संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र द्वार खोलकर किया 2025 की जयंती का उद्घाटन
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 25 दिसंबर 2024 : 24 दिसंबर 2024 की शाम को संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महिरजाघर का पवित्र द्वार खोलकर बहुप्रतीक्षित 2025 जुबली वर्ष की आशा की शुरुआत की।
रात के क्रिसमस मिस्सा समारोह की शुरुआत में पवित्र द्वार के खुलने के साथ, जैसा कि जुबली के लिए संत पापा बुल स्पेस नॉन कन्फंडिट (आशा निराश नहीं करती) में बताया गया है, संत पापा ने साधारण जयंती का उद्घाटन किया, जो हर 25 साल में होने वाली एक ऐतिहासिक घटना है।
साधारण जयंती का समापन प्रभु प्रकाश के पर्व दिन 6 जनवरी 2026 को उसी पवित्र द्वार के बंद होने के साथ होगा।
पवित्र द्वार का महत्व
पवित्र द्वार को 'पवित्र' माना जाता है क्योंकि यह उन सभी लोगों को बुलाता है जो इसके माध्यम से प्रवेश करते हैं और जीवन की पवित्रता में चलते हैं। संत पापा के पदचिन्हों पर, जयंती भजन के गायन के दौरान, ईश्वर के सभी लोगों के प्रतिनिधियों ने इसकी दहलीज को पार किया, जो हर देश और भाषा से आशा के असंख्य तीर्थयात्रियों के लिए एक भूमिका थी जोसंत पेत्रुस महागिरजाघर का दौरा करेंगे और पवित्र वर्ष के दौरान मुक्ति के रहस्यों का जश्न मनाएंगे।
इस प्रथा की शुरुआत संत पापा मार्टिन पंचम से हुई, जिन्होंने 1423 की असाधारण जयंती के लिए संत जॉन लाटेरन महागिरजाघर में प्रवेश करने के लिए एक पवित्र द्वार खोला था। संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में पहली बार 1450 की जयंती में पवित्र द्वार खोला गया था।
इसका स्थान, संत पापा जॉन सप्तम द्वारा ईश्वर की माता को समर्पित चैपल की पिछली दीवार, उस स्थान से मेल खाती है जहाँ यह आज पाया जाता है। संत पापा अलेक्जेंडर षष्टम ने 1500 में, जयंती के उद्घाटन के इस प्रतीक को एक अनुष्ठान के साथ संपन्न किया जो सदियों से लगभग अपरिवर्तित रहा, सहस्राब्दी की शुरुआत तक। 1983 में पूर्व ईंट की दीवार को हटाकर कांस्य द्वार के औपचारिक उद्घाटन द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
साधारण जयंती के लिए पवित्र द्वार का आखिरी उद्घाटन संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने वर्ष 2000 में किया था। संत पापा फ्राँसिस ने 2015 में अपनी 2016 की असाधारण करुणा जयंती के लिए पवित्र द्वार खोला।
विश्वास को मजबूत करने और मसीह को पहचानने के लिए जयंती
"पवित्र वर्ष के दौरान," संत पापा ने प्रार्थना की है, "ख्रीस्तीय आशा की रोशनी हर पुरुष और महिला को रोशन करे, सभी को ईश्वर के प्रेम के संदेश मिले! और कलीसिया दुनिया के हर हिस्से में इस संदेश का वफादार गवाह बने!"
संत पापा ने सभी ख्रीस्तियों को प्रार्थना करने, इस पूरे वर्ष के लिए खुद को तैयार करने के लिए आमंत्रित किया, ताकि यह जयंती "हमारे विश्वास को मजबूत करे, हमें अपने जीवन के बीच में पुनर्जीवित मसीह को पहचानने में मदद करे, हमें ख्रीस्तीय आशा के तीर्थयात्रियों में बदल दे।"
हमें हमारे पिता के आलिंगन में वापस लाना
संत पापा ने अपने प्रवचन में आशा के जयंती विषय को उठाया। उन्होंने संत लूकस के सुसमाचार 2:10-11 को गौर किया, जिसमें बताया गया है कि जब प्रभु का दूत, प्रकाश में नहाया हुआ, रात को रोशन करता है और चरवाहों को खुशखबरी देता है: “डरिए नहीं। देखिए मैं आप को सभी लोगों के लिए बड़े आनंद ता सुसमाचार सुनाता हूँ आज दाऊद के शहर में आपके मुक्तिदाता, प्रभु मसीह का जन्म हुआ है।”
संत पापा ने इस बात पर विचार किया कि उस समय, कैसे गरीबों के आश्चर्य और स्वर्गदूतों के गायन के बीच स्वर्ग धरती पर आया। "ईश्वर हमें अपने जैसा बनाने के लिए हम में से एक बन गया और हमें ऊपर उठाने और हमें पिता के आलिंगन में वापस लाने के लिए हमारे पास आया।"
छोटा बच्चा दुनिया के लिए उम्मीद की किरण
संत पापा ने दोहराया कि इम्मानुएल, 'ईश्वर हमारे साथ है', में हम अपनी उम्मीद पाते हैं।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, "असीम रूप से महान," "खुद को छोटा बना लिया" और "स्वर्ग की महिमा एक छोटे बच्चे के रूप में धरती पर प्रकट हुई।"
संत पापा ने आगे कहा, "अगर ईश्वर हमसे मिलने आ सकता है, तब भी जब हमारा दिल एक तुच्छ चरनी की तरह लगता है, तो हम सच में कह सकते हैं: आशा मरी नहीं है; आशा जीवित है और यह हमेशा के लिए हमारे जीवन को गले लगाती है!"
"अगर ईश्वर हमसे मिलने आ सकता है, तब भी जब हमारा दिल एक तुच्छ चरनी की तरह लगता है, तो हम सच में कह सकते हैं: आशा मरी नहीं है; आशा जीवित है और यह हमेशा के लिए हमारे जीवन को गले लगाती है!"
'आपके लिए आशा है'
संत पापा ने याद दिलाया कि पवित्र द्वार के खुलने के साथ ही नई जयंती का उद्घाटन हुआ, जो हम में से प्रत्येक को इस असाधारण घटना के रहस्य में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करता है।
उन्होंने कहा, "आज रात, आशा का द्वार दुनिया के लिए खुल गया है" और "ईश्वर हम में से प्रत्येक से बात करता है और कहता है: 'तुम्हारे लिए भी आशा है!'"
इसलिए, "जल्दी से, आइए हम उस प्रभु को देखने के लिए निकल पड़ें जो हमारे लिए पैदा हुआ है, हमारा दिल हर्षित और चौकस है, उनसे मिलने के लिए तैयार है और फिर जिस तरह से हम अपना दैनिक जीवन जीते हैं उसमें आशा लाते हैं। क्योंकि ख्रीस्तीय आशा एक 'सुखद अंत' नहीं है जिसका हम निष्क्रिय रूप से इंतजार करते हैं, बल्कि यह एक वादा है, प्रभु का वादा, जिसका हमारे दुख और आहों की दुनिया में यहाँ और अभी स्वागत किया जाना चाहिए।"
साधारणता में डूबे रहने का अंत
विशेष रूप से, संत पापा फ्राँसिस ने रेखांकित किया, जयंती "एक आह्वान है कि हम देर न करें, अपनी पुरानी आदतों से पीछे छोड़ दें, साधारणता या आलस्य में डूबे न रहें।"
संत पापा ने कलीसिया के आचार्य संत अगुस्टीन के सुझाव को याद किया कि आशा हमें उन चीज़ों से परेशान होने और उन्हें बदलने का साहस खोजने के लिए कहती है जो गलत हैं।
इस बात को ध्यान में रखते हुए, प्रभु के शिष्यों के रूप में, संत पापा ने प्रोत्साहित किया, "हम सभी प्रभु में अपनी बड़ी आशा खोजने के लिए बुलाये गये हैं और फिर, बिना देरी किए, इस दुनिया के अंधेरे के बीच प्रकाश के तीर्थयात्रियों के रूप में उस आशा को अपने साथ ले जाना चाहिए।"
प्रभु से मुलाकात की खुशी को फिर से पाना
"भाइयों और बहनों," संत पापा ने याद दिलाया, "यह जयंती वर्ष है।"
"यह आशा का मौसम है जिसमें हमें प्रभु से मिलने की खुशी को फिर से पाने के लिए आमंत्रित किया जाता है," उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कैसे जयंती वर्ष "हमें आध्यात्मिक नवीनीकरण के लिए बुलाता है और हमें हमारी दुनिया के परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध करता है, ताकि यह वर्ष वास्तव में उल्लास का समय बन सके।"
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