महाधर्माध्यक्ष पेना पर्रा ने नये राजदूतावास का उद्घाटन किया
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
नये राजदूतावास का उद्घाटन करते हुए पूर्वी तिमोर के सरकारी प्रतिनिधियों गणमान्य व्यक्ति और अतिथि को सम्बोधित कर, महाधर्माध्यक्ष पेना पर्रा ने कहा, "यह संत पापा फ्राँसिस की आशा है कि नया प्रेरितिक राजदूतावास, चिंता और देखभाल के एक ठोस चिन्ह के रूप में कार्य करेगा, जिसको संत पापा ने इस देश की भूमि के लोगों के प्रति प्रदर्शित की है।"
वाटिकन राज्य सचिव के सामान्य मामलों के स्थानापन्न महाधर्माध्यक्ष पेना पर्रा नये राजदूतावास के उद्घाटन तथा देश के नेताओं एवं समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने हेतु पूर्वी तिमोर गये हैं। उन्होंने राजधानी डिलि में उद्घाटन समारोह में भाग लेने आये सभी अतिथियों का स्वागत किया। उनमें राष्ट्रपति रामोस होरता, नोवेल शांति पुरस्कार विजेता (1996) शामिल थे।
पूर्वी तिमोर, 500 वर्षों का काथलिक विश्वास
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि नया प्रेरितिक राजदूतावास पूरी तरह हरे रंग से रंगा हुआ है जो संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक विश्व पत्र "लौदातो सी" की याद दिलाता है। यह परमधर्मपीठ एवं पूर्वी तिमोर के बीच एक अच्छे संबंध के संरचनात्मक सामंजस्य की चाह को प्रतिबिम्बित करता है। नये राजदूतावास का उद्घाटन ऐसे समय में हुआ है जब देश की आजादी एवं राजनयिक संबंध स्थापित किये जाने का 20वाँ वर्षगाँठ मनाया जा रहा है। जो काथलिक कलीसिया के जीवन और सेवा के विभिन्न पहलुओं एवं देश में सेवा के विभिन्न आयामों पर 2015 के समझौता के द्वारा, दोनों देशों के बीच बड़ी प्रगति को भी दर्शा रहा है।
मानवीय भाईचारा पर दस्तावेज, युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक
संत पापा फ्राँसिस ने हाल ही में डिलि के महाधर्माध्यक्ष विर्जिलियो दो कार्मो दा सिल्वा को कार्डिनल नियुक्त किया है। महाधर्माध्यक्ष पेना पर्रा ने बड़े संतोष के साथ संसद के निर्णय को रेखांकित किया, जिसने 2019 में अबुधाबी में विश्व शांति एवं सहअस्तित्व को बढ़ावा देने हेतु पोप फ्राँसिस एवं अल अजहर के ग्रैंड इमाम अहमद अल तायेब द्वारा हस्ताक्षरित मानव बंधुत्व को स्वीकार किया है। दस्तावेज को अब स्कूल के पाठ्यक्रम में रखा गया है। यह उन युवाओं को मार्गदर्शन दे सकता है जो अच्छे नागरिक बनना चाहते हैं न केवल अपने देश के बल्कि विश्व के भी। इसके लिए सभी लोगों की आंतरिक गरिमा को पहचानना होगा कि हम पिछले दर्द से सच्चा मेल-मिलाप और शांति प्राप्त कर सकते हैं और भावी पीढ़ियों के लिए एक न्यायसंगत और समृद्ध समाज बना सकते हैं।"
नमक, एक भ्रातृत्व का प्रतीक
महाधर्माध्यक्ष ने भावी पीढ़ी की शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। संत पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सन् 1989 में देश में ख्रीस्तयाग अर्पित करने की याद करते हुए उनके शब्दों में महाधर्माध्यक्ष ने उन्हें पृथ्वी के नमक बनने का प्रोत्साहन दिया जो स्वाद बढ़ाता एवं सुरक्षित रखता है। उन्होंने कहा कि नमक भाईचारा का प्रतीक है साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्वी तिमोर के लोग न केवल मेल-मिलाप करते बल्कि मेल-मिलाप कराते भी हैं। उन्होंने इसे भ्रातृत्व का स्वाद बताया जो शांति प्राप्त करने के लिए अति आवश्यक है।
अंतरधार्मिक सौहार्द मानवता को मदद देता है
नमक भाईचारा का स्वाद देता एवं शांति पूर्ण सहअस्तित्व को सुरक्षित रखता है। उन्होंने उनकी शिक्षा और पालन पोषण के लिए धन्यवाद दिया। महाधर्माध्यक्ष ने प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों और विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में मानव बंधुत्व पर दस्तावेज़ को अपनाने के लिए संसद में पूर्वी तिमोर के निर्णय के लिए भी धन्यवाद दिया।
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