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2024.11.11 वाटिकन के फाब्रिका दी सान पिएत्रो के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस 2024.11.11 वाटिकन के फाब्रिका दी सान पिएत्रो के सदस्यों के साथ संत पापा फ्राँसिस   (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

संत पापा फाब्रिका दी सान पिएत्रो से : ‘प्रौद्योगिकी 'एक उपहार और जिम्मेदारी है'

वाटिकन के फाब्रिका दी सान पिएत्रो को संत पापा फ्राँसिस ने एक चुनौती देते हुए कहा कि संत पेत्रुस महागिरजाघर को "उचित और रचनात्मक तरीके से" संरक्षित करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उचित उपयोग करें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 11 नवम्बर 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को सदियों पुरानी वाटिकन संस्था ‘फाब्रिका दी सान पिएत्रो’ से मुलाकात की, जो संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के रखरखाव और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है।

रचनात्मकता और जिम्मेदारी

संत पापा ने फाब्रिका के सदस्यों को अपने प्रेरितिक मंत्रालय में मदद करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने की चुनौती दी। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि उनका उपयोग "उचित और रचनात्मक तरीके से किया जाना चाहिए, क्योंकि उनमें निश्चित रूप से क्षमता है, लेकिन वे अस्पष्ट भी हैं।" यदि ऐसा नहीं होता है, तो "ऐसा लगता है कि फ्रेम तस्वीर से अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।"

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि संत पेत्रुस महागिरजाघऱ की देखभाल और संरक्षण के लिए यह नियम बहुत ज़रूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह "विश्वास और इतिहास का जीवंत स्थान" बने। उनका कहना है कि दुनिया भर से संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में आने वाले लाखों लोगों के लिए, यह एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहाँ सभी का स्वागत हो: "जो विश्वासी हैं और जो विश्वास चाहते हैं।"

संत पेत्रुस महागिरजाघऱ का मुख्य भाग

प्रेरित पेत्रुस की कब्र महागिरजाघऱ के मुख्य भाग में है। संत पापा ने फ़ाब्रिका दी सान पिएत्रो से आग्रह किया कि वे महागिरजाघऱ की पवित्रता का सम्मान करते हुए इसके जीर्णोद्धार का काम करें। इसे तीर्थयात्रियों के साथ और उनकी यात्रा का समर्थन करके पहले संत पापा के मिशन को पूरा करनी चाहिए।

इसे पूरा करने के लिए, संत पापा फ्राँसिस तीन मानदंड प्रदान करते हैं: प्रार्थनापूर्ण रवैया अपनाना, आस्था की नज़र और तीर्थयात्री का स्पर्श।

पहले मानदंड के अनुसार संस्थान को इस स्थान के प्रति श्रद्धा बनाए रखते हुए आगंतुकों की इंटरैक्टिव भागीदारी को जगाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए।

दूसरा मानदंड यह है कि उनका काम महागिरजाघऱ के लिए एक पर्यटन दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर केंद्रित नहीं होना चाहिए, बल्कि "कलीसिया के विश्वास और उसके द्वारा आकार दी गई संस्कृति को बताने के लिए नए साधनों में निवेश करना चाहिए।"

तीसरे मानदंड में मूर्तिकला, चित्रात्मक और स्थापत्य कला को "ईश्वर के लोगों की सेवा में" लगाना शामिल है।

 

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11 November 2024, 16:37