संत पापा: 'संवाद ने 40 साल पहले चिली और अर्जेंटीना के बीच युद्ध को रोका'
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 25 नवम्बर 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के प्रेरितिक भवन के साला रेजिया में अर्जेंटीना और चिली के बीच 29 नवंबर 1984 को शांति और मैत्री की संधि की चालीसवीं वर्षगांठ पर एकत्रित राजनायिक दल के सदस्यों का सहृदय स्वागत किया। संत पापा ने कहा कि वे खुश हैं क्योंकि इस संधि ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय विवाद एक सम्मानजनक, उचित और न्यायसंगत समाधान के साथ समाप्त हुईं।
दक्षिण अमेरिका उपमहाद्वीप में संबंधों को स्थिर करने में मदद करने वाली इस संधि को परमधर्मपीठ द्वारा सुगम बनाया गया था, जिसमें संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने संघर्ष की मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
संत पापा ने इस पहल के लिए चिली और अर्जेंटीना के दूतावासों को धन्यवाद दिया साथ ही इस यादगार कार्यक्रम में भाग लेने वाले वहां उपस्थित संबंधित प्रतिनिधिमंडलों और अधिकारियों, कार्डिनलों और राजनयिक कोर के साथ ही मध्यस्थों के प्रतिनिधियों का अभिवादन करते हुए इस अवसर पर शांति और संवाद की ओर से इस विशेष क्षण में दुनिया से एक नई अपील करते हुए कहा कि लंबी और कठिन वार्ता के दौरान दोनों देशों द्वारा दिखाई गई दृढ़ प्रतिबद्धता और शांति और मित्रता के जो परिणाम मिले, वे अनुकरणीय मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं।
संत पापा ने कहा कि अपने परमाध्यक्षीय काल के पहले दिनों से ही संत जॉन पॉल द्वितीय न केवल अर्जेंटीना और चिली के बीच विवाद को “एक अपमानजनक सशस्त्र संघर्ष में बदलने से रोकने के लिए, बल्कि इस विवाद को निश्चित रूप से हल करने का एक तरीका खोजने के लिए भी लगातार चिंतित थे”। दोनों सरकारों के अनुरोध पर, ठोस और सख्त प्रतिबद्धताओं के साथ, वे “एक उचित और न्यायसंगत, और सम्मानजनक समाधान” का प्रस्ताव करने के उद्देश्य से मध्यस्थता करने के लिए सहमत हुए। मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान, संत पापा ने इन शब्दों में अपनी इच्छा व्यक्त की: "ताकि दोनों पक्षों की सद्भावना के माध्यम से, न्याय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर एक संतोषजनक समाधान पाया जा सके, जिसमें बल का उपयोग शामिल नहीं है"। अर्जेंटीना और चिली के बीच संधि का शीर्षक इसे दो शब्दों में परिभाषित करता है: शांति और मित्रता।
पहलाः शांति
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि 2 मई 1985 को संधि के अनुसमर्थन पर, संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने अपनी खुशी व्यक्त की, क्योंकि - उनके शब्दों में - समझौता "इस तरह से शांति को मजबूत करता है कि यह उचित रूप से इसकी स्थिरता का ठोस भरोसा देता है"। संत पापा ने जोर देकर कहा कि शांति के इस उपहार के लिए, फिर भी इसे उन बाधाओं से बचाने के लिए दैनिक प्रयास की आवश्यकता होगी जो इसका विरोध कर सकती हैं और इसे समृद्ध करने के लिए हर संभव प्रयास को प्रोत्साहित करना होगा। वास्तव में, संधि दो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त साधन प्रदान करती है, अर्थात् मतभेदों का समाधान और "सभी क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से सामंजस्यपूर्ण मित्रता को बढ़ावा देना, जिसका उद्देश्य दोनों देशों का घनिष्ठ एकीकरण है"। विवाद के पूर्ण, निश्चित और शांतिपूर्ण समाधान के लिए यह मॉडल वर्तमान विश्व स्थिति में फिर से प्रस्तावित किए जाने योग्य है।
दूसराः मित्रता
संत पापा ने कहा,"जब युद्ध की बर्फीली हवाएँ चल रही हैं, अन्याय, हिंसा और असमानता की आवर्ती घटनाओं के साथ-साथ गंभीर जलवायु संकट और अभूतपूर्व मानवविज्ञान परिवर्तन भी हो रहे हैं, तो यह ज़रूरी है कि हम रुकें और खुद से पूछें: क्या ऐसा कुछ है जिसके लिए जीना और उम्मीद करना उचित है?" वास्तव में, इन असफलताओं, कठिनाइयों और असफलताओं को आत्मचिंतन के लिए एक आह्वान के रूप में देखा जा सकता है; वे हमें ईश्वर से मिलने के लिए अपने दिलों को खोलने और खुद के प्रति, अपने पड़ोसियों के प्रति और अपने आस-पास की वास्तविकताओं के प्रति अधिक जागरूक होने के लिए आमंत्रित करते हैं। हम पाते हैं कि मानव अस्तित्व का मूल्य चीज़ों में, प्राप्त सफलताओं में, प्रतिस्पर्धा की दौड़ में नहीं है, बल्कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है प्रेम का वह रिश्ता जो हमें बनाए रखता है, हमारी यात्रा को भरोसे और उम्मीद में जड़ देता है। यह ईश्वर के साथ मित्रता है, जो फिर सभी अन्य मानवीय रिश्तों में परिलक्षित होती है, यही उस आनंद की नींव है जो कभी विफल नहीं होगा।"
चिली और अर्जेंटीना सिर्फ़ दो पड़ोसी नहीं, दो भाई हैं
संधि की पच्चीसवीं वर्षगांठ पर 28 नवंबर 2009 को वाटिकन में एक स्मारक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें अर्जेंटीना की राष्ट्रपति श्रीमती क्रिस्टीना फर्नांडीज किर्चनर और चिली की राष्ट्रपति श्रीमती मिशेल बैचेलेट की यात्रा शामिल थी। उस अवसर पर, संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने कहा कि चिली और अर्जेंटीना सिर्फ़ दो पड़ोसी देश नहीं हैं, बल्कि इससे कहीं ज़्यादा हैं। उन्होंने कहा, "वे दो भाई लोग हैं, जिनका एक ही उद्देश्य है भाईचारा, सम्मान और दोस्ती, जो काफी हद तक उनके इतिहास की जड़ में काथलिक परंपरा और उनकी समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का परिणाम है।"
हथियारों में निवेश करते हुए शांति की अपील करने का पाखंड
फिर से, पापा ने 1984 की संधि के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि यह इस बात का एक कालातीत उदाहरण है कि कैसे धैर्यपूर्वक बातचीत और समझौता शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जा सकता है और उन्होंने उम्मीद जताई कि शांति और मित्रता की भावना वर्तमान संघर्षों को हल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्रभावित करेगी।
साथ ही, उन्होंने कई देशों के "पाखंड" पर दुख जताया, जो हथियारों में निवेश करते हुए शांति की बात करते हैं: "यह पाखंड," उन्होंने कहा, "हमेशा हमें विफलता की ओर ले जाता है। भाईचारे की विफलता, शांति की विफलता।"
"अंतर्राष्ट्रीय समुदाय संवाद के माध्यम से कानून के बल को प्रबल बनाए, क्योंकि संवाद 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आत्मा होनी चाहिए'।"
संत पापा फ्राँसिस ने शांति की रानी माता मरियम की मध्यस्थता से अर्जेंटीना, चिली और शांति के लिए प्रयास करने वाले सभी देशों पर ईश्वर के आशीर्वाद का आह्वान करके अपने भाषण का समापन किया।
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