प्रेस विज्ञप्ति-धर्मसभा का 15वाँ दिन-अंतिम दस्तावेज की प्रस्तुति
वाटकिन सिटी
अंतिम दस्तावेज को आज 21 अक्टूबर को धर्म सभा के सभी प्रतिभागियों को वितृत किया गया। वाटिकन संचार माध्यम परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष और धर्मसभा सूचना आयोग के अध्यक्ष डॉ. पॉलो रुफीनी ने वाटिकन प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “हम एक अति महत्वपूर्ण स्थिति में पहुंच गये हैं।”
प्रार्थना के पल और धर्मसभा पहल
डॉ. रूफ़ीनी ने रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में संत पापा के द्वारा मिस्सा बलिदान के दौरान 14 नए संतों की संत घोषित पर खुशी जारी की। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण घटना विश्व मिशन रविवार के दौरान हुई, जो धर्मसभा की यात्रा के केंद्र में है। रूफ़ीनी ने रविवार को दोपहर में आयोजित एक प्रार्थना सत्र का भी उल्लेख किया, जिसमें डिजिटल मिशनरियों को ऑनलाइन के माध्यम एक साथ लाया गया, जो कि कलीसिया में “सुनने” की पहल का हिस्सा था, जिसे इंस्ट्रुमेंटम लेबोरिस में प्रथामिकता दी गई है।
उन्होंने कहा कि शुरूवार को संत कलिस्तो के सभागार में, शाम पाँच बजे, एथलेटिक वाटिकन और संस्कृति एवं शिक्षा हेतु गठित परमधर्मपीठ सीमित द्वारा “खेल धर्मसभा” कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। धर्मसभा के कई प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता हेतु हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें शांति और आपसी सेवा के विषयों पर एथलीटों- शरणार्थियों, पारालिंपियन और ओलंपियनों के साथ चर्चा शामिल होगी।
अंतिम दस्तवेज की प्रस्तुति
शियेला पिईरेस धर्मसभा हेतु संचार माध्यम आयोग की सचिव ने 21 अक्टूबर की कार्यवाही का संक्षेपण प्रस्तुत करते हुए कहा कि “हम अब धर्मसभा के अंतिम सप्ताह में हैं।” हमारे दिन के क्रियाकलापों की शुरुआत संत पेत्रुस महागिरजाघर में सामूहिक यूख्ररिस्तीय अनुष्ठान से हुई, जिसके अगुवाई कार्डिनल मारियो ग्रेक ने की। उन्होंने अपने प्रवचन में इस बात पर जोर दिया कि धर्मसभा को एक नई शुरुआत स्वरूप देखा जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य सभों के लिए ईश वचन की घोषणा करना है। इसके बाद, धर्मसभा सम्मेलन जिसमें 351 सदस्यों ने भाग लिया- की शुरुआत फादर तिमोथी रैडक्लिफ चिंतन से हुई जहाँ उन्होंने स्वतंत्रता और जिम्मेदारी दो महत्वपूर्ण विषयवस्तुओं की ओर सभी प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित कराया। इसके उपरांत, कार्डिनल जीन-क्लाउड होलेरिक द्वारा अंतिम दस्तावेज़ का मसौदा प्रस्तुत किया गया। इसे “अनंतिम लेख” के रूप में वर्णित किया गया, इस बात पर जोर देते हुए कि इसके लिए गोपनीयता की आवश्यकता है - पारदर्शिता की कमी के कारण नहीं बल्कि चर्चा के लिए सकारात्मक माहौल बनाए रखने के लिए। प्रत्येक प्रतिभागी को मसौदे की एक प्रति मिली, जो सहयोगात्मक कार्य का परिणाम है।
अनंतिम लेख के बारे में इस बात को दोहराया गया कि यह “केवल सभा में हुई चर्चाओं का परिणाम नहीं है, बल्कि एक समृद्ध प्रक्रिया पर आधारित है और इसमें धर्मसभा की यात्रा के विभिन्न चरणों के दौरान वर्षों में किए गए सभी कार्यों को शामिल किया गया है।”
पिईरेस ने यह भी उल्लेख किया कि “विशेष प्रतिवेदकों और विशेषज्ञों ने, जो कुछ कहा गया उसे ध्यान से सुनने के लिए कड़ी मेहनत की साथ ही छोटे समूहों के रिपोर्टों की जांचपड़ताल भी की।” धर्मशास्त्रियों का योगदान “दस्तावेज़ और मंचों दोनों के लिए महत्वपूर्ण था।”
छोटे समुदाय में विचार-मंथन
पिईरेस ने कहा, “आज दोपहर प्रतिभागी अपने छोटे समूहों में अपने विचार रुपी उपहारों का वास्तविक आदान-प्रदान करेंगे, जैसा कि कार्डिनल ग्रेक ने कहा, “चुनौतियों, सपनों, आंतरिक आयाम और नयी प्रेरणाओं का अपसी साझा जो लेख को पढ़ने से उभर कर आती है।” यह आध्यात्मिक साधना को एक नये रुप में अनुभव करने की बात होगी, शायद यह एक अपरिचित तरीका हो सकता है।” इस प्रकार, सोमवार को प्रार्थना, ध्यान और अंतिम दस्तावेज़ के मसौदे को साझा करने के लिए समर्पित किया जाएगा। पिईरेस ने कहा कि सुबह का सत्र येसु समाजी पादरी मार्सेलो पेरेज़ के लिए प्रार्थना के साथ समाप्त हुआ, जिनकी कल मेक्सिको के चियापास में हत्या कर दी गई जब वे अपने पल्ली में मिस्सा बलिदान अर्पित कर रहे थे।
इस भांति सोमवार प्रार्थना चिंतन और दस्तावेज के अंतिम रुप के बारे में विचार-मंथन करने में व्यतीत किया जायेगा।
कार्डिनल जुप्पीःवार्ता “कलीसिया के लिए आधारभूत”
प्रेस विज्ञप्ति में इतालवी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल मातेओ जुप्पी, धर्मसभा के आध्यात्मिक सलाहकार फादर तिमोथी पीटर रैडक्लिफ जो 7 दिसंबर को कार्डिनल के पद पर पदस्थापित किये जायेंगे, धर्मसभा के महासचिव की सहायिका सचिव सिस्टर नैथली बेक्वार्ट और यूनान में बेजैंटाईन रीति के काथलिकों हेतु प्रेरिताई के एक्सार्च मन्यावर मैनुअल निन गुएल शामिल थे।
कार्डिनल जुप्पी ने धर्मसभा के दौरान संवाद के अनुभव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए इसे “केवल सहायक नहीं, बल्कि कलीसिया के लिए आधारभूत” बतलाया।
उन्होंने उन मेजों की ओर इशारा किया, जहाँ प्रतिभागी बैठकर बोलते, सुनते और एक-दूसरे से मिलते हैं, जिस प्रक्रिया पर उन्होंने जोर दिया, वह हमेशा आध्यात्मिक होती है।
फादर रैडक्लिफ: अंतिम दस्तावेज में “राज्य की छवियाँ”
फादर रैडक्लिफ ने कलीसिया द्वारा वर्तमान में किए जा रहे नवीनीकरण की यात्रा पर विचार किया, एक ऐसी यात्रा जो अंतिम दस्तावेज में उभर कर आएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दस्तावेज को निर्णयों या सुर्खियाँ बटोरने वाले बयानों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। समाज के विघटन, युद्ध और दुनिया के सामने मौजूद मुश्किल समय में, कलीसिया का एक विशेष आह्वान है: उन्होंने कहा कि यह हमें मसीह का प्रतीक, शांति का प्रतीक बनने और मसीह के साथ संवाद में बने रहने की माँग करता है। फादर रैडक्लिफ ने कहा कि इस धर्मसभा के माध्यम से कलीसिया की कल्पना करने का एक नया तरीका उभर रहा है और अंतिम दस्तावेज इसे छवियाँ में प्रस्तुत करेगा, ठीक वैसे ही जैसे येसु ने पिता के राज्य की घोषणा करने हेतु दृष्टांतों का उपयोग किया था।
सिस्टर बेक्वार्ट: धर्मसभा और एकतावर्धकवार्ता
धर्मसभा के महासचिव की सहायिका सिस्टर नैथली बेक्वार्ट ने एकतावर्धकवार्ता प्रतिनिधियों के बीच भाईचारे के माहौल के बारे में जानकारी साझा की।
वे धर्मसभा के एकतावर्धकवार्ता आयोग में शामिल हैं। धर्मसभा हमें कलीसिया होने की एक नई छवि देती है। प्रतिभागियों के बीच बैठे संत पापा की छवि का जिक्र करते हुए, उनकी बातें सुनने और एकतावर्धकवार्ता प्रार्थना की छवि का जिक्र किया, जहां प्रतिभागियों ने संत पेत्रुस की शहादत को याद करते हुए मिलकर प्रार्थना की।
उन्होंने कहा कि धर्मसभा ने विश्वव्यापी संबंधों और ख्रीस्तीय एकता के लिए एक नया आयाम खोला है, क्योंकि यह धर्मसभा संत पापा की प्रधानता और धर्माध्यक्षीय कार्यों तथा ईश प्रज्ञा की सामुदायिकता को समझने का एक नया तरीका पेश करती है।
कार्डिनल फर्नांडीज का स्पष्टीकरण
21 अक्टूबर, 2024 को, धर्मसिद्धांत परमधर्मपीठ के अध्यक्ष कार्डिनल फर्नांडीज ने धर्मसभा की आम सभा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि संत पापा को लगता है कि महिला उपयाजकों का मुद्दा अभी संबोधित करने के लिए तैयार नहीं है।
हालांकि, कलीसिया में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा प्रेस विज्ञप्ति के समापन सत्र का मुख्य केंद्र बिंदु था। फादर रैडक्लिफ ने लोगों से आग्रह किया कि वे केवल महिलाओं के अभिषेक पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि उन उच्च पदों पर भी विचार करें जो महिलाओं ने पूरे इतिहास में कलीसिया के आचार्यों स्वरूप में संभाला है। उन्होंने कहा कि अगर हम हर चीज को अभिषेक तक सीमित कर देते हैं, तो हम याजकीवाद की मानसिकता में फंसने की जोखिम उठाते हैं। सिस्टर बेक्वार्ट ने इन बिंदुओं को पुष्ट करते हुए इस बात पर जोर दिया कि महिलाएं पहले से ही कलीसिया में उच्च-स्तरीय पदों पर हैं, जैसे कि काथलिक विश्वविद्यालयों की अध्यक्ष, कारितास जैसे संगठनों की अभिनेत्री या धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अदंर अनुभागों की प्रमुख।
उन्होंने बताया कि महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देने के कई तरीके हैं, और कई धर्माध्यक्ष अब महिलाओं को धर्मप्रांत के प्रतिनिधियों स्वरूप नियुक्त कर रहे हैं, जिससे उन्हें प्रशासन में भूमिका मिल रही है।
सिस्टर बेक्वार्ट ने कहा कि सामाजिक और संस्कृतिक अब भी बाधाएँ बनी हुई हैं क्योंकि कलीसिया समाज का हिस्सा है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा, एंग्लिकन धर्माध्यक्ष से बात करना यह स्पष्ट करता है कि कलीसिया में एक पुरुष के योगदान को एक महिला की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है, यद्यपि महिलाएं विभिन्न पदों पर नियुक्त हैं।
इस प्रकार, मानसिकता का एक सच्चा रूपांतरण जरुरी है, और इसमें समय लगेगा। बेक्वार्ट ने कहा कि हम न केवल कलीसिया से बल्कि उस समाज से भी मानसिकता को विरासत में लेते हैं जिसमें हम रहते हैं।
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