क्रिसमस उरबी एत ओरबी में संत पापा : हम आशा और शांति के तीर्थयात्री बनें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 25 दिसंबर 2024 : संत पापा फ्रांसिस ने ख्रीस्त जयंती महोत्सव के अवसर पर अपनी प्रथावत वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के झरोखे से उरबी एत ओरबी याने रोम और विश्व को अपना शांति और मेल-मिलाप का संदेश प्रेषित किया।
संत पापा ने अपने संदेश के प्रारंभ में ख्रीस्त जयंती के मर्म पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि रहस्य जो हमें आश्चर्यचकित और प्रभावित करने में कभी नहीं चूकता है इस रात को पुनः नवीकृत किया है- कुंवारी मरियम ने बालक येसु को जन्म दिया, जो ईश्वर के पुत्र हैं, वह उसे कपड़ों में लपेट कर एक चरनी में लिटा देती है। बेतलेहम के चरवाहे जो आनंद से भर हुए हैं उन्हें ऐसा ही पाते हैं, जबकि स्वर्गदूत गाते थे, “ईश्वर की महिमा और भले लोगों को शांति।”
ईश्वर की पुकारः लौट आओ
यह घटना, जो आज से दो हजार साल पहले घटित हुई, वास्तव में, पवित्र आत्मा में अपनी नवीनता को प्राप्त करती है, प्रेम और जीवन के उसी पवित्र आत्मा में जिन्होंने मरियम के गर्भ को फलहित किया जहाँ येसु ख्रीस्त मानव शरीरधारण करते हैं। आज, कठिनाइयों के दौर में, दिव्य मुक्तिदायी शब्द ने पुनः एक बार सचमुच में शरीरधारण किया है, जो हर एक नर और नारी से, पूरे विश्व से कहता है, “मैंने तुम्हें प्रेम किया है, मैंने तुम्हें क्षमा किया है, मेरे पास लौट आओ, मेरे हृदय का द्वार खुला है।”
संत पापा ने कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनों, ईश्वर के हृदय का द्वार सदैव खुला है, हम उनकी ओर लौटकर आयें। आइए हम उस हृदय की ओर लौटें जो हमें प्रेम और क्षमा करता है। आइए हम उनके द्वारा क्षमा प्राप्त करें, आइए हम उनसे मेल-मिलाप कर लें।”
जयंती वर्ष के द्वारः मुक्ति द्वार का अर्थ
जयंती वर्ष के पवित्र द्वार का अर्थ यही है, जिसे मैंने यहाँ पिछली रात संत पेत्रुस महागिरघर में खोला है- यह येसु का प्रतिनिधित्व करता है, जो सभों के लिए मुक्ति के खुले द्वार हैं। येसु वे द्वार हैं जिसे पिता ने हमारे लिए करूणा के द्वार स्वरूप विश्व के मध्य, इतिहास के मध्य में खोला है जिससे हम सब उनकी ओर लौट आयें। हम सभी अपने में खोयी हुए भेड़ की भांति हैं, हमें एक चरवाहे की जरुरत है और एक द्वार की जिससे हम पिता के घर की ओर लौट सकें। येसु हमारे लिए वे चरवाहे और वह द्वार हैं।
आपस में मेल-मिलाप कर लें
प्रिय भाइयो एवं बहनों हम भयभीत न हों। द्वार हमारे लिए खुला है यह पूरी तरह खुला है। आइए हम येसु के संग मेल-मिलाप कर लें और तब हम स्वयं से मेल-मिलाप कर पायेंगे और जो हमें दूसरों के संग मेल-मिलाप करने में मदद करेगा यहाँ तक कि अपने शत्रुओं से भी। ईश्वर की दया हमारे लिए सब कुछ कर सकती है। यह हमारे लिए सभी गांठों को खोलती है, यह सभी विभाजन की दीवारों को तोड़ती है, यह हमारे बीच से घृणा और प्रतिकार के भाव को दूर करती है। आइए हम शांति के द्वार येसु के पास आयें।
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि बहुधा हम द्वार के चौखट पर रुक जाते हैं, हम अपने में इसे पार करने में साहस की कमी को पाते हैं क्योंकि यह हमारे जीवन का अवलोकन करने की चुनौती प्रस्तुत करती है। इस द्वार से प्रवेश करना हमारे लिए त्याग की मांग करता है, जहाँ हम अपने अतीत के सारे संघर्षों और विभाजनों को छोड़ने हेतु बुलाये जाते और अपने को बालक की फैलाई बाहों से घिरने को कहे जाते हैं जो शांति के राजकुमार हैं। इस ख्रीस्त जयंती काल में, जयंती साल के शुरूआत में, “मैं हर व्यक्ति और देशों के सभी लोगों को निमंत्रण देता हूँ जिससे हम अपने में साहस बटोरते हुए, आशा के तीर्थयात्रियों की भांति, हाथियारों की आवाज और अपने बीच के विभाजनों को खत्म कर सकें।”
शांति अपील
संत पापा ने अपने संदेश में शांति हेतु अपील करते हुए कहा कि युद्ध के कारण विध्वंस यूक्रेन में हाथियारों का शोर समाप्त हो। हमें सहास के साथ संधि के द्वार, वार्ता और मिलन के चिन्हों को खोलने की जरुरत है, जिससे हम एक अनंत शांति को प्राप्त कर सकें।
हथियारों के शोर खत्म की आशा
मध्यपूर्वी प्रांत में हथियारों का शोर खत्म हो। संत पापा ने कहा कि बेतलेहम की चरनी पर चिंतन करते हुए मैं इस्रराएल और फिलस्तीन के ख्रीस्तीय समुदाय के बारे में सोचता हूँ विशेष रूप से गाजा की जहाँ मानवीय परिस्थिति अति विकट है। वहाँ युद्ध विराम हो, बंधकों को मुक्त किया जाये और युद्ध के कारण थके लोगों को सहायता और भोजन मिल सके। मैं लेबनान विशेष कर दक्षिणी प्रांत, सीरिया के ख्रीस्तीय समुदाय की दयनीय स्थिति की याद करता हूँ। इन प्रांतों में वार्ता और शांति के द्वार खुलें जहाँ हम विनाशकारी युद्धों को देखते हैं। मैं यहाँ लीबिया के लोगों की भी याद करते हुए उन्हें इस बात के लिए प्रोत्साहन देता हूँ कि वे समस्याओं का हल खोजें जिससे राष्ट्रीय मेल-मिलाप संभव हो सके।
देशों में शांति बहाल हो
संत पापा ने कहा कि मुक्तिदाता का जन्म परिवारों के लिए नई आशा लायें उन हजारों बच्चों के परिवारों के लिए, लोकतांत्रिक गणराज्य कोंगो में, वहाँ के पूर्वी प्रांत में, बुर्किना फासो, माली, निजेर और मोजाम्बिक में जहाँ हथियारों के कारण असंख्य लोग मौत के शिकार हो रहे हैं। मानवीय समस्या जो उन्हें प्रभावित करती है इसका कारण मुख्य हथियारबंद यु्द्ध और आतंकवाद है, जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जानें जा रही हैं तथा उन्हें विस्थापित होना पड़ रहा है। मैं अफ्रीका के हार्न प्रांत के लोगों की भी याद करता हूँ उनके लिए मैं शांति, एकता और भातृत्व के उपहारों की कामना करता हूँ। सर्वशक्तिमान ईश्वर का पुत्र सुडान के नागरिकों के लिए मानवीय सहायता की पहुंच को सुगम बनाने तथा युद्ध विराम के लिए नई वार्ता आरंभ करने हेतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को जारी रखे।
ख्रीस्त जयंती की घोषणा म्यांमार के लिए दिलासा लाये जहाँ हथियारों की निरंतर झड़प के कारण लोग बहुत कष्ट झेल रहे हैं और अपने घरों से भागने को मजबूर हैं।
बालक येसु अमेरिकी महाद्वीप के राजनीतिक अधिकारियों और सभी नेक हृदयों को प्रेरित करे कि वे न्याय और सच्चाई के साथ, सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए, विशेष रूप से हैती, वेनेजुएला, कोलंबिया और निकारागुआ में, यथाशीघ्र प्रभावी समाधान खोजें। वे, विशेष रूप से इस जयंती वर्ष के दौरान, आम भलाई को आगे बढ़ाने और राजनीतिक विभाजनों से परे प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का सम्मान करने के लिए काम करें।
जयंती दीवारों को गिराने का अवसर
जयंती अलगाव की सभी दीवारों को गिराने का अवसर बने: वैचारिक दीवारें जो अक्सर राजनीतिक जीवन को चिह्नित करती हैं, और भौतिक दीवारें, जैसे कि विभाजन ने पिछले पचास वर्षों से साइप्रस द्वीप को प्रभावित किया और इसके मानवीय और सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है। संत पापा ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि साइप्रस को पारस्परिक रूप से एक सहमत समाधान मिले जो साइप्रस समुदायों के अधिकारों और पूर्ण सम्मान के साथ विभाजन को समाप्त कर सकता है।
ईश्वर इंतजार करते हैं
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि येसु, ईश्वर के दिव्य वचन जिन्होंने शरीरधारण किया, वे खुले हुए द्वार हैं जहाँ प्रवेश करने हेतु हम सभी बुलाये जाते हैं, जिससे हम अपने जीवन के अस्तित्व और जीवन की पवित्रता तथा मानवीय परिवार के मूलभूत गुणों के अर्थ को समझ सकें। वे दहलीज पर हमारा इंतजार करते हैं। “वे हम सभों का विशेषकर सबसे संवेदनशील लोगों की प्रतीक्षा करते हैं। वे बच्चों का इंतजार करते जो युद्धों के कारण दुःख और भूख का सामना करते हैं। वे बुजुर्गों का जो बहुधा अकेलेपन और परित्यक्त जीवन जीने को बाध्य होते हैं।” उन्होंने कहा कि वे उनकी राह देखते हैं जिन्होंने अपने घरों को खो दिया है या जो अपनी मातृभूमि से सुरक्षित जीवन की चाह में भागने को विवश हैं। वे उनकी प्रतीक्षा करते हैं जिन्होंने अपने रोजगार खो दिये हैं या रोजगार की खोज करते हैं। वे कैदियों की राह देखते हैं जो सारी चीजें के बावजूद ईश्वर की संतान हैं। वे उन सभी का इंतजार करते हैं जो अपने विश्वास के लिए उत्पीड़न के शिकार हैं।
जयंती कृतज्ञता का क्षण हो
संत पापा ने कहा कि इस महापर्व के दिन में, हम उन सभों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करना न भूलें जो गुप्त और विश्वासनीय ढ़ंग से अपने भले कार्यों के द्वारा दूसरों की सेवा करते हैं। उन्होंने माता-पिता, शिक्षकों और प्रशिक्षकों की याद की जो भविष्य की पीढ़ियों के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। “मैं स्वास्थ्य कर्मियों, सुरक्षाकर्मियों और उन नर-नारियों की याद करता हूँ जो करूणा के कार्य में समर्पित हैं, विशेषकर विश्वभर में प्रेरितिक कार्य कर रहे लोगों का- वे मुश्किल में पड़े लोगों के जीवन में ज्योति और सांत्वना लाने की कोशिश करते हैं। हम उन सभों को धन्यवाद कहते हैं।”
हम माफी दें
भाइयो और बहनों, जयंती ऋण माफ करने का अवसर हो, खास तौर पर उन ऋणों को जो सबसे गरीब देशों पर बोझ हैं। संत पापा ने कहा, “हम में से हरएक उन लोगों को माफ करने के लिए बुलाया जाता है जिन्होंने हमारे विरुध अपराध किया है, क्योंकि ईश्वर के पुत्र ने ठंडी रात और अंधेरे में जन्म लेकर हमें माफ कर दिया है।” वे हमें चंगा करने और हमें माफ करने के लिए आये। आशा के तीर्थयात्रियों स्वरूप, “आइए हम उनसे मिलने के लिए बाहर निकलें! आइए हम उनके लिए अपने दिल के दरवाजों को खोलें, जैसे उन्होंने हमारे लिए अपने दिल का दरवाज खोला है।”
"आप सबको ख्रीस्त जयंती की शुभकामनाएं"
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