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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

पोप : ईश्वर की असीम दया पर अपनी आशा रखें

रविवारीय देवदूत प्रार्थना में संत पापा फ्राँसिस ने हमें प्रोत्साहित किया कि हम अपने हृदय और मन को प्रभु येसु के प्रति खोलें, जिनका जन्म निष्कलंक मरियम से हुआ था, तथा हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे जीवन में आकर वास करें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 8 दिसंबर 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 8 दिसम्बर को निष्कलंक गर्भागमन महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया। संत पापा ने कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात एवं खुश पर्व।"   

आज, निष्कलंक गर्भागमन महापर्व पर, सुसमाचार हमें मानवता के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण, सबसे खूबसूरत क्षणों में से एक के बारे में बताता है: माता मरियम को येसु के जन्म का संदेश का क्षण (लूक.1:26-38) जब मरियम ने महादूत गाब्रिएल को "हाँ" कहा, और ईश्वर के पुत्र, येसु का शरीरधारण हुआ। यह एक ऐसा दृश्य है जो सबसे बड़ा आश्चर्य और भावना जगाता है क्योंकि ईश्वर, सर्वोच्च, सर्वशक्तिमान, देवदूत के माध्यम से नाजरेत की एक युवती से बात करते हैं, और अपने उद्धार की योजना में उनका सहयोग मांगते हैं।”

मानवीय और ईश्वरीय मुलाकात

संत पापा ने कहा, “जिस प्रकार माइकलांजेलो द्वारा सिस्टिन चैपल में चित्रित आदम की सृष्टि के दृश्य में, जहां स्वर्गिक पिता की उंगली मनुष्य की उंगली को छूती है; वैसे ही यहाँ भी, हमारी मुक्ति के आरम्भ में, मानवीय और ईश्वरीय मुलाकात होती है, वे एक अद्भुत कोमलता के साथ मिलते हैं, उस धन्य क्षण में जब कुँवारी मरियम "हाँ" कहती है। वे एक छोटे शहर की महिला हैं और उन्हें हमेशा के लिए इतिहास के केंद्र में बुलाया जाता है: उनकी प्रतिक्रिया पर मानव का भाग्य निर्भर है, जो फिर से मुस्कुरा सकती और आशा कर सकती है, क्योंकि उसका भाग्य अच्छे हाथों में सौंपा गया है। मरियम पवित्र आत्मा द्वारा गर्भधारण कर उद्धारकर्ता को जन्म देनेवाली होगी।

कृपा से पूर्ण

इसलिए मरियम वैसी ही हैं जैसे महादूत गाब्रिएल उनका अभिवादन करते हुए कहते हैं, “कृपा पूर्ण”।(लूक. 1:28) बेदाग, पूरी तरह से ईश्वर के वचन की सेवा में, हमेशा प्रभु के साथ, जिनके हाथों में वह खुद को पूरी तरह से सौंपती है। उनके अंदर ऐसा कुछ भी नहीं है जो उसकी इच्छा का विरोध करता हो, ऐसा कुछ भी नहीं जो सत्य और उदारता का विरोध करता हो। यह उनकी धन्यता है, जिनका गुणगान सभी पीढ़ियाँ करेंगी।

संत पापा ने कहा, "आइए, हम भी आनन्द मनाएँ क्योंकि निष्कलंक (कुँवारी मरियम) ने हमें येसु को दिया है जो हमारे उद्धारक हैं।

मैं अपनी आशा कहाँ रखता हूँ?

और इस रहस्य पर चिंतन करते हुए हम खुद से पूछें: हमारे समय में, जो युद्धों से हिल गया है और सत्ता पर कब्ज़ा करने और शासन करने के प्रयास पर केंद्रित है, मैं अपनी आशा कहाँ रखूँ? क्या ताकत में, पैसे में या प्रभावशाली दोस्तों में? या ईश्वर की असीम दया में? और मीडिया एवं इंटरनेट पर प्रसारित होनेवाले कई झूठे, चमकदार मॉडलों के सामने, मैं अपनी खुशी कहाँ ढूँढ़ूँ? मेरे दिल का खजाना कहाँ है? क्या यह इस तथ्य में है कि ईश्वर मुझसे मुक्त रूप से प्रेम करते हैं, कि उनका प्रेम हमेशा मुझसे पहले रहता है, और जब मैं पश्चाताप करके उनके पास लौटता हूँ तो वे मुझे क्षमा करने के लिए तैयार रहते हैं? ईश्वर के प्रेम में उस पुत्रवत आशा में? या क्या मैं अपने अहंकार और अपनी इच्छा को हर कीमत पर लागू करने की कोशिश में खुद को धोखा देता हूँ?

आशा की जयन्ती

जब हम 2025 की जयंती और आनेवाले हफ्तों में पवित्र द्वार के खुलने के करीब पहुंच रहे हैं, पोप ने प्रार्थना की कि हम भी अपने दिल और दिमाग को प्रभु येसु के लिए खोलें, जो निष्कलंक मरियम से पैदा हुए हैं, और हम उनकी मध्यस्थता की याचना करें। और उन्होंने सभी को इन दिनों के दौरान पापस्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया क्योंकि यह संस्कार वास्तव में हमें अपने दिलों को प्रभु के लिए खोलने में मदद कर सकता है जो हमेशा हमें क्षमा करते हैं।

उन्होंने कहा, “एक अच्छा पापस्वीकार करने का निर्णय लेने के लिए आज एक अच्छा दिन है। यदि आप आज, नहीं जा सकते, तो इस सप्ताह, या अगले रविवार तक अपना दिल खोलें और प्रभु सब कुछ, माफ कर देंगे।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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08 December 2024, 16:38