संत पापा ने पहली बार जेल में जुबली का पवित्र द्वार खोला
वाटिकन न्यूज
रोम, गुरुवार 26 दिसंबर 2024 आशा की जयंती के लिए, संत पापा फ्राँसिस ने पहला द्वार 24 दिसंबर की शाम को संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में खोला गया, फिर, पहली बार, उन्होंने जेल में पवित्र द्वार के साथ जयंती का उद्घाटन किया। संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "मैं चाहता था कि मैं जो दूसरा पवित्र द्वार खोलूं, वह जेल में हो।"
रोम में रेबिबिया न्यू कॉम्प्लेक्स जेल में पहुँचकर, संत पापा ने वहाँ द्वार खोलने के महत्व के बारे में बात की। जेल के ‘पिता हमारे गिरजाघऱ’ के सामने उन्होंने बताया कि वे चाहते हैं कि सभी को "अपने दिलों के दरवाज़े खोलने का अवसर मिले और यह समझ में आए कि आशा कभी निराश नहीं करती।"
खुले दरवाज़े, खुले दिल
खुद पवित्र दरवाज़े से गुज़रने के बाद, संत पापा ने गिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह की की अध्यक्षता की। अपने प्रवचन में, संत पापा फ्राँसिस ने अपनी यात्रा के ऐतिहासिक कारण पर विचार किया, इसे "खुलने का एक सुंदर चिन्ह" बताया। लेकिन सिर्फ़ दरवाज़े खोलने से ज़्यादा, संत पापा ने मौजूद कैदियों को अपने दिल खोलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि भाईचारा खुले दिलों का नाम है।
संत पापा ने बंद, कठोर दिलों के खिलाफ़ चेतावनी दी, जो हमें जीने से रोकते हैं। उन्होंने समझाया कि जुबली हमें आशा के लिए अपने दिलों को "खोलने" की कृपा देती है। सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में भी, आशा निराश नहीं करती।
आशा एक लंगर है
संत पापा फ्राँसिस ने आशा की तुलना किनारे पर रस्सी से बंधे लंगर से की। उन्होंने आगे कहा, "कभी-कभी रस्सी सख्त होती है और इससे हमारे हाथ दुखते हैं।" फिर भी इन क्षणों में भी, आशा का लंगर हमें आगे बढ़ने में मदद करता है, क्योंकि हमारे आगे हमेशा कुछ न कुछ होता है।
इसे आधा बंद न छोड़ें
संत पापा ने चेतावनी देते हुए कहा, "जब दिल बंद हो जाता है, तो यह पत्थर की तरह सख्त हो जाता है; यह कोमलता को भूल जाता है।" इसलिए सबसे कठिन परिस्थितियों में भी अपने दिल के दरवाजे खुले रखना जरूरी है। उन्होंने मौजूद कैदियों को आशा के लिए खुले रहने की चुनौती दी और उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा, "हर कोई जानता है कि यह कैसे करना है।"
संत पापा फ्राँसिस ने यह भी समझाया कि हर कोई जानता है कि उनका दिल बंद है या आधा बंद है। उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाते हुए कहा कि उनके द्वारा खोला गया पवित्र द्वार "हमारे हृदय के द्वार का प्रतीक है।" एक बार फिर, संत पापा ने प्रार्थना करने के लिए कहा। संत पापा ने उनसे कहा कि वे वास्तव में उनके लिए प्रार्थना करते हैं और यह "केवल एक अलंकार नहीं है।"
उपहार भेंट करना
पवित्र मिस्सा के अंत में, कुछ कैदियों और गार्डों ने संत पापा को उपहार भेंट किए, जिसमें पवित्र द्वार की एक छोटी प्रतिकृति शामिल थी, जिसे जेल के पुरुषों ने प्रवासी नावों की लकड़ी से बनाया था और महिला कैदियों ने तेल, कुकीज़ और चीनी मिट्टी के पात्रों से भरी एक टोकरी भेंट की।
जेल प्रशासन ने संत पापा फ्राँसिस को एक पूर्व जेल अधिकारी, कलाकार एलियो ल्यूसेंटे द्वारा पेंट की गई उद्धारकर्ता के रूप में मसीह की एक पेंटिंग दी। बदले में, संत पापा ने जेल को इस घटना की याद में एक चर्मपत्र दिया।
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