संत पापाः येसु हमें याद करते हैं
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने 04 नवम्बर को वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में दिवंगत कार्डिनलों और धर्माध्यक्षों के आदर में यूखारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।
“प्रभु, अपने राज्य में आने पर मुझे याद कीजियेगा।” ये क्रूसित दो डाकूओं में से एक के द्वारा कहे गये अंतिम वाक्य थे। ये येसु के किसी शिष्य के शब्द नहीं थे जिसने गलीलिया की राहों में उनका अनुसरण किया और न ही अंतिम व्यारी के समय उनके साथ रोटी तोड़ते समय उनके साथ थे। इसके विपरीत ये शब्द एक अपराधी के थे जिसकी मुलाकात येसु के संग अंतिम समय में हुई, जिसके नाम से हम अपरिचित हैं।
हम विनय करें
यद्यपि सुसमाचार में, अपरिचित व्यक्ति के अंतिम शब्द हमारे लिए वार्ता की सच्चाई को व्यक्त करते हैं। येसु की गिनती भी कुकर्मियों में हुई, जैसे कि नबी इसायस ने इसकी भविष्यवाणी की थी। हम आशातीत शब्दों को सुनते हैं, “हम अपनी करनी का फल भोग रहे हैं, लेकिन इन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।” दोषीदार अपराधी हम सबों का प्रतिनिधित्व करते हैं, हममें हर कोई उनके स्थान पर अपने को रख सकते हैं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण हमारे लिए यह होगा कि हम उनसे एक विनय करें, “येसु मुझे याद कीजिए।” मुझे अपनी यादों में रखिए।
याद करने का अर्थ
संत पापा ने याद शब्द पर चिंतन व्यक्त करते हुए कहा कि याद करने का अर्थ अपने हृदय में वहन करना है। क्रूसित व्यक्ति अपनी दुःखों को प्रार्थना में बदल देता है, “मुझे अपने हृदय में वहन कीजिएगा, येसु।” हम उनके शब्दों में पीड़ा और हार को नहीं बल्कि आशा को पाते हैं। वह डाकू जो अपने जीवन के अंतिम क्षणों में एक शिष्य की भांति मरा, केवल एक चीज- एक स्वीकार्य हृदय की चाह रखता है। अपने मृत्यु की रक्षाहीन स्थिति में केवल वही चीज उसके लिए अर्थपूर्ण था। ईश्वर ने उस पापी की प्रार्थना, उसके जीवन के अंतिम घड़ी में सुनी जैसे कि वे हमेशा करते हैं। ख्रीस्त का दुःख से बेधित हृदय, विश्व को बचाने हेतु खुला रहता है। स्वयं मरते हुए वे मरते हुए व्यक्ति की पुकार को सुनते हैं। येसु हमारे संग मरते हैं क्योंकि वे हमारे लिए मर गये।
येसु की याद में शक्ति
अपने निर्दोष होने पर भी क्रूसित येसु, गलतियों के कारण क्रूसित एक व्यक्ति की प्रार्थना को सुनते हैं। “मैं तुम से यह कहता हूँ, आज ही तुम मेरे साथ स्वर्ग में होगे।” येसु की याद हमारे लिए शक्तिशाली है क्योंकि वे करूणा से भरे हैं। जैसे ही एक व्यक्ति का जीवन अपने अंतिम समय में आता है, ईश्वर अपने प्रेम में उसे मृत्यु के बंधन से मुक्त करते हैं। दोषीदार व्यक्ति अपने में मुक्ति प्राप्त करता है। अपरिचित अब संग चलने वाला बन जाता है, क्रूस पर थोड़े समय का मिलन उसे अनंत जीवन की ओर ले चलता है। मैं येसु के संग कैसे मिलता हूँ या येसु को मैं अपने से कैसे मिलने देता हूँॽ क्या मैं अपने को स्वार्थ में, दुःख की घड़ी में, अपनी आत्म-निर्भरता में बंद कर लेता हूँॽ क्या मैं अपने को पापी समझता और येसु से मिलने आता हूँ या मैं उनकी कोई जरुरत नहीं समझता और आगे चलता हूँ।
क्रूसितों की येसु याद करते हैं
संत पापा ने कहा कि येसु अपनी बगल में क्रूसित लोगों की याद करते हैं। उनकी करूणा हमें इस बात की याद दिलाती है कि लोगों और चीजों को याद करने के विभिन्न रुप हो सकते हैं। हम गलतियों की याद करते हैं, अधूरे कार्यों, मित्रों और शत्रुओं की याद करते हैं। लेकिन हम लोगों को कैसे अपने हृदय में वहन करते हैंॽ क्या हमारा हृदय करूणा से भरा हैॽ क्या मुझे में दया है ॽ हम उन्हें कैसे याद करते हैं जिन्होंने हमारे जीवन की घटनाओं में हमारा साथ दियाॽ
दिवंगत चरवाहे आनंद के भागीदार बनें
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि ईश्वर के हृदय की ओर आते हुए हर नर और नारी अपने लिए आशा में मुक्ति को प्राप्त करता है, चाहे यह मूर्खों की दृष्टि में मरा हुआ क्यों न लगता हो। ईश्वर की यादें हमारे हमारे हृदय की गहराई में बनी रहते हैं वे करूणा और दया से भरे हुए हैं। वे करुणावान, दयालु, न्यायी ईश्वर के रुप में हमारे निकट रहते हैं। ये ईश्वर के तीन मुख्य गुण हैं। क्या मैं दूसरों के निकट रहता हूँॽ क्या मेरे हृदय के दूसरे के प्रति करुणा और दया के भाव हैंॽ इस निश्चितता के साथ हम कार्डिनलों और धर्माध्यक्षों के लिए प्रार्थना करते हैं जो विगत बारह महीनों के अंदर प्रभु में सो गये हैं। आज हमारी यादें उन प्रिय भाइयों के लिए एक निवदेन प्रार्थना बनती है। चुने गये वे ईश प्रजा के सदस्य थे, जिन्होंने ख्रीस्त की मृत्यु में बपतिस्मा ग्रहण किया था जिससे वे उनके संग पुनरूत्थान को प्राप्त कर सकें। वे चरवाहे और ईश प्रजा के लिए आदर्श थे। इस धरती पर रोटी तोड़ते हुए अब वे ईश्वरीय राज्य की मेज में आनंद मनायें। वे कलीसिया से प्रेम करते थे; आइए हम प्रार्थना करें कि वे संतों के साथ अनंत काल तक आनन्दित हों। आइए हम दृढ़ आशा में बने रहते हुए स्वर्ग में उनके संग आनन्द मनाने की आशा करें। आइए हम सब मिल कर एक साथ कहें, “येसु, हमें याद कीजिये।“
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