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संत पापा  फ्रांसिस, संत पापा पौल षष्ठम का सभागार संत पापा फ्रांसिस, संत पापा पौल षष्ठम का सभागार   (ANSA)

संत पापाः जीवन की एक नई शुरूआत करें

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला जो जारी रखते हुए समारी नारी के जीवन पर चिंतन किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला में कहा कि निकोदेमुस का येसु से मिलन पर विचार करने के बाद आज हम येसु को जीवन चौराहे पर खड़े होकर सही समय की प्रतीक्षा करने पर चिंतन करेंगे। यहाँ हम उन मिलनों को देखते हैं जो हमें आश्चर्यचकित करते हैं, शुरू में वे हमारे लिए अविश्वासनीय लगते हैं, लेकिन हम विवेकपूर्ण ढ़ंग से उन परिस्थितियों में हो रही घटनाओं को समझने का प्रयास करेंगे।

समारी नारी का जीवन

हम इस अनुभूति को समारी नारी जीवन में भी पाते हैं जिसका जिक्र संत योहन के सुसमाचार, चौथे अध्याय में है (4.5-26)। वह दोपहर के समय एक व्यक्ति को कुएं के पास पाने की आशा नहीं करती है, वास्तव में, उस घड़ी वह किसी की आशा नहीं करती है। वह कुआँ के पास एक असाधरण समय में पानी भरने जाती है, जब गर्मी अपनी चरम पर हो रही होती है। शायद वह नारी अपने जीवन में शर्म का अनुभव करती है, वह अपने में टीका-टिप्पणी, दोषारोपण, नसमझी का अनुभव करती है जिसके कारण वह अपने को अकेले, सभों से दूर रखती है।

येसु हमारी प्रतीक्षा करते हैं

संत पापा अपनी धर्मशिक्षा में कहते है कि गलीलिया से यूदा जाने के लिए येसु किसी और दूसरे मार्ग का चुनाव कर सकते थे जिससे उन्हें समारिया से पार होना न पड़ता। यह उनके लिए और भी सुरक्षित होता क्योंकि यहूदियों और समारियों के बीच में एक तनावपूर्ण संबंध था। इसके बादले, वे वहाँ से होकर गुजरते हैं, और उस कुएं के पास रुकते हैं, ठीक उस समय में। येसु हम सभों की प्रतीक्षा करते हैं और वे हमें अपने को उस समय पाने देते हैं जब हम किसी भी आशा को बचा नहीं पाते हैं। कुआँ, प्राचीन मध्य पूर्वी प्रांत में, मिलन का एक स्थल होता था, जहाँ कई बार शादियाँ तय होती थीं, वह मंगनी का स्थल था। येसु उस नारी को, प्रेम की चाह के सही अर्थ को समझने हेतु मदद करने की चाह रखते हैं।

येसु की इच्छा

इस मिलन को समझने हेतु चाह की विषयवस्तु को हम मूलतः पाते हैं। येसु सर्वप्रथम अपनी इच्छा को व्यक्त करते हैं, “मुझे पानी पिला दो।” वार्ता की पहल करते हुए येसु अपने को कमजोर रुप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे दूसरा व्यक्ति अपने में सहज अनुभव कर सके, वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि वह अपने में भयभीत न होती हो। प्यास को हम धर्मग्रँथ में बहुधा चाह की निशानी स्वरूप व्यक्त पाते हैं। लेकिन यहाँ येसु सर्वप्रथम उस नारी की मुक्ति चाहते हैं। संत अगुस्टीन कहते हैं, “वह जो पानी की मांग करता है, वह उस नारी के विश्वास की चाह करता है।”

संत पापा ने कहा कि निकोदेमुस रात के समय में येसु के पास आया, यहाँ हम येसु को दोपहरी के समय नारी से मिलता हुआ पाते हैं, उस समय जब अत्यधिक प्रकाश था। यह हमारे लिए एक रहस्य का प्रकटीकरण है। येसु उसे अपने को मुक्तिदाता के रुप में प्रकट करते हैं, इसके साथ ही वे उसे अपने जीवन के बारे बतलाते हैं। वे उसे अपने जीवन इतिहास को पुनः पढ़ने हेतु मदद करते हैं जो अपने में जटिल और दर्द भरा है-उसके पाँच पति हैं और इस समय वह छःवें के साथ रहती जो उसका पति नहीं है। नम्बर छटवाँ अपने में अनायास नहीं है बल्कि यह अपने में साधारणतः अपूर्णता की ओर इंगित करता है। शायद यह सातवें पति की ओर इशारा है, जो अंततः उस नारी में सच्चे प्रेम की चाह को परिपूर्णता करेंगे। और वे दूल्हें केवल येसु हो सकते हैं। 

येसु हमारी जीवन की सच्चाई को प्रकट करते हैं

श्रोताओ जब उस नारी को यह अनुभव होता कि येसु उसके जीवन को जानते हैं तो वह अपने वार्ता की विषयवस्तु को बदलती और वह धार्मिक सवाल करती है जो यहूदियों और समारियों में विभाजन का कारण बना। यह कभी-कभी हम सभों के संग भी होता है जब हम प्रार्थना करते हैं-उस समय जब ईश्वर हमारे जीवन का स्पर्श करते हैं, जहां हम अपनी समस्याओं को देखते हैं, तो हम ऐसे चिंतन में खो जाते हैं जो हमें एक सफल प्रार्थना करने का भ्रम देती है। वास्तव में, हम अपने को सुरक्षा के घेरे में रखते हैं। यद्यपि ईश्वर उन सारी चीजों से बड़े हैं, और उस समारी नारी के लिए, जिसके संग परंपरा के अनुसार उन्हें बातें नहीं करनी थी, वे सबसे बड़े रहस्य का उद्भेदन करते हैं। वे उसे पिता के बारे में कहते हैं जिनकी आराधना आत्मा और सच्चाई में करने की मांग की जाती है। और जब वह पुनः आश्चर्यचिकत होते हुए इन सारी बातों के लिए मसीह की प्रतीक्षा करने की बात कहती है, तो येसु उसे कहते हैं, “मैं, जो तुम से बोल रहा हूँ, वहीं हूँ।” यह एक प्रेम की घोषणा के समान है- “वह जिसकी प्रतीक्षा तुम कर रही हो वह मैं हूँ, जो तुम्हें प्रेम की पूर्णतः प्रदान कर सकता है।”

सुसमाचार प्रचार की शुरूआत, प्रेम की अनुभूति

उस परिस्थिति में वह दौड़ते हुए गांव वालों को बुला लाती है, क्योंकि प्रेरिताई की शुरूआत मुख्यतः प्रेम किये जाने की अनुभूति से शुरू होती है। वह किन बातों की घोषणा कर सकती थी, अगर उसे अपने इस बात का अनुभव न होता कि वह समझी गई, उसका स्वागत किया गया, और उसे क्षमा मिली। यह एक ऐसी निशानी है जो हमें सुसमाचार प्रचार करने के नए तरीकों की खोज पर विचार करने को प्रेरित करती है।

जीवन का भार येसु को अर्पित करें

संत पापा ने कहा कि प्रेम में पड़े एक व्यक्ति के जैसे, समारी नारी अपने घड़े को भूल जाती है वह उसे येसु के चरणों में छोड़ देती है। घड़ा का भार, जब वह अपने घर को लौटती, हर समय उसे अपने जीवन स्थिति, उसकी पीड़ित जीवन की याद दिलाती है। लेकिन अब वह घड़ा येसु के चरणों में छोड़ देती है। अतीत उसके लिए भार की तरह नहीं रह जाता है, वह अपने में क्षमा किये जाने का अनुभव करती है। यह हमारे लिए भी है, सुसमाचार की घोषणा हेतु सर्वप्रथम हमें अपने इतिहास के भार को येसु के चरणों तले रखने की जरुरत है, हमें अपने अतीत के बोझ को येसु को अर्पित करने की जरुरत है। केवल मेल-मिलाप किये गये लोग सुसमाचार के वाहक होते हैं।

प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम अपनी आशा न खोयें। यद्यपि हमारा इतिहास हमें भारी, जटिल और हमें बर्बाद किया लगता हो, हमारे पास सदैव यह संभावना रहती है कि हम उसे ईश्वर को सौंप दें और अपनी यात्रा पर नए सिरे से निकल पड़ें। ईश्वर दयालु हैं, वे हमेशा हमारा इंतजार करते हैं। 

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26 मार्च 2025, 14:59
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