आगमन काल का पहला रविवार : देवदूत प्रार्थना
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 दिसंबर 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आगमन काल के पहले रविवार को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने पाठ पर चिंतन करते हुए विश्वासियों को स्वर्ग की ओर नजर उठाने और अपना हृदय प्रभु के लिए खोलने हेतु प्रेरित किया। संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।
आज आगमन काल के प्रथम रविवार की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ (लूक. 21,25-28.34-36), हमें ब्रह्मांडीय उथल-पुथल और मनुष्यों में चिंता और भय के बारे में बताता है। इसी पृष्टभूमि में, येसु अपने शिष्यों को आशा के शब्दों में संबोधित करते हैं: "उठकर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है।"(पद 28) प्रभु की चिंता है कि उनके दिल भारी न हो जाएँ और वे सतर्कता के साथ मानव के पुत्र के आगमन का इंतजार कर सकें।
प्रभु को भरोसा की नजर से देखें
संत पापा ने कहा, “येसु का निमंत्रण यही है : सिर ऊपर उठाओ और अपना हृदय हल्का एवं जागृत रखो।”
वास्तव में, येसु के समय में कुछ लोग, अपने चारों ओर घटित होनेवाली विनाशकारी घटनाओं - उत्पीड़न, संघर्ष, प्राकृतिक आपदाओं - का सामना करते हुए पीड़ा से ग्रस्त थे और सोच रहे थे कि दुनिया का अंत आ रहा है। लेकिन येसु उन्हें उन चिंताओं और झूठी धारणाओं से मुक्त करना चाहते हैं, यह बतलाते हुए कि हृदय में कैसे जागरूक रहना है, घटनाओं को ईश्वर की योजना के अनुसार समझने का प्रयास करना है, जो इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं के भीतर भी उद्धार का कार्य करते हैं।
इसलिए येसु सुझाव देते हैं “उठकर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ।” (पद 28) संत पापा ने कहा, “खड़े होना” और “सिर ऊपर उठाना” अच्छा है।
उपस्थित विश्वासियों को सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, “येसु की सलाह हमारे लिए भी महत्वपूर्ण है ताकि “तुम्हारा मन कुण्ठित न हो जाए।”(34) हम सभी, अपने जीवन में अक्सर पूछते हैं: हम एक "हल्का" हृदय, एक सतर्क हृदय और एक स्वतंत्र हृदय कैसे प्राप्त कर सकते हैं? एक दिल जो खुद को दुःख से कुचलने नहीं देता? क्योंकि दुःख बुरा है! ऐसा हो सकता है कि हमारे अपने जीवन के बारे में या आज दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में चिंताएँ, भय और व्यकुलता हम पर पत्थरों की तरह भारी पड़ें और हमें हतोत्साहित कर दें।
आशा से पूर्ण हृदय
यदि चिंताएँ दिल को बोझिल कर देतीं और हमें अपने आप में बंद होने के लिए मजबूर करती हैं, तो इसके विपरीत, येसु हमें अपना सिर उठाने, उनके प्यार पर भरोसा करने के लिए आमंत्रित करते हैं जो हमें बचाना चाहते और हमारे जीवन की हर परिस्थिति में हमारे करीब आते हैं। हमें आशा को फिर से खोजने के लिए जगह बनाने की सलाह देते है।
अतः संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “हम अपने आप से पूछें, क्या मेरा हृदय डर से, चिंताओं से, भविष्य के सोच से भारी है?” क्या मैं जानता हूँ कि दैनिक घटनाओं और इतिहास की घटनाओं को ईश्वर की आंखों से, प्रार्थना में, व्यापक क्षितिज के साथ कैसे देखना है? या क्या मैं खुद को हतोत्साहित होने दूँ? आगमन का यह समय प्रभु की ओर अपनी नजरें उठाने का एक अनमोल अवसर हो, जो हमारे दिलों को हल्का करते और यात्रा में हमारा साथ करते हैं।
तब संत पापा ने कुँवारी मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, “आइए अब कुँवारी का आह्वान करें, जो परीक्षा की घड़ी में भी ईश्वर की योजना का स्वागत करने के लिए तैयार थीं।”
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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