संत पापाः येसु हमारी आशा हैं
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।
हम आज जयंती वर्ष पर अपनी धर्मशिक्षा माला की शुरूआत करेंगे जो पूरे वर्ष जारी रहेगा। इस धर्मशिक्षा माला का शीर्षक है- येसु ख्रीस्त हमारी आशा। वे वास्तव में, हमारी तीर्थयात्रा के लक्ष्य हैं, वे स्वयं जीवन हैं जिसका हमें अनुसरण करना है।
इस धर्मशिक्षा के पहले भाग में हम येसु के बचपन की चर्चा करेंगे जिसका जिक्र हमारे लिए संत मत्ती और संत लूकस के सुसमाचार में किया गया है। कुंवारी को येसु के निष्कलंक गर्भधारण का संदेश और मरियम के गर्भ से येसु का जन्म, मुक्तिदाता के आने की भविष्यवाणी जो उनमें पूरी होती है, युसूफ का नौतिक रुप में येसु की परवरिश जहाँ हम ईश्वर के पुत्र को दाऊद के घराने “टहनी” से जुड़ा पाते हैं। हम येसु को नवजात के रुप में पाते हैं, एक बालक और एक युवा जो अपने माता-पिता के अधीन रहते हैं, वहीं वे इस बात से सचेत रहते हैं कि वे पूरी तरह अपने पिता और उनके राज्य हेतु समर्पित हैं। दो सुसमाचार लेखकों के बीच अंतर के फलस्वरुप हम संत लूकस को मरियम की दृष्टिकोण से घटनाओं को प्रस्तुत करता पाते हैं, तो वहीं संत मत्ती इसे युसूफ के अनुरूप प्रस्तुत करते हुए उनके अभूतपूर्व पितृत्व पर जोर देते हैं।
येसु की वंशावली
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि संत मत्ती के अनुसार उनके सुसमाचार की शुरूआत नये विधान में येसु की वंशावली, दाऊद के पुत्र, आब्रहम से शुरू होती है। हम यहाँ ईब्रानी धर्मग्रंथ में उन नामों को पहले से प्रस्तुत पाते हैं जो हमारे लिए इतिहास और मानवीय जीवन की सच्चाई को व्यक्त करते हैं। वास्तव में, ईश्वर की वंशावली हमारे लिए इतिहास की सत्यता को प्रकट करती है जहाँ हम कुछ नामों को न्यूतम रुप में कहा जाये तो समस्या की तरह पाते हैं और जहाँ राजा दाऊद के पाप पर भी जोर दिया जाता है। सारी चीजें, यद्यपि मरियम और येसु ख्रीस्त में अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त करती हैं। इसके बाद हम मानव जीवन की सच्चाई को प्रकट होता पाते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती है, जिसमें हम तीन चीजों को पाते हैं- एक नाम जिसमें एक अद्वितीय पहचान और प्रेरिताई है, जिसका संबंध एक परिवार और एक जाति से है जो अंत में इस्रराएल के ईश्वर पर विश्वास से जुड़ा है।
वंशावली में अद्वितीय संदेश
वंशावली एक साहित्यिक विधा है, अर्थात एक स्वरुप जो एक महत्वपूर्ण संदेश को देने हेतु उपयोग किया जाता है- कोई अपने को जीवन प्रदान नहीं करता है बल्कि वह इसे दूसरे से एक उपहार स्वरुप प्राप्त करता है, इस संदर्भ में, यह चुनी हुई प्रजा है और वे इसे विरासत के रुप में प्राप्त करते हैं।
येसु की वंशावली में नारियाँ
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि पुराने विधान की वंशावली के विपरीत जहाँ हम सिर्फ पुरूषों के नाम को पाते हैं क्योंकि इस्रराएल में पिता के द्वारा बेटे को नाम दिया जाता है, वहीं मत्ती के सुसमाचार अनुसार येसु की वंशावली में हम नारियों के नाम भी उभर कर आते हैं। यहाँ हम पाँच नामों को पाते हैं- तामार, यूदा की पुत्रवधू, जो विधवा रह जाती है, जो अपने में एक वेश्या होने का दिखावा करती जिससे वह अपने पति के लिए एक संतान उत्पन्न कर सके। रेकाब, जेरिखों की विधवा जो यहूदी खोजकर्ताओं को प्रतिज्ञात देश प्रवेश करने देती है जो उस पर विजयी होते हैं। रुथ, एक मोबाईट नारी जो अपने सास के प्रति निष्ठावान बनी रहती, उसकी देखरेख करती है, जो राजा दाऊद की परदादी बनती है, बेतशेबा जिससे दाऊद व्यभिचार करता है वह उसके पति को मारवा देता, जिससे सलोमोन उत्पन्न होते हैं, अंततः नाजरेत की मरियम, युसूफ की पत्नी जो दाऊद के घराने से आते हैं, जिनके द्वारा मसीह येसु का जन्म होता है।
चार परदेशी नारियाँ की महत्ता
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि पहली चार नारियों में एक बात को सामान्य रुप में पाते हैं- जैसे कि उन्हें कभी-कभी पापियों के रुप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन हम यहाँ इस बात की सत्यता को पाते हैं कि वे नारियाँ इस्रराएल के लिए परदेशी थीं। इसके संबंध में संत मत्ती इस तथ्य को अभिव्यक्त करते हैं जैसे कि संत पापा बेनेदिक्त 16वें ने लिखा है, “उनके द्वारा समारियों की दुनिया...येसु की वंशावली में प्रवेश करती है- जिसके फलस्वरुप हम येसु की प्रेरिताई को यहूदियों और गैर-यहूदियों के लिए दृश्यमान पाते हैं।”
मरियम में एक पीढ़ी की नई शुरूआत
जबकि उन चार नारियों की चर्चा उन पुरूषों के साथ-साथ होती है जो उनसे जन्में या जिनके द्वारा पुरूष का जन्म हुआ। वहीं दूसरी ओर मरियम को हम एक विशेष महत्व दिया जाता हुआ पाते हैःं वह एक नयी शुरूआत करती है। वह स्वयं में एक नयी शुरूआत है क्योंकि उसके जीवन इतिहास में हम मानव प्राणी को पीढ़ी के नायक स्वरूप नहीं पाते बल्कि इसके नायक स्वयं ईश्वर होते हैं। यह हमारे लिए स्पष्ट रुप से क्रिया, “से उत्पन्न हुए” में प्रकट होता है, “याकूब से मरियम का पति युसूफ और मरियम से ईसा उत्पन्न हुए, जो मसीह कहलाते हैं।” येसु दाऊद का पुत्र है, जो यूसुफ के उस राजवंश में शामिल किया गया और वह इस्रराएल का मुक्तिदाता बना, लेकिन वह इब्राहीम और विदेशी महिलाओं का भी पुत्र है, अतः वे गैर-यहूदियों के प्रबोधन के लिए ज्योति हैं।
ईशपुत्र की पहल
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि ईश्वर का पुत्र जो पिता की प्रेरिताई में उनके चेहरे को प्रकट करने हेतु, दुनिया में मानव संतान की भांति प्रवेश करते हैं, यहाँ तक कि नाजरेत में उसे “युसूफ का पुत्र” या “बढ़ई का बेटा” कहा जाता है। वे सच्चे ईश्वर और सच्चे मानव हैं।
प्रिय भाइयो एवं बहनों, आइए हम अपने में कृतज्ञतापूर्व हृदय से अपने पूर्वजों की याद करें। उससे भी बढ़कर हम ईश्वर को धन्यवाद दें, जो माता कलीसिया के माध्यम हमें अनंत जीवन की सौगात, येसु ख्रीस्त के जीवन में प्रदान किया है, जो हमारी आशा हैं।
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