संत पापा: बीमारों को फिर से केंद्र में लाना, जिन्हें अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है
वाटिकन न्यूज़
वाटिकन सिटी, 14 दिसंबर 2024 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 14 दिसंबर को वाटिकन के संत पापा पॉल षष्टम सभागार में ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा (एआईएल) के खिलाफ इतालवी एसोसिएशन की 55वीं वर्षगांठ के अवसर करीब चार हजार सदस्यों से मुलाकात की। संत पापा ने ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा के उपचार के लिए अनुसंधान को वित्तपोषित करने और क्षेत्र में विशेष केंद्रों के विकास के अलावा, हजारों स्वयंसेवकों के साथ रोगियों और परिवारों को आतिथ्य, घरेलू देखभाल और कई लोगों के साथ निकटता प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
एकजुटता और निकटता
संत पापा ने कहा कि निकटता ईश्वर के गुणों में से एक है: सामीप्य, करुणामय और कोमल। संत पापा ने कहा कि वे करुणा और कोमलता के साथ बीमारों के निकट रहें। यह एकजुटता और निकटता की गवाही है, जो व्यक्तिवाद से चिह्नित इस दुनिया में और भी अधिक महत्वपूर्ण है। व्यक्तिवाद के केंद्र में, मैं, मेरे साथ और मेरे लिए। यह शुद्ध स्वार्थ है।
संत पापा ने इस बैठक के लिए उनके द्वारा चुने गए आदर्श वाक्य "हम साथ मिलकर भविष्य को रोशन करते हैं", के "रोशन" शब्द पर गौर करते हुए कहा कि वास्तव में, बीमारी अक्सर व्यक्ति और उसके परिवार को दर्द और पीड़ा के अंधेरे में डुबो देती है, जिससे अकेलापन पैदा होता है। सामाजिक स्तर पर, इसे अक्सर हार के रूप में देखा जाता है, कुछ छिपाने के लिए, खत्म करने के लिए: बीमारों को दक्षता और ताकत के नाम पर त्याग दिया जाता है, पीड़ा को हाशिए पर रखा जाता है क्योंकि यह डरावना होता है और परियोजनाओं में बाधा डालता है। अन्य संस्कृतियों में भी, बीमारों को खत्म कपर दिया जाता है, है, और यह बहुत ही बुरा है। इसके बजाय, बीमार व्यक्ति को, उनके इतिहास, उनके रिश्तों, पारिवारिक रिश्तों, दोस्ती, चिकित्सीय लोगों के साथ दर्द में अर्थ खोजने और कई "क्यों" का जवाब देने के लिए वापस केंद्र में लाना ज़रूरी है। जब सब कुछ खो गया लगता है, तब भी उम्मीद करना संभव है। लेकिन इसके लिए किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत होती है जो दोस्ती, निकटता और सुनने के साथ थोड़ी रोशनी, उम्मीद की लौ लेकर आए।
उपहार
संत पापा ने कहा कि ये लोग जो थोड़ा प्रकाश लाते हैं वे "दाता" हैं। उपहार का तर्क फेंकने की संस्कृति का मुख्य मारक है। हर बार जब वे देते हैं, फेंकने की संस्कृति कमजोर होती है और उपभोक्तावाद, जो हमारे जीवन को भी अपने कब्जे में लेना चाहता है, इस पुण्य कार्य से पराजित होता है। संत पापा ने कहा कि देने वाले पहले व्यक्ति स्वयं ईश्वर हैं, अपने रचनात्मक प्रेम में मनुष्य बनकर इस दुनिया में आने वाले येसु हैं। जिन्हें हम क्रिसमस में नाजुक बालक के रुप में देखेंगे। वे हमें बचाने के लिए इस दुनिया में आये।
“आइए हम उसकी नाजुकता से शक्ति, उसके आंसुओं से सांत्वना, उसकी कोमलता से साहस प्राप्त करें। और एक बार फिर "कोमलता" शब्द, को न भूलें।”
उपचार और चिकित्सा में आशा
अंत में, संत पापा ने एक "प्रांगण" के विचार पर ध्यान केंद्रित किया, एक ऐसा स्थान जहाँ एआईएल पूरे इटली में "व्यापक प्रसार कार्य के साथ" मौजूद है। संत पापा फ्राँसिस "लोगों के साथ रहने की इच्छा" पर प्रकाश डालते हैं, "कभी भी आक्रामक नहीं" उपस्थिति के माध्यम से उनके दर्द को साझा करते हैं, "भले समारी" होते हैं। यह प्रतिबद्धता एक ठोस योगदान लाती है, "ज्ञान को बढ़ाती है जो सर्वश्रेष्ठ इतालवी स्वास्थ्य सेवा परंपरा का हिस्सा है" और "उन लोगों पर ध्यान सुनिश्चित करती है जिन्हें अपनी चिकित्सा में साथ महसूस करने की आवश्यकता है"।
"आप दो आशाओं के निर्माण में एक हिस्सा हैं: उपचार के लिए आशा, हमेशा और सबसे आधुनिक तरीकों से चिकित्सा की आशा।"
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