हिज़्बुल्लाह-इज़राइल संघर्ष-विराम की घोषणा के बाद लेबनानी अपने घर लौटते हुए हिज़्बुल्लाह-इज़राइल संघर्ष-विराम की घोषणा के बाद लेबनानी अपने घर लौटते हुए 

पोप : जुबली, सभी युद्ध मोर्चों पर युद्धविराम का अवसर प्रदान करे

संत पापा फ्राँसिस ने इतालवी पत्रकार फ्राँचेस्को अंतोनियो ग्राना की पुस्तक “जुबली ऑफ होप” (आशा की जयन्ती) की प्रस्तावना लिखी है। पोप लिखते हैं: "मैं आशा करता हूँ कि यह समय सचमुच परिवर्तन का तथा सुसमाचार के प्रकाश में अपने जीवन को देखने का अवसर बनेगा।"

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 दिसंबर 2024 (रेई) : पवित्र वर्ष और पोप का सपना एक ऐसी दुनिया की जो आशा से भरी होगी, जिसमें शांति होगी, जहाँ हथियार शस्त्रागार में बंद होंगे, उन्हें बनानेवालों ने दूसरों की मौत से लाभ कमाना बंद कर दिया होगा, मृत्यु दंड के लिए फांसी की कोई सजा नहीं होगी, और कैदियों को माफी दिए जाएँगे। पोप फ्राँसिस ने इन बिंदुओं को इतालवी पत्रकार फ्राँचेस्को अंतोनियो ग्राना द्वारा लिखी गई नई पुस्तक "जुबली ऑफ होप" की प्रस्तावना में रेखांकित किया है, जिसमें वाटिकन को दर्शाया गया है, पुस्तक का विमोचन प्रकाशक एलेडिसी द्वारा किया जाएगा।

एक जयन्ती को पूरी तरह जीना

संत पापा ने अपनी अपीलों में जोर देते हुए कहा है, “मैं सचमुच आशा करता हूँ कि आगामी जयंती वर्ष उन सभी देशों में युद्धविराम का अवसर लेकर आएगा जहाँ युद्ध चल रहा है!" उन्होंने जोर देते हुए पवित्र वर्ष "स्पेस नॉन कोनफुंदित" के लिए बुल ऑफ इंडिकेशन में कही गई बात को याद किया। यह स्पष्ट होना चाहिए कि "युद्ध से, हर संघर्ष से, हर कोई हमेशा पराजित होकर बाहर आता है, हर कोई!" और "कोई विजेता या पराजित नहीं होता, केवल पराजित होते हैं!"

उन्होंने बतलाया है कि आशा "आशावाद या भविष्य के बारे में एक अस्पष्ट सकारात्मक भावना" नहीं है, बल्कि "कुछ और" है: "यह एक भ्रम या भावना नहीं है। यह एक ठोस गुण है, एक जीवनशैली है, और इसमें ठोस विकल्प शामिल हैं। आशा प्रत्येक व्यक्ति की भलाई के लिए प्रतिबद्ध होती है।" पोप फ्राँसिस आगे कहते हैं, "आशा को पोषित करना" शब्द के उच्चतम अर्थ में "एक सामाजिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक, कलात्मक और राजनीतिक कार्रवाई का मूल्य है। यह अपनी क्षमताओं और संसाधनों को आम भलाई की सेवा में लगाना है।"

कृपा का साधन

इसका मतलब है आमहित पर ध्यान केंद्रित करना, क्योंकि यह उन प्रवासियों से संबंधित है जो "आशा की यात्रा" नामक ओडिसी के विरोधाभास का अनुभव करते हैं, जो अक्सर "निराशा की यात्रा में बदल जाती है," भूमध्यसागर एक "महान कब्रिस्तान" बन जाता है। या उन लोगों की भलाई, जैसा कि पोप ने मृत्युदंड के उन्मूलन के साथ-साथ "सम्मानजनक जीवन स्थितियों" का आह्वान किया है, जिसे "अस्वीकार्य माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति की अखंडता और गरिमा का उल्लंघन करता है।"

संत पापा ने प्रस्तावना में लिखा है कि पवित्र वर्ष, "केवल कैलेंडर द्वारा निर्धारित घटना नहीं है, बल्कि यह एक सच्चा प्रेरितिक साधन है, जिसे संत पापाओं ने 1300 से ही, तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुसार प्रयोग किया है, जिसमें उन्हें कलीसिया का नेतृत्व करने के लिए बुलाया गया था।"

पुनर्जन्म का समय

आगामी जयन्ती वर्ष 2025 में लाखों तीर्थयात्री संत पेत्रुस महागिरजाघर एवं रोम के अन्य तीन महागिरजाघरों के पवित्र द्वार से पार होंगे। पोप को उम्मीद है कि यह तीर्थयात्रा सिर्फ पर्यटन या किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नहीं है, जैसा कि ओलंपिक में होता है। वे कहते हैं, "मुझे उम्मीद है कि यह वास्तव में मन-परिवर्तन का अवसर होगा, सुसमाचार के प्रकाश में अपने जीवन को देखने का अवसर होगा," और "इस तीर्थयात्रा के साथ हमेशा गुप्त रूप से किया जानेवाला दान कार्य भी शामिल होगा।"

पुस्तक में पियर जॉर्जो फ्रसाती और कार्लो अकुतिस को भी याद किया गया है, जो दो ऐसे युवा हैं जिन्हें जयंती के दौरान संत घोषित किया जाएगा। पोप उनके उदाहरणों और शब्दों को याद करते हुए हमसे आग्रह करते हैं कि हम अपने जीवन को "बर्बाद" न करें, बल्कि अपने दिलों में येसु को रखकर, प्रेम की सुंदरता को अपनाएँ जो सेवा में बदल जाती है।

 

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03 December 2024, 16:41