तीर्थयात्रियों से सन्त पापा: रास्ते में जरूरतमंदों पर ध्यान दें
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 दिसम्बर 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): स्पेन के सान्तियागो तीर्थ पर जानेवाले तीर्थयात्रियों ने वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस का आशीर्वाद प्राप्त किया। तीर्थयात्रियों को सन्त पापा ने परामर्श दिया कि वे रास्ते में चलते समय ज़रूरतमन्दों पर भी ध्यान दें।
सन्त पापा से गुरुवार को मिलनेवाले तीर्थयात्रियों में सन्त ग्वानेला को समर्पित लोकोपकारी काथलिक धर्मसमाज के पुरोहितों, धर्मबहनों तथा गुरुकुल छात्रों के प्रतिनिधि भी शामिल थे, जो विशेष रूप से निर्धनों, आप्रवासियों और बेघर लोगों की मदद करते हैं। सन्त ग्वानेला को समर्पित धर्मसमाज के सदस्य प्रसिद्ध "तीर्थपथ" पर चलने वालों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने हेतु सान्तियागो और फिनिस्टरमें, लगभग पंद्रह वर्षों से गालिस्तिया के गिरजाघर में काम कर रहे हैं। इनसे सन्त पापा ने कहा कि तीर्थ करते समय सुसमाचार की पुस्तक अपने साथ रखें तथा प्रभु येसु के वचनों से ख़ुद को समृद्ध करें।
कलीसिया के परमाध्यक्ष भी सान्तियागो में
पिछले तीस वर्षों में सान्तियागो में तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि कितनी दिलचस्प रही है, इस तथ्य को रेखांकित करते हुए सन्त पापा ने कहा, "आप तीर्थयात्री अपनी प्रेरितिक प्रतिबद्धता के कुछ जीवंत प्रमाण हैं।" इनमें मेरे पूर्ववर्ती संत जॉन पॉल द्वितीय और बेनेडिक्ट 16 वें भी थे, जिन्होंने यूरोप के ख्रीस्तीय इतिहास में इसके महान महत्व को प्रकाशित करने के लिये इस अभयारण्य की तीर्थयात्राएँ की थी।
मौन और सुसमाचार
सन्त पापा ने कहा कि मौन और सुसमाचार पर चिन्तन किसी भी तीर्थ की पहचान है और ख्रीस्त के प्रेरितों की समाधि की तीर्थयात्रा में इसे देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि "मौन" सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, इसलिये कि "तीर्थयात्रा के दौरान मौन आपको सुनने की अनुमति देता है, दिल से सुनने की अनुमति और इस प्रकार चलते समय, थकान के माध्यम से, उन उत्तरों को ढूंढने की अनुमति देता है जो हमारे हृदय में समाये हुए हैं, क्योंकि हृदय जीवन के अहं सवाल करता है।"
उन्होंने कहा कि मौन के साथ-साथ सुसमाचार की भी आवश्यकता है ताकि आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिल सके। इसके लिये सन्त पापा ने तीर्थयात्रियों को परामर्श दिया के वे अपने पास सदैव सुसमाचार की प्रतिलिपी रखे रहें, और प्रतिदिन उसमें से कुछ पढ़ें। सुसमाचार पाठ, उन्होंने कहा, प्रार्थना करने का एक उत्तम तरीका है।
"मत्ती 25 प्रोटोकॉल"
सन्त पापा ने कहा कि मौन और सुसमचार पाठ के उपरान्त तीसरा बिन्दु है, ज़रूरतमन्दों की मदद, जिसे सन्त पापा "मत्ती 25 प्रोटोकॉल" रूप में परिभाषित करते हैं। "मत्ती 25 प्रोटोकॉल", यानि सुसमाचार में निहित येसु मसीह के शब्दों के अनुसार सहायता करना और याद रखना कि "आपने मेरे इन सबसे छोटे भाइयों में से एक के साथ जो किया, वही आपने मेरे साथ किया"। इस तरह मौन प्रार्थना, सुसमाचार पाठ तथा सबसे छोटे कहलायेजानेवालों एवं सबसे वंचित लोगों की सहायता करना सही अर्थों में प्रभु ख्रीस्त के अनुयायी और तीर्थयात्री बनना है।
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