दमिश्क के शहीदों को संत घोषित किया जाना 'ख्रीस्तीयों के लिए आशा का संकेत'
वाटिकन न्यूज
9 जुलाई, 1860 की रात को, ग्यारह लोगों - आठ फ्राँसिस्कन फ्रायर और तीन लोकधर्मी मारोनाइट, जिन्हें सामूहिक रूप से दमिश्क के ग्यारह शहीदों के रूप में जाना जाता है - की हत्या कर दी गई थी, और 1926 में पोप पीयुस 11वें ने उन्हें धन्य घोषित किया था। उनकी मृत्यु के 160 से अधिक वर्षों के बाद, पोप फ्राँसिस 20 अक्टूबर को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में समारोही ख्रीस्तयाग के दौरान उन्हें संत घोषित करेंगे।
वाटिकन न्यूज़ के साथ एक साक्षात्कार में, पवित्र भूमि के संरक्षक, फ्रांसिस्कन फादर लूक ग्रेगरी ने मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष के बीच उनके संत घोषित होने को आशा का चिन्ह बताया।
शहादत: ख्रीस्तीय एकता का संदेश
उन्होंने जो शहादत झेली, वह आज मध्य पूर्व में कई ख्रीस्तीयों की स्थिति से बहुत अलग नहीं है।
सीरिया स्थित दमिश्क, दुनिया के सबसे पुराने ख्रीस्तीय समुदायों में से एक है, लेकिन अभी भी केवल 2% आबादी ही इस धर्म से जुड़ी है। पिछले एक दशक से ख्रीस्तीयों को सीरिया में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, जो 2011 में शुरू हुए देश के गृहयुद्ध के बाद हुआ है।
सभी ग्यारह लोगों को संत घोषित किया जाएगा, भले ही वे अलग-अलग काथलिक रीतियों से आते हैं। 2023 में, पोप फ्राँसिस ने मसीह में अपने विश्वास के लिए मरनेवाले ख्रीस्तीयों को सूचीबद्ध करने के लिए "नए शहीदों का आयोग - विश्वास के साक्षी" की स्थापना की। आयोग के माध्यम से, कई गैर-काथलिक ख्रीस्तीयों को भी शहीदों की सूची में शामिल किया गया है, जिनमें लीबिया में मारे गए कॉप्टिक ख्रीस्तीय भी शामिल हैं।
उम्मीद की निशानी
फादर ग्रेगरी ने कहा कि मध्य पूर्व के ख्रीस्तीयों के लिए इन लोगों के जीवन पर विचार करना "आशा की निशानी है क्योंकि रक्तपात के बाद एक नया वसंत आता है।"
उन्होंने बताया कि पवित्र भूमि के संरक्षक फ्रांसिस्कन धर्मसमाजियों को उम्मीद है कि इन शहीदों की मध्यस्थता से इजरायल, फिलिस्तीन और मध्य पूर्व के अन्य हिस्सों में संघर्ष का अंत होगा।
फादर ग्रेगरी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनका उदाहरण और संत घोषित किया जाना विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संवाद की एक नई राह खोलेगा और शांति लाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया संत घोषित किए जाने पर नजर रखेगी," उन्हें उम्मीद है कि इससे "बातचीत को बढ़ावा मिलेगा।"
तीर्थयात्रा और प्रार्थना का स्थान
फादर ग्रेगरी ने बताया कि 11 लोगों के सम्मान में बटुमाह में एक तीर्थस्थल है, उन्होंने आगे कहा कि इसे "पुनर्निर्मित किया जा रहा है और जनता के लिए खोला जा रहा है।"
जुलाई 2024 में, शहीदों की छवियों वाले पाँच बड़े कैनवस का अनावरण किया गया, जो 1926 से पहले के हैं - जब उन्हें धन्य घोषित किया गया था। फादर ग्रेगरी ने उम्मीद जताई कि मध्य पूर्व में संघर्ष समाप्त होने के बाद, पवित्र भूमि की तीर्थयात्रा फिर से शुरू हो सकेगी और अधिक लोग दमिश्क के इन शहीदों के स्थान पर जा सकेंगे।
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