संत पापाः परिवार में वार्ता अति महत्वपूर्ण
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने पवित्र परिवार के पर्व दिवस, देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये अपने संदेश में नाजरेत के परिवार की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए परिवार में आपसी वार्ता की महत्वपूर्ण पर प्रकाश डाला।
संत पापा ने पवित्र परिवार के पर्व दिवस पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु एकत्रिस सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो शुभ रविवार।
आज हम नाजरेत के पवित्र परिवार का त्योहार मनाते हैं। सुसमाचार हमें बतलाता है कि येसु बारह बरस की आयु में, येरूसालेम के वार्षिक तीर्थ के उपरांत मरियम और योसेफ से अलग होकर खो गये, जिन्होंने उन्हें मंदिर में शास्त्रियों के संग वार्ता करते हुए पाया। सुसमाचार लेखक लूकस मरियम के मनःस्थिति को व्यक्त करते हैं जो येसु से कहती है, “बेटा तुमने ऐसा क्योंकि किया?” देखो तो तुम्हारे पिता और मैं तुम्हे दुःखी होकर ढूँढ़ते रहे।” और इसके उत्तर में येसु कहते हैं, “मुझे ढूंढ़ने की जरुरत क्या थी। क्या आप यह नहीं जानते थे कि मैं निश्चय ही अपने पिता के घर में होऊँगा?”
हमारे परिवारों की स्थिति
यह एक परिवार का अनुभव है जो शांतिमय वातावरण के क्षणों और नाटकीय समय को बदल देता है। यह हमारे समय में एक परिवार की जटिल परिस्थिति को व्यक्त करती है, एक मुश्किल युवा को अभिभावकों द्वारा समझे जाने में कठिनाई होती है। हम थोड़ी देर रूकर इस परिवार को देखें। संत पापा ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि क्यों नाजरेत का परिवार हमारे लिए एक आदर्श परिवार है। क्योंकि वह परिवार अपने में बातचीत, वार्ता करता है। एक परिवार में बाचतीत करना एक अति महत्वपूर्ण चीज है। एक परिवार जो अपने में वार्ता नहीं करता है, एक खुश परिवार नहीं हो सकता है।
समझने हेतु सुनना जरूरी
एक अच्छी बात है, जब एक माता गाली देने के बजाय एक सवाल के शुरू करती है। मरियम यहाँ दोष नहीं देती और न ही निर्णय देती है, बल्कि वह समझने की कोशिश करती है कि बेटे को कैसे समझा जाये जो सुनने में एकदम भिन्न है। अपने प्रयास के बावजूद, जैसा कि सुसमाचार हमारे लिए घोषित करता है, “मरियम और योसेफ उसके द्वारा कही गई बातों को नहीं समझ पाते हैं” यह हमारे लिए इस बात को व्यक्त करता है कि परिवार में समझने के लिए सुनना अधिक जरुरी है। सुनने का अर्थ दूसरों को महत्व देना है, दूसरों के अधिकारों को पहचानना और खुले रुप में उनपर विचार करना है। बच्चों को आज इसकी जरुरत है।माता-पिता के रुप में हम इस बात पर चिंतन करें।
भोजन का समय-खास वक्त है
संत पापा ने कहा कि खाने का समय हमारे लिए परिवार में वार्ता का एक अति महत्वपूर्ण समय होता है। यह हमारे लिए अच्छा है कि हम खाने के वक्त मेज में एक साथ हों। यह बहुत सारी समस्याओं का समाधान करता है और सबसे अधिक पीढ़ियों में एकता स्थापित करता है- बच्चे जो अपने माता-पिता से बातें करते हैं, नाती-पोते जो अपने दादा-दादियों से बातें करते हैं वे अपने में कभी बंद नहीं होते हैं या उससे भी खराब मोबाईल में अपना सिर झुकाये नहीं रहते हैं। आप वार्ता करें, एक दूसरे को सुनें, यह बातचीत है जो अपने में अच्छा है जो हमें विकासित होने में मदद करता है।
हर परिवार में समस्या है
संत पापा ने कहा कि येसु, मरियम और योसेफ का परिवार एक पवित्र परिवार है। इसके बावजूद हम इस बात देखते हैं कि येसु के माता-पिता ने सदैव उनकी बातों को नहीं समझा। हम इस बात पर विचार कर सकते हैं और हम इस बात पर आश्चर्य न करें यदि यह हमारे संग भी होता है जहाँ हम एक दूसरे को नहीं समझते हैं। जब ऐसा होता है तो हम अपने में पूछ सकते हैं कि हम एक दूसरे को कैसे सुनते हैं? क्या हम सुनते हुए समस्याओं का समाधान करते हैं या हम अपने में चुपचाप, क्रोधित और घमंडी हो जाते हैं? क्या हम वार्ता करने हेतु थोड़ा समय निकालते हैं? पवित्र परिवार से आज हम एक दूसरे को पारस्परिक रुप में सुनने की बात सीख सकते हैं।
आइए हम अपने को कुंवारी मरियम को अर्पित करें और अपने परिवारों के लिए सुनने के उपहार की मांग करें।
संत पापा का अभिवादन
अपने देवदूत प्रार्थना का उपरांत संत पापा ने रोम और विभिन्न स्थानों से आये हुए तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। “मैं यहाँ उपस्थित सभी परिवारों को अपना विशेष सहचर्य प्रदान करता हूँ इसके साथ उन सभी परिवारों को भी जो संचार माध्यमों के द्वारा जुड़े हैं।” संत पापा ने कहा कि परिवार समाज की एक मूल्यवान ईकाई है जिसे हमें सहेज कर और सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।
संत पापा ने दक्षिणी कोरिया में हुई हवाई दुर्घटना के शिकार परिवारों की याद करते हुए इस दुर्घटना में मारे गये लोगों के लिए प्रार्थना अर्पित की।
संत पापा ने सभी परिवारों के लिए प्रार्थना का आहृवान किया जो युद्ध के कारण पीड़ित हैं- खासकर यूक्रेन, फिलीस्तीन, इस्रराएल,म्यांमार, सुडान और दक्षिणी किवू जो युद्ध से घिरे हैं।
इसके उपरांत संत पापा ने रोम और इटली के विभिन्न प्रांतों से आये हुए तीथयात्री और युवा दलों का अभिवादन किया। अंत में सभों को रविवार और वर्ष की सुखद अंत हेतु मंगलकामनाएं अर्पित की और अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए विदा सभों से विदा ली।
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