस हमेशा अपने मेहमानों के सवालों के जवाब में कलीसिया के मुद्दों पर भी बात करते थे।

इनमें याजकवाद के बारे में सवाल शामिल थे, जिसे पोप ने हमेशा "प्लेग" के रूप में कलंकित कहा है।

तिमोर-लेस्ते में दिली के एक जेसुइट के जवाब में, पोप फ्रांसिस ने दोहराया कि याजकवाद हर जगह है। "उदाहरण के लिए," उन्होंने कहा, "वाटिकन में एक मजबूत याजक संस्कृति है, जिसे हम धीरे-धीरे बदलने की कोशिश कर रहे हैं। याजकवाद शैतान द्वारा इस्तेमाल किए जानेवाले सबसे सूक्ष्म साधनों में से एक है।"

पोप ने इसके बाद फ्रांसीसी जेसुइट हेनरी डी लुबैक का हवाला दिया, जिन्होंने अपनी पुस्तक मेडिटेशन ऑन द चर्च में याजकवाद को "आध्यात्मिक सांसारिकता" के रूप में वर्णित किया - जिसे उन्होंने "कलीसिया के लिए सबसे बुरी चीज" के रूप में वर्णित किया, पोप फ्रांसिस के अनुसार, "उपपत्नी के साथ पोप के समय से भी बदतर।" याजकवाद, उन्होंने आगे कहा, "पुरोहितों के भीतर सांसारिकता का उच्चतम रूप है। याजकवाद की संस्कृति एक सांसारिक संस्कृति है।" प्रार्थना के साथ आराम करें पोप फ्रांसिस ने एशिया में धार्मिक मिशन के लिए भी सलाह दी, क्योंकि उन्होंने फादर पेद्रो अरूपे और मात्तेओ रिच्ची जैसे सोसाइटी ऑफ जीसस के महान व्यक्तियों को याद किया।

विशेष रूप से, पोप फ्रांसिस ने प्रार्थना के साथ सेवा करने पर जोर दिया, जो एक मूलभूत आवश्यकता है।

एक जेसुइट के सवाल का जवाब देते हुए कि वे अपने व्यस्त दिनों के बीच प्रार्थना कैसे कर पाते हैं, पोप फ्रांसिस ने कहा, "मुझे इसकी ज़रूरत है, आप जानते हैं। मुझे वास्तव में इसकी ज़रूरत है! मैं जल्दी उठता हूँ, क्योंकि मैं बूढ़ा हो गया हूँ। आराम करने के बाद, जो मेरे लिए अच्छा है, मैं लगभग 4 बजे उठता हूँ, फिर 5 बजे मैं प्रार्थना शुरू करता हूँ: मैं प्रातः वंदना की प्रार्थना करता हूँ और प्रभु से बात करता हूँ। अगर प्रार्थना थोड़ी उबाऊ है, तो मैं रोज़री प्रार्थना करता हूँ। फिर मैं मुलाकातों के लिए महल में जाता हूँ। फिर मैं दोपहर का भोजन करता हूँ और थोड़ी देर आराम करता हूँ। कभी-कभी मैं प्रभु के सामने मौन प्रार्थना करता हूँ। मैं प्रार्थना करता हूँ, मैं पवित्र मिस्सा निश्चित रूप से करता हूँ।"

पोप फ्रांसिस ने आगे कहा, "शाम को मैं कुछ और प्रार्थना करता हूँ। प्रार्थना के लिए आध्यात्मिक पठन करना बहुत ज़रूरी है: हमें अच्छे पठन के साथ अपनी आध्यात्मिकता को बढ़ाना है। मैं इस तरह से प्रार्थना करता हूँ, सरलता से। यह सरल है, आप जानते हैं। कभी-कभी मैं प्रार्थना करते-करते सो जाता हूँ। और ऐसा होने पर, यह कोई समस्या नहीं है। मेरे लिए यह एक संकेत है कि मैं प्रभु के साथ ठीक हूँ! मैं प्रार्थना करके आराम करता हूँ।"

और अंत में संत पापा ने कहा, "प्रार्थना करना कभी मत छोड़ो!"

 

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24 September 2024, 17:06