पोप : भक्ति और उदारता के माध्यम से ख्रीस्त के प्रेम को मूर्त रूप दें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 दिसम्बर 2024 (रेई) : पोप फ्राँसिस ने बुधवार को सेविले में आयोजित भाईचारा और लोकप्रिय धर्मनिष्ठा के दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा।
उन्होंने अपने संदेश की शुरुआत सेविले के लोगों की अनूठी भक्ति को पहचानते हुए की, जो "अपने विश्वास की अभिव्यक्ति को तब तक जोश के साथ जीते हैं जब तक कि वे उनके सामाजिक ताने-बाने का अभिन्न अंग नहीं बन जाते।" पोप ने कहा कि यह जीवंत विश्वास न केवल एक व्यक्तिगत यात्रा है, बल्कि एक सामुदायिक यात्रा भी है जो कलीसिया के जीवन को आकार देती है।
एक यात्रा मिशन के केंद्र में
पोप फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि लोकप्रिय धर्मनिष्ठा की असली प्रभावशीलता मसीह को दुनिया में लाने की इसकी शक्ति में निहित है। उन्होंने संत मानुएल गोंजालेस का हवाला दिया, जिन्होंने ख्रीस्तीय जीवन को "एक पूरी यात्रा के रूप में वर्णित किया है, जो ख्रीस्त से शुरू होकर, लोगों में समाप्त होती है, और लोगों से शुरू होकर, ख्रीस्त में समाप्त होती है।" उन्होंने समझाया कि यह यात्रा लोगों को ईश्वर के करीब लाने के कलीसिया के मिशन के बारे बतलाती है।
पोप ने इन भक्तियों की विविधता में पाई जानेवाली एकता पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे "कई विशिष्टताएँ, प्रेरिताई और कार्य, दृढ़ता एवं धैर्य के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं।" चाहे क्रूस उठाना हो या केवल प्रार्थना में साथ देना हो, पोप ने कहा, "यह वही उत्साह, वही प्रेम है," जो सामूहिक सामंजस्य बनाता है जो "मसीह की सुंदरता" को प्रकट करता है। उन्होंने विश्वासियों से आह्वान किया कि वे मसीह को सड़कों पर ले जाना जारी रखें, ताकि सभी "उनकी सुंदरता को देख सकें।"
ईश्वर के प्रेम से पागल
भक्ति के क्षणों के दौरान बहाए गए “आँसू” के बारे में बोलते हुए, पोप ने दुःख और प्रेम के इन कार्यों को “ईश्वर के प्रति प्रेम से पागल” कहा, जो कुछ लोगों को समझ से परे लग सकता है, लेकिन यह विश्वास का एक प्रभावशाली साक्ष्य है। उन्होंने एक बार फिर संत मानुएल को उद्धृत किया, जब उन्होंने कहा, “लोगों में [...] सत्य, स्नेह, कल्याण, न्याय, स्वर्ग और शायद, बिना एहसास के, ईश्वर के लिए भूख है।” पोप ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे उदारता के कार्यों के माध्यम से इस भूख का जवाब दें, शरीर एवं आत्मा में पीड़ित लोगों तक ईश्वर की कोमलता पहुँचाएँ।
अपने संदेश को समाप्त करते हुए, पोप फ्राँसिस ने सम्मेलन में भाग लेनेवालों को अच्छे चरवाहे के उदाहरण का अनुसरण करते हुए अपनी तीर्थयात्रा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, "चाहे क्रूस ढोना हो या उनकी धन्य माता की छत्रछाया में रहना हो," "हमें लगता है कि हम ईश्वर के खेत हैं, राज्य के बीज", उन्होंने आगे कहा कि ये भक्ति केवल अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि मसीह के प्रेम को दुनिया में लाने के तरीके हैं।
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