हमें कोविड-19 के बाद की स्थिति पर विचार करना है, कार्डिनल टर्कसन
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 अप्रैल 2020 (रेई)- समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने जीवन की रक्षा करने तथा सबसे गरीब लोगों की मदद करने हेतु स्थानीय कलीसियाओं की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। संकट का सामना करने एवं भविष्य की ओर देखने हेतु पाँच कार्य दल का गठन किया गया है।
मस्सीमिलियानो मनिकेत्ती
विश्वभर में कलीसिया कोरोना वायरस के प्रभावों का सामना करने में पहली पंक्ति पर है। स्वास्थ्य देखभाल और साथ ही साथ आर्थिक एवं सामाजिक जरूरतों को पूरा करने में लघु और दीर्घ योजनाओं की आवश्यकता है। जब कोविड -19 को दूर करने के लिए वैक्सिन और चिकित्सा का परिक्षण जारी है, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 2020 के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्वानुमान में 3% की गिरावट की बात कही गई है। अनुमान है कि यह गिरावट 1930 के दशक में हुए "ग्रेट डिप्रेशन" से भी बदतर होगी। इसी पृष्टभूमि पर समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने जोर दिया है कि “एक संकट के द्वारा दूसरे संकट उत्पन्न होते हैं और इस चक्र में हम हमारे आमघर की देखभाल करने के लिए धीरे से और कष्ट से सीखेंगे। जैसा कि संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक विश्व पत्र में नबी के समान में शिक्षा दी है।"
प्रश्न- कोरोना वायरस संकट के मामले में संत पापा से आपकी कई मुलाकातें हुई हैं। वे आपको किस बात की चिंता व्यक्त करते हैं?
उत्तर- संत पापा वर्तमान में कोविड-19 से विश्व में उत्पन्न संकट एवं क्षितिज पर नाटकीय परिदृश्यों के लिए चिंता व्यक्त करते हैं। उन्होंने हमें समय नहीं गँवाने और तत्काल काम में लगने की सलाह दी है क्योंकि हम एक ऐसे परिषद के सदस्य हैं जो संदर्भ बिंदु है। हमें अभी काम करना है और हमें शीघ्र सोचना है कि आगे क्या होगा।
प्रश्न- आपके परिषद को क्या आदेश मिला है और आपका क्या मिशन है?
उत्तर – संत पापा ने हमें दो मुख्य कार्य सौंपे हैं। आज पहली चिंता है: संत पापा और कलीसिया के समर्थन के ठोस संकेत, तत्काल, सावधानी पूर्वक और समय पर देने की आवश्यकता। हमें इस संकट में अपना सहयोग देना है। यह स्थानीय कलीसियाओं को समर्थन देने, जीवन की रक्षा करने और गरीबों की मदद करने की पहल है। दूसरी चिंता है भविष्य का। यह परिवर्तन से संबंधित है। संत पापा यह निश्चित रूप से जानते हैं कि हम महत्वपूर्ण परिवर्तन से होकर गुजर रहे हैं और वे चिंतन कर रहे हैं कि संकट के बाद क्या स्थिति आयेगी। महामारी के बाद किस तरह की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति से गुजरना पड़ेगा और कलीसिया किस तरह अपने आपको विश्व को दे पायेगी जिसने इस आकस्मिक घटना में बहुत कुछ खो दिया है। इसके बारे में उन्हें सहयोग देना हमारा दूसरा कार्य है। पोप ने हमें रचनात्मकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कल्पना, वैश्विक सोच तथा स्थानीय जरूरतों को समझने के लिए कहा है।
प्रश्न- इन कार्यों को आप किस तरह तैयार कर रहे हैं?
उत्तर – हमने पाँच कार्य दल तैयार किया है। संत पापा के साथ हमारी दो बैठकें हो चुकी हैं। हमने संकट के समय कार्य करने एवं भविष्य की तैयारी हेतु सम्पर्क करने के लिए एक आम केंद्र का निर्माण भी किया है। हमारा कार्य विचारों और कार्रवाई का है। हमें इस समय ठोस कार्रवाई करना है और हम इसे कर भी रहे हैं। हमें आज के बाद को भी देखना है उस कठिन यात्रा के लिए तैयार होना है जो हमारी प्रतीक्षा कर रही है। यदि हम कल के बारे नहीं सोचते हैं तो हम अपने आप को तैयार नहीं कर पायेंगे। आज के लिए कार्य करना और कल के बारे सोचना एक ही चीज नहीं है। हम दोनों में से एक का सामना नहीं कर रहे हैं बल्कि दोनों का सामना कर रहे हैं। हमारा परिषद, वाटिकन राज्य सचिव, संचार विभाग, अंतरराष्ट्रीय करीतास, जीवन एवं विज्ञान के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी, संत पापा के दान विभाग, सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ और वाटिकन स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर रहे हैं। हमने अपने परिषद एवं परमधर्मपीठ के अन्य विभागों के साथ सहयोग करने का एक नया तरीका खोज लिया है। यह कलीसिया की एकता एवं उसकी प्रतिक्रिया व्यक्त करने की क्षमता को दर्शाता है।
प्रश्न – विभिन्न विभागों के साथ आप किस तरह कार्य करेंगे?
उत्तर –कलीसिया के नेटवर्क में हर देश महत्वपूर्ण है। करीतास असाधारण कार्य करता है। हम जो कुछ भी करेंगे रोम और स्थानीय कलीसियाओं के साथ मिल कर कार्य करेंगे। यह टीम संत पापा और कलीसिया की सेवा में समर्पित है। हमारा मिशन स्थानीय कलीसिया के कार्यों का स्थान लेना नहीं बल्कि उनकी मदद करना और उनके द्वारा मदद पाना है। हम एक-दूसरे की सेवा में हैं। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो इस समय को नहीं समझ पायेंगे जिसमें हम जी रहे हैं। इसी के द्वारा कलीसिया अपनी सर्वभौमिकता को प्रकट करती है।
प्रश्न- भविष्य के बारे आज सोचना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर- यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आसपास जो हो रहा है उसपर तत्काल तर्क करना शुरू करें जिससे कि हम बिना तैयारी के नहीं रहेंगे। स्वास्थ्य संकट ने अर्थव्यवस्था पर आघात कर चुका है। जिसके कारण सामाजिक संकट का खतरा बढ़ सकता है यदि इसका सामना करने के लिए तत्काल कोई कदम न उठाया जाए। एक संकट से दूसरे संकट उत्पन्न हो सकते हैं जिसके चक्र में, हम धीरे से एवं कष्ट के साथ आमघर की देखभाल करना सीख सकते हैं जैसा कि संत पापा फ्राँसिस ने प्रेरितिक विश्व पत्र लौदातो सी में नबी के समान शिक्षा दी है।
भविष्यवाणी के लिए साहस की आवश्यकता है। संत पापा ने इसे उर्बी एत ओरबी संदेश में स्पष्ट किया है। यह उदासीनता, स्वार्थ या विभाजन का समय नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया पीड़ित है और इस महामारी का सामना करने के लिए एक साथ आने की जरूरत है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों मे ढील देने की आवश्यकता है जो नागरिकों को पर्याप्त सहायता प्रदान करने में कठिनाई उत्पन्न करते हैं। यह सभी राष्ट्रों को सबसे बड़ी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाने का समय है। यह गरीबों देशों के कर्ज को कम करने या माफ करने का समय है। यह परिवर्तनात्मक समाधानों का सहारा लेने का समय है। यह दुनिया के सभी कोनों में वैश्विक और तत्काल संघर्ष विराम के आह्वान में शामिल होने हेतु साहस जुटाने का समय है। यह हथियार बनाने और तस्करी जारी रखने का समय नहीं है, इसके लिए बड़ी मात्रा में पूंजी खर्च करने बजाय, लोगों को चंगा करने और जीवन बचाने के लिए उसका उपयोग किया जाना चाहिए।
प्रश्न- आज हम सभी इस अग्नि परीक्षा को किस तरह जीने के लिए बुलाये गये हैं?
उत्तर- आज हम फिर एक बार अपनी कमजोरियों को समझ रहे हैं। सबसे बढ़कर हम यह समझ रहे हैं कि आमघर के समान पृथ्वी पर निवास करना, हमसे अधिक मांग कर रहा है। यह हमें सृष्टि के संसाधनों को सार्वजनिक संसाधनों के समान अधिक एकात्मता के साथ प्रयोग करने का आग्रह कर रहा है। अनुसंधान एवं तकनीकी के परिणामों को हमारे आमघर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए अधिक एकात्मकता के साथ लागू करने की मांग कर रहा है। इसमें हम ईश्वर को पाते हैं जिन्होंने हमें यह बुलाहट प्रदान की है कि हम एक-दूसरे के प्रति एकात्मता की भावना रखें। हम कई महत्वपूर्ण चीजों के मूल्यों को देख पा रहे हैं जिनको कम मूल्यवान नहीं समझते थे। जैसा कि संत पापा ने 27 मार्च को कहा था, “यह तूफान हमारी क्षणभंगुरता को उजागर करता है और उन झूठी एवं सतही निश्चितताओं को प्रकट करता है जिनके चारों ओर हमने अपने दैनिक कार्यक्रम, अपनी परियोजनाएं, अपनी आदतों और प्राथमिकताओं का निर्माण किया है।”
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