संत पापाः राजनयिक सदस्यों हेतु ‘आशा की कूटनीति’ का प्रस्ताव
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, 09 जनवरी 2025 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने गुरुवार को वाटिकन परमधर्मपीठ से मान्यता प्राप्त राजनयिक दल के सदस्यों से वार्षिक समारोह में भेंट करते हुए सत्य, क्षमा, स्वतंत्रता और न्याय पर आधारित 'आशा की कूटनीति' के लिए अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
संत पापा फ्रांसिस ने जयंती वर्ष की विशेषता और आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करते हुए सभी राजनयिकों का अभिवादन किया और उनके लिए तैयार किये गये अपने दीर्घ संदेश को फिलिप्पों चम्पानेल्ली, पूर्वी कलीसियाओं हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के सचिव को पढ़ने का आग्रह किया।
उन्होंने 2025 में रोम शहर की यात्रा करने वाले लाखों तीर्थयात्रियों के स्वागत हेतु रोम शहर को तैयार करने के लिए इतालवी अधिकारियों के सभी प्रयासों के प्रति अपने आभार व्यक्त किये। संत पापा ने कहा कि वर्ष की शुरुआत करते हुए हम दुनिया में कई संघर्षों, आतंकवादी कृत्यों, सामाजिक तनावों और लोगों को विभाजित करने वाली नई बाधाओं को पाते हैं।
उन्होंने सभी लोगों को “टकराव के तर्क” से अलग रहने और इसके बजाय “मिलन के तर्क” को अपनाने का निमंत्रण दिया, ताकि भविष्य हमें निराशा में भटका हुआ नहीं बल्कि आशा के तीर्थयात्रियों स्वरुप शांति में भविष्य के निर्माता स्वरूप देखें, जो व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वरुप हमें आगे बढ़ाता है।”
सत्य में आशा की कूटनीति
संत पापा फ्रांसिस ने "आशा की कूटनीति" पर अपने दृष्टिकोण के बारे में कहा कि यह “शांति की शुद्ध हवाओं” के साथ युद्ध के घने बादलों को दूर कर सकती है। उन्होंने कहा कि सभी लोगों में सत्य के लिए एक सहज प्यास होती है और वे खुशखबरी सुनने को तरसते हैं जो मानवता की ज़रूरत को पूरा करती है, हम इसमें एक आशा को पाते हैं कि कोई हमें दुःख से बचाए।
उन्होंने कहा,"विश्व का शायद ही कोई कोना प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण व्यापक सांस्कृतिक परिवर्तन से अछूता रह गया हो, हम इसे वाणिज्यिक हितों में तेजी से बृद्धि स्वरुप साफ देख सकते हैं, जो उपभोक्तावाद में निहित संस्कृति का निर्माण कर रहा है।"
संत पापा ने कहा कि आशा की कूटनीति को अतः “सत्य की कूटनीति” होनी चाहिए, जो वास्तविकता, सत्य और ज्ञान को जोड़ती है ताकि मानव को वास्तविकता में एक आम भाषा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि कूटनीतिक संबंधों में भाषा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, उन्होंने शब्दों के अर्थ को बदलने या मानवाधिकार संधियों की सामग्री की एकतरफा पुनर्व्याख्या करने के प्रयासों पर दुःख जताया। उन्होंने कहा, “यह वास्तविक वैचारिक उपनिवेशवाद के एक रूप को व्यक्त करता है जो सावधानीपूर्वक नियोजित परियोजनाओं के अनुसार लोगों की परंपराओं, इतिहास और धार्मिक बंधनों को उखाड़ फेंकने का प्रयास करता है,” उन्होंने “कथित ‘गर्भपात के अधिकार’ को स्थापित करने के प्रयासों की “अस्वीकार्य” रूप में निंदा की।
घृणा से आगे बढ़ने हेतु क्षमा
संत पापा ने "क्षमा की कूटनीति" का आह्वान किया, जो पीड़ितों की देखभाल करने वाले तरीकों से घृणा और हिंसा से टूटे रिश्तों को सुधारने के तरीके प्रस्तुत करती है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यूक्रेन और गाजा में युद्धों को समाप्त करने की अपील की, और निर्दोष नागरिकों पर संघर्षों के कारण हुए भारी नुकसान की ओर राजनयिकों का ध्यान आकर्षित कराया।
उन्होंने इस बात को दुहराते हुए कहा कि युद्ध हमेशा मानवता, हमारी हार का कारण होता है, “युद्ध को और अधिक परिष्कृत तथा विनाशकारी हथियारों के कारण और भी बढ़ावा मिल रहा है।”
संत पापा फ्रांसिस ने म्यांमार, सुडान, साहेल, हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका, मोज़ाम्बिक और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी क्षेत्रों में चल रहे संघर्षों को भी याद किया। उन्होंने ख्रीस्तीय समुदायों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और यहूदी-विरोधी भावना तथा उत्पीड़न की निंदा की।
“हम अपने बीच में धार्मिक स्वतंत्रता के बिना सच्ची शांति सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं जिसमें व्यक्तिगत भावनाओं का सम्मान और सामाजिक तथा सामुदायिक रुप में विश्वास की अभिव्यक्ति शामिल है।” संत पापा ने सीरिया के भविष्य के लिए अपनी आशाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ख्रीस्तीयों सहित सभी सीरियाई लोगों को पूरे देश की भलाई हेतु कार्य करने की जरूरत है।
शांति के लिए स्वतंत्रता और न्याय
संत पापा फ्रांसिस ने “स्वतंत्रता की कूटनीति” से आह्वान किया कि वे मानव तस्करी, नशीली दवाओं की लत और आधुनिक गुलामी के अन्य रूपों के कई संकटों को समाप्त करने हेतु पहल करें। उन्होंने मानव तस्करी के कारण पीड़ितों और बेहतर जीवन की तलाश में प्रवासन के शिकार लोगों की देखभाल करने का आग्रह करते हुए, विस्थापन के मूल कारणों को दूर करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि आशा की कूटनीति, “न्याय की कूटनीति” भी है, उन्होंने कहा कि न्याय के बिना शांति स्थापित नही की जा सकती है। उन्होंने जयंती वर्ष में सभी तरह के ऋणों की माफी का आह्वान किया। “मैं हर देश में मृत्युदंड को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराता हूं, क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में न्याय बहाल करने में सक्षम साधनों में इसका कोई औचित्य नहीं है।”
पारिस्थितिक ऋण चुकाना
अंत में, संत फ्रांसिस ने मानवता के आम निवास के ऋण को याद किया, उन्होंने कहा कि देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वित्तीय संसाधनों को साझा करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “पारिस्थितिक ऋण के मद्देनजर, गरीब देशों के बाहरी ऋण को प्रभावी, रचनात्मक और जिम्मेदार नीतियों और कार्यक्रमों में बदलने के लिए प्रभावी तरीके खोजना महत्वपूर्ण है, ताकि समग्र मानव विकास को बढ़ावा दिया जा सके।”
अपने संबोधन के अंत में संत पापा ने “दो दिन पहले तिब्बत में आए भूकंप” पीड़ितों के लिए अपनी संवेदना और प्रार्थना व्यक्त की। जयंती वर्ष के शुरूआत की याद दिलाते हुए संत पापा ने वाटिकन परमधर्मपीठ से मान्यता प्राप्त राजनयिकों से कहा, कि सभी लोगों के दिलों में आशा जगे, ताकि शांति के लिए हमारी इच्छाएँ साकार हो सकें।
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