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गरीबों के विश्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस  संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए गरीबों के विश्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए 

विश्व गरीब दिवस पर संत पापा: करुणा का हर कार्य आशा का प्रतीक है

विश्व गरीब दिवस के दिन पवित्र मिस्सा समारोह के दौरान अपने प्रवचन में संत पापा फ्राँसिस ने गरीबों की पीड़ा में ईश्वर की उपस्थिति को पहचानने और अन्याय के सामने आशा और करुणा के साथ कार्य करने का आह्वान किया।

वाटिकन न्यूज़

वाटिकन सिटी, सोमवार 18 नवम्बर 2024 : रविवार 17 नवंबर को गरीबों के विश्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में गरीबों और विश्वासियों के साथ पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया। संत मारकुस के सुसमाचार से लिए गए सुसमाचार पाठ से सर्वनाशकारी कल्पना पर विचार करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन की शुरुआत आज के समय में गूंजने वाली पीड़ा की गहरी भावनाओं को स्वीकार करके की। "सूरज अंधकारमय हो जाएगा, चंद्रमा अपनी रोशनी नहीं देगा और तारे आकाश से गिर जाएंगे।" (मारकुस 13: 24-25) संत पापा फ्राँसिस के अनुसार, यह हमारी दुनिया की पीड़ाओं को दर्शाता है - अकाल, युद्ध, असमानता और उसके बाद की उदासीनता।

विश्व गरीब दिवस के दिन संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया

संत पापा ने चेतावनी दी कि ऐसी दुनिया में जहाँ सोशल मीडिया भय और असुरक्षा को बढ़ाता है, निराशा के आगे झुकना आसान है। इस तरह हार मानने से, हम ईश्वर के हाथ को काम करते हुए देखने की क्षमता से वंचित हो सकते हैं, जो हमारे विश्वास को "एक हानिरहित भक्ति" में बदल सकता है, जो न तो प्रेरित करता है और न ही सार्थक दान को प्रेरित करता है।

हालाँकि, संत पापा ने आगे कहा, कि अनजान अंधकारमय क्षण में ईश्वर निकट आते हैं क्योंकि "जब सब कुछ ढहने लगता है, तब ईश्वर आते है, ईश्वर हमें बचाने के लिए एक साथ लाते हैं।" संत पापा ने समझाया कि येसु ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के माध्यम से मानव इतिहास के सबसे अंधकारमय क्षण को मुक्ति की सुबह में बदल दिया।

निराशा के बीच आशा के संकेत

इसके बाद संत पापा फ्राँसिस ने वसंत ऋतु में अंजीर के पेड़ पर कलियाँ खिलने की छवि का उल्लेख किया। इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने विश्वासियों से कठोरतम वास्तविकताओं में भी आशा के संकेत खोजने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि गरीबों और पीड़ितों के बीच प्रभु की उपस्थिति हमें याद दिलाती है कि "जहाँ केवल अन्याय, दर्द और गरीबी दिखती है, प्रभु हमें मुक्त करने के लिए निकट आते हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने समझाया कि मसीह के शिष्यों का काम इस आशा को दृश्यमान बनाना है। न्याय, एकजुटता और दान के कार्यों के माध्यम से, हम सभी "प्रभु की उपस्थिति के संकेत" बन सकते हैं, यह दिखाते हुए कि वह उन सभी लोगों के करीब हैं जो पीड़ित हैं।

कार्य करने का निमंत्रण

अपने प्रवचन को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को याद दिलाया कि परिवर्तन छोटे और दैनिक कार्यों से शुरू होता है। चाहे हम कैसे रहते हैं, हम अपने पर्यावरण की देखभाल कैसे करते हैं, या हम अपने संसाधनों को कैसे साझा करते हैं, करुणा का प्रत्येक कार्य आशा का प्रतीक बन सकता है। "और मैं यह कलीसिया से कहता हूँ, मैं यह सरकारों से कहता हूँ, मैं यह अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से कहता हूँ, मैं यह हर एक से कहता हूँ: " हमें गरीबों को नहीं भूलना चाहिए।"

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18 November 2024, 15:56