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लातीनी अमरीकी देशों  का जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संकट पर सम्मेलन, 28.11.2024 लातीनी अमरीकी देशों का जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संकट पर सम्मेलन, 28.11.2024  

लातीनी अमरीका, जलवायुः सबसे अधिक प्रभावित निर्धन लोग

परमधर्मपीठ के लिये बोलिविया, क्यूबा और वेनेजुएला के दूतावासों द्वारा रोम स्थित सन्त कालिस्तो प्रासाद में एक कार्यशिविर का आयोजन किया गया, जिसका शुभारम्भ गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस के एक सन्देश से हुआ।

वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): परमधर्मपीठ के लिये बोलिविया, क्यूबा और वेनेजुएला के दूतावासों द्वारा रोम स्थित सन्त कालिस्तो प्रासाद में एक कार्यशिविर का आयोजन किया गया, जिसका शुभारम्भ  गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस के एक सन्देश से हुआ। संदेश में सन्त पापा ने विश्व के दक्षिणी गोलार्द्ध के हित के लिये "सृष्टि में जो कुछ है" उसके साथ संबंध बनाने के लिए आमंत्रित किया।

सृष्टि के साथ सम्बन्ध बनायें

सन्देश में सन्त पापा ने सचेत किया कि जलवायु परिवर्तन के संकेतों को "छिपाया नहीं जा सकता", क्योंकि  जलवायु परिवर्तन की चरम घटनाएँ सबसे अधिक ग़रीब देशों के लोगों को प्रभावित करती हैं। "लौदातो सी' और लाउदाते देउम, लातीनी अमरीका के अनुभवों के प्रकाश में पर्यावरण संकट की समस्याओं का समाधान" शीर्षक से गुरुवार को उक्त कार्यशिविर की शुरुआत हुई। इसमें भाग लेनेवाले प्रतिनिधियों को सन्त पापा ने आमंत्रित किया कि वे लोगों के बीच "संबंधों को मजबूत करने" और "सृष्टि की सभी रचनाओं के साथ संबंध" बनाने का प्रयास करें।

28 नवम्बर को आरम्भ उक्त कार्यशिविर में लातीनी अमरीका के लिये गठित कमीशन के अध्यक्ष कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्त, पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ साइंसेज के चांसलर कार्डिनल पीटर टर्कसन, जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष मान्यवर विन्चेनसो पालिया तथा परमधर्मपीठीय संचार विभाग के प्रीफेक्ट पाओलो रुफीनी ने भाग लिया।

मानव और प्रकृति के बीच पारस्परिकता

कार्डिनल प्रेवोस्त ने प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए बिगड़ते पर्यावरणीय संकट के सामने "कार्य की ओर" बढ़ने की तात्कालिकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह एक महान चुनौती है जिसके लिये कलीसिया की धर्मशिक्षा में निहित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है, जो इस बात पर बल देती है कि ईश्वर द्वारा मनुष्य को सौंपी गई "प्रकृति पर प्रभुत्व" को "निरंकुश" नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मनुष्य केवल एक "प्रशासक है जिसे पर्यावरण के साथ "पारस्परिकता" के रिश्ते में अपने काम का हिसाब देना होगा। "अस्तु, उन्होंने कहा, हमारा मिशन सृष्टि के साथ वैसा ही व्यवहार करना है जैसा सृष्टिकर्त्ता ने किया है। उन्होंने "कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने वाले अत्याचारी कार्यों" की निंदा कड़ी निन्दा की।

ईश्वर के उपहारों के "सह-निर्माता"

सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र लाओदातो सी को उद्धृत कर कार्डिनल टर्कसन ने कहा, "हमारी प्रकृति ईश्वर द्वारा सृजित की गई है, और हम सृष्टि के उपहारों से घिरे हुए हैं।" "विफलता" "बहुत अधिक सृजन करने" में है न कि "उपहार बांटने" में। परिणामस्वरूप, "मानव प्रगति के अर्थ में, अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में और हमारी जीवनशैली में" दिशा बदलने की तत्काल आवश्यकता है।

कार्डिनल टर्कसन ने कहा, "विश्व एक दुर्घटना नहीं है," बल्कि "ईश्वर द्वारा जानबूझकर किया गया कार्य" है, और सृजन सिर्फ "कुछ नहीं से कई चीजों तक का मार्ग" नहीं है, बल्कि "मानव बुलाहट का पहला कदम" है। उन्होंने कहा कि इसीलिये हर किसी को "सह-निर्माता" बनने के लिये आमंत्रित किया गया है। उन्होंने एक रूपक का उदाहरण देते हुए कहा: "ईश्वर वृक्ष को आरोपित करते हैं, जिससे मनुष्य फर्नीचर या साज-सज्जा का सामान तैयार करता है"।

कार्यशिविर का प्रमुख उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों तथा इनसे उत्पन्न ग़रीब देशों की समस्याओं पर विश्व का ध्यान केन्द्रित करना था।

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29 November 2024, 11:38