संत पापा फ्राँसिस स्कालाब्रिनी धर्मसमाज के सदस्यों संग संत पापा फ्राँसिस स्कालाब्रिनी धर्मसमाज के सदस्यों संग  (ANSA)

संत पापाः प्रवासी आशा में बने रहने की शिक्षा देते

संत पापा फ्रांसिस ने स्कालाब्रिनी प्रेरिताई संग के सदस्यों से भेंट की और उन्हें अपना संदेश दिया।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने स्कालाब्रिनी  प्रेरितिक संघ  के 16वें आमसभा की बैठक में सहभागी हो रहे सदस्यों से भेंट की और उन्हें प्रवासियों, प्रेरिताई और सेवा कार्य पर अपना संदेश दिया। 

अपने संबोधन में स्कालाब्रिनी संधियों से कहा कि प्रवासी हमें आशा में बने रहने की शिक्षा देते हैं। “वे अपने घरों का परित्याग करते हुए कहीं और रोजी-रोटी की खोज करने की चाह रखते हैं जैसे कि आपके संस्थापक संत योहन बपतिस्ता स्कालाब्रिनी ने किय़ा।”

 येसु विश्वास का केन्द्र-बिन्दु

उन्होंने कहा कि प्रवासियों के बीच प्रवासियों की भांति जो आप के धर्मसमाज का आदर्श है, वार्ता और आपसी मिलन आप को बहुत सारी चीजों को सीखने में मदद करता है। “सिर्फ येसु ख्रीस्त जो आपके विश्वास के क्रेन्दित बिन्दु हैं- आप को प्रवासियों का स्वागत करने और उनके संग एकता में बने रहने के योग्य बनाता है।”

संत पापा मुक्ति इतिहास की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए धर्मसमाज के सदस्यों को आशा में अपनी प्रेरितिक सेवा के कार्यों को जारी रखने का आह्वान किया। “प्रवासन सबों के लिए विकास का एक क्षण हो सकता है यदि इसे सही अर्थ में सहयोग दिया जाता हो।”

प्रवासियों की स्थिति का जिक्र करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि जब प्रवासियों को अकेलेपन और परित्याग की अनुभूति होती है तो हम उनके जीवन को सभी रुपों में टूटता हुआ पाते हैं। अन्याय और हिंसा वे मुख्य कारण हैं जो आज बहुत भी हमारे भाई-बहनों के लिए विस्थापन का कारण बन रहे हैं। प्रवासियों की यात्रा को शक्तिशाली और लचीलापन बनाए रखने हेतु उन्हें ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता होती है जो उनके घावों पर ध्यान दे और उनकी शारीरिक, आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक दुर्बलता में उनकी देखभाल करता हो, और “आपके धर्मसमाज की प्रेरिताई उन्हें यह सेवा प्रदान करती है।”

प्रवासियों की जरुरत

संत पापा फ्रांसिस ने एक दुखद सच्चाई, जन्म दर में गिरावट की ओर इशारा करते कहा, “आज कई देशों को प्रवासियों की आवश्यकता है। इटली में बच्चे नहीं हैं, और उनकी औसत आयु 46 वर्ष है। इटली को प्रवासियों की जरूरत है और उन्हें उनका स्वागत करना, उनका साथ तथा उन्हें बढ़ावा देते हुए उन्हें अपने समाज में एकीकृत करने की जरुरत है।”

करूणामय सेवा

संत पापा ने करूणा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आज भी लोगों को अन्याय भरी स्थितियों, भविष्य के भय, युद्ध के कारण अपने देश को छोड़ने हेतु बाध्य होना पड़ता है। देशों के द्वारा अपनी सीमाओं को बंद करना और धनी देशों के द्वारा बैर की स्थिति स्वयं उनकी भलाई को खतरे में डालती है। ऐसी स्थिति में न्याय के कार्य करूणा की विभिन्न सेवाओं द्वारा सम्पादित किये जा सकते हैं जो मानवीय सम्मान और व्यक्ति के व्यक्तिगत अधिकारों को सुरक्षित रखता है।

विनम्रता

संत पापा ने कहा कि स्केलाब्रिनियन का आदर्श कलीसिया में जीवित है। हम इसे युवाओं में देखते हैं जो दुनिया के विभिन्न देशों से लगातार आपके साथ जुड़ रहे हैं। “अपने बुलावे हेतु ईश्वर के प्रति आभारी रहें।” धर्मसमाज में अपनी प्रेरिताई को और अधिक अर्थपूर्ण बनाने हेतु संत पापा ने धर्मसमाज के सदस्यों को पवित्र परमप्रसाद, येसु के क्रूस और मरियम के सामने, संत योहन बपातिस्ता स्कालाब्रिनी की भांति विनम्र और कृतज्ञता के भाव से समय व्यतीत करने का आहृवान किया। 

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28 October 2024, 16:10