स्थानीय कलीसियाओं के संतों, धन्यों, पूजनीय और ईश सेवकों की याद 9 नवम्बर को
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार, 16 नवंबर 2024 (रेई) : 9 नवम्बर को प्रेषित पत्र में संत पापा ने लिखा, “प्रेरितिक प्रबोधन गौदाते एत एसुलताते के साथ मैं समकालीन दुनिया में ख्रीस्त के वफादार शिष्यों के लिए पवित्रता के वैश्विक आह्वान को फिर से प्रस्तावित करना चाहता हूँ। यह द्वितीय वाटिकन परिषद की शिक्षा का मूल है, जिसमें याद दिलाया गया है कि "वे सभी जो मसीह में विश्वास करते हैं, चाहे उनका पद कुछ भी हो, उन्हें ख्रीस्तीय जीवन की पूर्णता और उदारता को जीने के लिए बुलाये गये हैं।" (लुमेन जेंसियुम, 40)
संत पापा ने कहा, “इसलिए, हम सभी को ईश्वर के प्रेम का स्वागत करने के लिए बुलाया गया है जो "पवित्र आत्मा के द्वारा हमारे हृदयों में डाला गया है" (रोमियों 5:5)। वास्तव में, पवित्रता, मानव प्रयास का फल होने से कहीं अधिक, ईश्वर के कार्य के लिए जगह बनाना है।
ख्रीस्तीय सदगुणों के गवाह
हर कोई अपने रास्ते में मिले लोगों को पहचान सकता है, जो ख्रीस्तीय सदगुणों के गवाह हैं, विशेष रूप से, विश्वास, भरोसा और प्रेम के। ऐसे पति-पत्नी जिन्होंने खुद को जीवन के लिए खोलकर अपने प्यार को ईमानदारी से जीया है; वे पुरुष और महिलाएँ जिन्होंने विभिन्न कामों के माध्यम से अपने परिवारों की मदद की है और ईश्वर के राज्य के प्रसार में सहयोग किया है; किशोर और युवा जिन्होंने उत्साह से येसु का अनुसरण किया; पुरोहित जिन्होंने प्रेरिताई के माध्यम से ईश्वर क पवित्र प्रजा पर अनुग्रह के उपहार उंडेले हैं; धर्मसंघी पुरुष और महिलाएँ, जो सुसमाचारी सलाह के अनुसार जीवनयापन करके ख्रीस्त के जीवनसाथी की जीवित छवि दी। हम गरीबों, बीमारों, पीड़ितों को नहीं भूल सकते जिन्होंने अपनी असहाय स्थिति में दिव्य गुरु का सहारा पाया। यह "प्रतिदिन"और "अगले दरवाजे" की पवित्रता है जिससे दुनिया भर में कलीसिया हमेशा समृद्ध हुई है।
हम पवित्रता के इन आदर्शों से प्रेरित होने के लिए बुलाए गए हैं, जिनमें सबसे पहले वे शहीद हैं जिन्होंने मसीह के लिए अपना खून बहाया और वे लोग जिन्हें ख्रीस्तीय जीवन के आदर्श और हमारे मध्यस्थ होने के कारण धन्य और संत घोषित किया गया।
हम उन पूज्य पुरुषों और महिलाओं की याद करें जिनके विरोचित सद्गुणों को मान्यता दी गई है, उन लोगों के बारे भी सोचें जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपने जीवन को प्रभु और अपने भाइयों के प्रति प्रेम की बलि बना दिया, साथ ही ईश्वर के उन सेवकों के बारे में भी सोचें जिनको संत और धन्य घोषित किये जाने की प्रक्रिया जारी है।
ये प्रक्रियाएँ दिखाती हैं कि कैसे पवित्रता की गवाही हमारे समय में भी मौजूद है जिसमें विश्वास के महान गवाह सितारों की तरह चमकते हैं (फिलि 2:15), जिन्होंने स्थानीय कलीसियाओं के अनुभव को रेखांकित किया है और साथ ही, इतिहास को फलदायी बनाया है। ये सभी हमारे मित्र हैं, यात्रा में हमारे साथी, जो हमें हमारे बपतिस्मा के आह्वान को पूरी तरह से महसूस करने में मदद करते हैं और हमें कलीसिया का सबसे सुंदर चेहरा दिखाते हैं, जो पवित्र है और संतों की माँ है।
संत पापा ने लिखा, “धर्मविधिक वर्ष के दौरान कलीसिया सार्वजनिक रूप से पूर्व-स्थापित तिथियों पर संतों एवं धन्यों का सम्मान करती है। हालाँकि, मुझे यह महत्वपूर्ण लगता है कि सभी स्थानीय कलीसियाओं के संतों और धन्यों के साथ-साथ अपने क्षेत्रों के पूजनीय और ईश सेवकों को एक ही तारीख पर याद किया जाए।
यह धर्मविधिक कैलेंडर में एक नया पर्व डालने का सवाल नहीं है, बल्कि मिस्सा बलिदान के बाहर किसी उचित पहल, या इसके भीतर याद करना है।
जयंती वर्ष से 9 नवंबर को शुरू होगा संतों का स्मृति दिवस
इसलिए, संत पापा ने स्थानीय कलीसियाओं से आग्रह की है कि वे 2025 में जयंती वर्ष से शुरू करके, हर साल 9 नवंबर को लातेरन महागिरजाघर के समर्पण के पर्व पर, पवित्रता के इन महान लोगों को याद करें और उनका सम्मान करें।
इससे अलग-अलग धर्मप्रांतीय समुदायों को मसीह के असाधारण शिष्यों की स्मृति को फिर से खोजने या बनाए रखने में मदद मिलेगी, जिन्होंने पुनर्जीवित प्रभु की उपस्थिति का एक जीवित संकेत छोड़ा और आज भी ईश्वर की ओर यात्रा पर हमारी रक्षा और समर्थन करते हुए सुरक्षित मार्गदर्शक हैं।
इस प्रयोजन के लिए, संत पापा ने सुधाव देते हुए कहा कि प्रेरितिक संकेत और दिशानिर्देश, धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों द्वारा विकसित और प्रस्तावित किए जा सकते हैं।
संत, जिनमें ईश्वरीय कृपा के चमत्कार झलकते हैं, हमें ईश्वर के साथ अधिक घनिष्ठ संवाद की ओर प्रेरित करें और हममें भविष्य के शहर में उनके साथ सर्वोच्च ईश्वर की स्तुति गाने की इच्छा जागृत करें।
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