संत पापाः विश्वास हमें भय मुक्त करता है
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।
आज की धर्मशिक्षा माला में हम पवित्र आत्मा का धर्मग्रंथ में रहस्यमय उद्भेदन से आगे बढ़ते हुए कलीसिया में, हमारे जीवन में उनकी उपस्थिति और क्रियाशीलता पर विचार करेंगे।
पहले तीन शताब्दियों तक कलीसिया ने इस बात का अनुभव नहीं किया कि उसे पवित्र आत्मा में विश्वास से संबंधित कोई आधारभूत सिद्धांत की जरुरत थी। उदाहरण के लिए संत पापा ने कहा कि कलीसिया के अति पुराने धर्मसार जो प्रेरितों की चिन्ह कही जाती है, इसकी घोषणा उपरांत, “मैं स्वर्ग और पृथ्वी के सृजनहार, पिता ईश्वर पर विश्वास करता हूँ और येसु ख्रीस्त उसके एकलौट पुत्र, हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त में, जो जन्मे, मरे, लिम्बुस में उतरे और मृतकों में से जीव उठ स्वर्ग सिधारे, बिना किसी विशेषता के इस तथ्य को जोड़ा गया “मैं पवित्र आत्मा पर विश्वास करता हूँ।”
कलीसिया की विधर्मिता
यह एक विधर्मिता थी जिसका स्पष्टिकरण कलीसिया को देना पड़ा। संत अथनासियुस के समय चौथी शताब्दी में, जब इसकी प्रक्रिया शुरू हुई- कलीसिया ने पवित्र आत्मा के द्वारा विशेष रुप से अपने में पवित्रिकरण और दिव्य कार्य का अनुभव किया, जो कलीसिया में पवित्र आत्मा की दिव्य सुनिश्चिता स्थापित करती है। ये सारी चीजें सन् 381 की एकतावर्धक कोस्तोंतुनिया की धर्मसभा में हुई, जहाँ पवित्र आत्मा कि दिव्यता को सुस्पष्ट शब्दों में परिभाषित किया गया जिसे हम आज भी धर्मसार में घोषित करते हैं, “मैं पवित्र आत्मा, जीवनदाता ईश्वर पर विश्वास करता हूँ, जो पिता और पुत्र से आते, जो पिता और पुत्र के संग महिमान्वित किये जाते, जो नबियों के मुख से बोले हैं।”
संत पापा ने कहा कि यह कहना कि पवित्र आत्मा, “ईश्वर हैं”, यह कहने की भांति था कि वे ईश्वर के “स्वामित्व” को अपने में साझा करते हैं, उसने विश्व की सृष्टि की है, वे अपने में प्राणी मात्र नहीं हैं। सबसे सुदृढ़ बात यह है कि वे उसी महिमा और आराधना के अधिकारी हैं जैसे कि पिता और पुत्र ईश्वर। यह समानता में एकता का तर्क है जो संत बसिल महान को प्रिय है जो इस सूत्र के मुख्य रचनाकार थे।
इस भांति धर्मसभा के द्वारा दिये गये स्पष्टिकरण ने पवित्र आत्मा की पुष्टि में उत्पन्न होने वाली अड़चनों को दूर किया और उसे कलीसिया की धर्मविधि तथा ईशशास्त्र के अंग स्वरुप घोषित किया गया। नाजियांजियुस के संत ग्रेगोरी ने धर्मसभा के उपरांत बिना हिचकिचाहट के इसकी घोषणा करते हुए कहा, “क्या पवित्र आत्मा ईश्वर है? निश्चित ही। क्या वे एकतत्व है? हाँ, यदि वे सच्चे ईश्वर हैं।
कलीसिया में मतभेद हैं
विश्वास का धर्मसार जिसकी घोषणा हम हर रविवार को मिस्सा बलिदान में करते हैं, हम विश्वासियों को क्या कहती है? अतीत में यह केवल एक घोषणा थी कि पवित्र आत्मा पिता से आते हैं। लातीनी कलीसिया ने तुरंत इस बात का समर्थन करते हुए इसे धर्मसार से संयुक्त किया और कहा, “और पुत्र से भी”। चूंकि इसकी लातीनी अभिव्यक्ति “फिलोक्वे” है जो हमारे लिए विवाद का कारण है, यही कारण है हम पूर्वी और पश्चिमी रीति की कलीसिया में बहुत से मतभेदों और विभाजनों को पाते हैं। हम निश्चित रुप से इस मुदद्दे पर जिक्र नहीं कर रहे हैं, वहीं वार्ता के महौल में हम दोनों कलीसियाओं के बीच की कठोरता को दूर होता पाते हैं जो हमें पूर्णरूपेण पारस्परिक स्वीकृति की अनुमति देता है। ख्रीस्तीयों के मध्य हम बहुत-सी विभिन्नताओं को देखते हैं।
पवित्र आत्माः जीवनदाता
इस समस्या का समाधान होने के बाद, आज हम अपने विश्वास के धर्मसार में इस बात को घोषित करते हैं कि पवित्र आत्मा “जीवन देने वाले”, “जीवन के दाता” हैं। हम अपने आप से पूछें, “पवित्र आत्मा कैसा जीवन प्रदान करते हैं? सृष्टि के शुरू में, ईश्वर के सांस से आदम को स्वभाविक जीवन प्राप्त हुआ। अब नयी सृष्टि में यह पवित्र आत्मा हैं जो विश्वासियों को नया जीवन, येसु ख्रीस्त में ईश्वरीय संतान स्वरुप एक आलौकिक जीवन प्रदान करते हैं। संत पौलुस इसकी घोषणा करते हुए कहते हैं, “आत्म के विधान ने, जो ईसा मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, मुझ को पाप तथा मृत्यु की अधीनता से मुक्त कर दिया है।”
सांत्वना की बातें कहाँ हैं?
इन सारी चीजों में हम अपने लिए सांत्वना की बातों को कहाँ पाते हैं? यह पवित्र आत्मा के द्वारा मिला जीवन है, जो अनंत जीवन है। विश्वास हमें इस भय से मुक्ति दिलाती है इस धरती पर सारी चीजों खत्म हो जाती हैं, कि हमारे लिए दुःख से कोई मुक्ति नहीं है और अन्याय इस पृथ्वी पर राज्य करती है। प्रेरितों की एक दूसरी बात हमें यह सुनिश्चितता प्रदान करती है “यदि पवित्र आत्मा जिसने येसु ख्रीस्त को मृतकों में से जिलाया आप में निवास करता है, तो वह आपके नश्वर शरीरों को भी जीवन प्रदान करेगा।” पवित्र आत्मा हममें, हमारे अंदर निवास करते हैं।
आइए हम अपने को इस विश्वास से पोषित करें और उनके लिए भी जो बहुधा अकारण इससे वंचित किये जाते हैं जो उनके जीवन को अर्थहीन बना देता है। और हम उन्हें धन्य कहना न भूलें जिन्होंने अपनी मृत्यु से इस अमूल्य उपहार को हमारे लिए प्राप्त किया है।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here