संत पापा ने नए राजदूतों से कहा: 'दुनिया युद्ध से थक चुकी है'
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 7 दिसंबर 2024 : शनिवार 7 दिसंबर को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में संत पापा फ्राँसिस ने भारत, जॉर्डन, डेनमार्क, लक्जमबर्ग, साओ टोमे और प्रिंसिपे, रवांडा, तुर्कमेनिस्तान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और केन्या के राजदूतों से मुलाकात की। संत पापा ने परमधर्मपीठ के लिए भारत के नवनियुक्त राजदूत- शंभू एस. कुमारन सहित दस देशों के नये राजदूतों का प्रत्यय पत्र स्वीकार किया।
युद्ध, पलायन, गरीबी और जलवायु परिवर्तन
अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, “जैसा कि आप भली-भांति जानते हैं, आप अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर अपनी नई जिम्मेदारियों को संभाल रहे हैं। हमारी दुनिया तेजी से उन समस्याओं से घिरती जा रही है जो पूरे मानव परिवार को प्रभावित करती हैं और हमारे ग्रह के भविष्य के लिए चिंतित सभी लोगों द्वारा एकजुट कार्रवाई की मांग करती हैं। मैं जलवायु परिवर्तन के निरंतर विनाशकारी प्रभावों के बारे में सोचता हूँ, जो विशेष रूप से विकासशील देशों और समाज के सबसे गरीब सदस्यों को प्रभावित करते हैं, सशस्त्र संघर्ष जो हमारे कई भाइयों और बहनों को अनगिनत पीड़ा का कारण बनते हैं, और अपने परिवारों के लिए बेहतर भविष्य की तलाश में अपने वतन से भागने वाले असंख्य प्रवासियों और शरणार्थियों की दुर्दशा।
कूटनीति का धैर्यपूर्ण कार्य
ऐसे मुद्दों का कोई सरल समाधान नहीं है, न ही वे एक राष्ट्र या राज्यों के एक छोटे समूह की कार्रवाई से हल हो सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय चिंता की इन समस्याओं को दूर करने और व्यापक और दीर्घकालिक समाधान तैयार करने में हर देश की आवाज होनी चाहिए। इस संबंध में, कूटनीति का धैर्यपूर्ण कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
संघर्षों को सुलझाने के लिए परमधर्मपीठ की "सकारात्मक तटस्थता"
कठिनाइयों, असफलताओं, हथियारों की झड़प और अधिकार के पक्ष में होने के परस्पर विरोधी दावों के बीच, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय संवाद, सुलह, आपसी समझ, प्रत्येक व्यक्ति और लोगों के सम्मान और अधिकारों के लिए सम्मान और अंतर्राष्ट्रीय कानून की मांगों को बढ़ावा देकर शांति की तलाश करने के अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकता। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अपनी उपस्थिति के द्वारा, परमधर्मपीठ, अपनी विशिष्ट प्रकृति और मिशन के अनुसार, राजनीतिक, वाणिज्यिक या सैन्य लक्ष्यों को आगे बढ़ाए बिना, आम भलाई की सेवा में इस तरह के संवाद को बढ़ावा देना चाहता है। अपनी "सकारात्मक तटस्थता" के माध्यम से, परमधर्मपीठ संघर्षों और अन्य प्रश्नों के समाधान में उनके आंतरिक नैतिक आयाम को स्पष्ट करके योगदान देने का भी प्रयास करता है।
आगे संत पापा ने कहा कि इतिहास ने दिखाया है कि आपसी सम्मान, सद्भावना और नैतिक दृढ़ विश्वास से प्रेरित शांत, धैर्यवान और लगातार कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से असाध्य लगने वाली स्थितियों को सुलझाने में बहुत प्रगति की जा सकती है। वास्तव में, कई मौजूदा वैश्विक समस्याएं लंबे समय से चली आ रही हैं, जो हमें हतोत्साहित करने के बजाय हमें नए और अभिनव समाधानों की तलाश करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
जयंती वर्ष 2025
संत पापा ने कहा कि यह वर्ष समाप्त होने को है और हम भविष्य में क्या होगा यह न जानते हुए भी, आने वाले अच्छे चीजों की इच्छा और उम्मीद के साथ” नए साल की सुबह का इंतजार कर रहे हैं। संत पापा ने कहा कि वे 24 दिसंबर को, संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के पवित्र द्वार को खोलकर कलीसिया के 2025 के जयंती वर्ष का उद्घाटन करेंगे। जयंती का मुख्य संदेश वास्तव में आशा का संदेश है। कलीसिया सभी चीजों को नवीनीकृत करने के लिए पुनर्जीवित मसीह की शक्ति में नई आशा की तीर्थयात्रा पर निकलती है।
युद्ध से थके हुए विश्व में आशा के बीज बोएं
अंत में संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठ के सभी राजदूतों को शांति की सेवा में मित्रता, सहयोग और संवाद के बंधन को बढ़ावा देने में साहस और रचनात्मकता के साथ काम करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। संत पापा ने कहा कि उनका काम, जो अक्सर शांत और छिपा हुआ होता है, हमारे युद्ध-थके हुए विश्व के लिए आशा के बीज बोने में मदद करेगा।
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