यूक्रेन का एक ध्वस्त गिरजाघर यूक्रेन का एक ध्वस्त गिरजाघर  (AFP or licensors)

पोप फ्राँसिस, परमधर्मपीठ यूक्रेन में शांति की खोज के लिए प्रतिबद्ध

वाटिकन विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल रिचार्ड गल्लाघर ने कहा है कि संत पापा फ्राँसिस के नेतृत्व में परमधर्मपीठ यूक्रेन में शांति की खोज के लिए प्रयासरत है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के एक साल बाद, महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गलाघर, ने इस भयानक युद्ध को समाप्त करने के लिए परमधर्मपीठ की कूटनीतिक कार्रवाई के बारे में वाटिकन मीडिया से बात की। इस कार्रवाई के पीछे, उन्होंने कहा, "यूक्रेन में शांति की अपील" के साथ "संत पापा की पहल" है।

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, हम हमेशा लोगों को "इस युद्ध की क्रूरता, इस युद्ध की दुष्टता" की याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, और "भविष्य की बातचीत" की आशा के लिए खुले हैं जो शांति की ओर ले जा सकती है।

उन्होंने कहा, मुझे कोई संदेह नहीं है कि सभी यूक्रेनी शांति का सपना देखते हैं; यह सामान्य है। जब माता-पिता अपने बच्चों को देखते हैं, तो वे आशा करते हैं कि वे एक शांतिपूर्ण देश में बड़े हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस समय रूस और रूस के साथ स्पष्ट रूप से तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, कठिनाइयों के बीच भी, उन्हें इस सपने को पूरा करना चाहिए।

पिछले मई में यूक्रेन की अपनी यात्रा को याद करते हुए, जिसमें उन्होंने कहा, कि इसने उन्हें "गहराई से बदल" दिया। उन्होंने समझाया कि युद्ध के बावजूद कीव में रहने का प्रेरितिक राजदूत का निर्णय यूक्रेन के लोगों की पीड़ा को साझा करने की इच्छा को इंगित करता है, एक निर्णय परमधर्मपीठ की कूटनीति का ही हिस्सा है।

महाधर्माध्यक्ष पौल रिचार्ड गलाघर के साथ साक्षात्कार

महामहिम, रूसी संघ द्वारा यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर आक्रमण पिछले साल 24 फरवरी को शुरू हुआ था। युद्ध थमता नहीं दिख रहा है। किस तरह परमधर्मपीठ की कूटनीति इस युद्ध को समाप्त करने और शांति लाने में योगदान दे रही है?

महाधर्माध्यक्ष गलाघर : परमधर्मपीठ की कूटनीति सबसे बढ़कर संत पापा की पहल द्वारा निर्देशित है और जारी है। वे ही है जो यूक्रेन में शांति के लिए अपनी अपीलों को दोहराना जारी रखे हैं, अपनी प्रार्थनाओं और अपनी बातचीत में, आमदर्शन समारोह में और हर रविवार को देवदूत प्रार्थना दोनों के दौरान। और हम उनके नेतृत्व का अनुसरण करते हैं। हम हमेशा ध्यान में रखने की कोशिश करते हैं, जैसा कि कई अन्य कर रहे हैं, अत्याचार, इस युद्ध की क्रूरता जिसमें कई लोग पीड़ित हैं, मौत के शिकार हुए हैं, घायल हैं, बिखरे हुए परिवार हैं। हम हमेशा हितधारकों के प्रति एक निश्चित खुलापन रखते हुए, भविष्य के लिए बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इस भयानक युद्ध को समाप्त किया जा सके।

मुझे लगता है कि यह हमारी भूमिका है। जबकि खुद यूक्रेन के लिए और कई अन्य लोगों के लिए संवाद और शांति, मेल-मिलाप की बात करना मुश्किल है, इसे कलीसिया, परमधर्मपीठ और संत पापा कर सकते हैं और इसे उन्हें करना चाहिए, और यह मौलिक है: शांति के सपने को मन में रखते हुए। हम समझते हैं कि पीड़ा के इस भयानक समय में कई लोगों के लिए शांति के बारे में इन शब्दों में सोचना कितना मुश्किल है, लेकिन किसी को ऐसा करना होगा क्योंकि अंत में इस भयानक युद्ध का एक निष्कर्ष होगा, और हम आशा करते हैं कि इस का अंत जल्दी ही हो जाए।

परमधर्मपीठ की कूटनीतिक कार्रवाई के दृष्टिकोण से, कौन से तत्व यूक्रेन में इस युद्ध को अन्य युद्धों के संबंध में विशेष बनाते हैं?

सबसे पहले, हमें यह उल्लेख करना होगा कि यह युद्ध यूरोप में है। द्वितीय विश्व युद्ध के अनुभव के बाद हम यूरोपवासियों ने सोचा कि युद्ध फिर कभी नहीं होगा और अब हम वास्तविकता देखते हैं। यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह दो देशों के बीच का युद्ध है जो एक लंबा इतिहास, कई सांस्कृतिक पहलुओं और कम से कम धार्मिक आयाम साझा करते हैं। इसलिए, यह इस युद्ध को विशेष रूप से समस्याग्रस्त बना दिया है। सभी युद्ध भयानक हैं, लेकिन यह युद्ध हमें एक ऐसी स्थिति के सामने रख दिया है जो सभी के लिए बहुत कठिन है, क्योंकि रूस के कार्यों की गंभीरता को पहचानते हुए, हम देखते हैं कि रूस एक बहुत ही महत्वपूर्ण देश है, एक लंबा इतिहास वाला देश है, और अंत में हमें भविष्य में हमें इस रूस के साथ शांति, संबंधों का पुनर्निर्माण करना होगा। और यह युद्ध की प्रगति को भी विशेष रूप से कठिन बना दिया है।

आपने पिछले साल मई में यूक्रेन का दौरा किया था। इस यात्रा का आपके लिए क्या मतलब था?

इसका मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा। जब कोई जाता है और लोगों की पीड़ा का स्पर्श करता है, जब कोई उन्हें देखता है, जैसा कि मैंने बुचा और अन्य शहरों में देखा, तब युद्ध की सच्चाई, लोगों की पीड़ा, इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इन लोगों के घावों को छूना, यह आपको हमेशा के लिए बदल देता है। यह सैद्धांतिक नहीं है, एक टेलीविजन समाचार नहीं है। यह एक सच्चाई है, लोगों की पीड़ा है। यह मेरे लिए ऐसा ही था। वहां मौजूद होने के अनुभव ने, लोगों की पीड़ा को देखते हुए, लोगों के साहस को देखते हुए और स्थिति की जटिलता को देखते हुए, मुझे बहुत बदल दिया।

महामहिम, यूक्रेन में प्रेरितिक राजदूत, महाधर्माध्यक्ष विस्वाल्दास कुलबोकास, उन तीन राजनयिकों में से एक हैं जो युद्ध के पहले दिन से काम करने के लिए कीव में बने हुए हैं। यह निर्णय कैसे लिया गया और परमधर्मपीठ के लिए इसका क्या अर्थ था कि वह, राजदूत, वहीं रहे?

वास्तव में, कोई निर्णय नहीं लिया गया; यह अनायास हुआ। हम सभी को मोनसिन्योर विस्वालदास पर बहुत गर्व है, जो अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस मिशन को बड़े साहस के साथ, बड़े संकल्प के साथ पूरा कर रहे हैं। यह हमारी कूटनीति की परंपरा का हिस्‍सा है। दमिश्क, सीरिया में कार्डिनल जेनारी के बारे में भी सोचें। वे भी वहीं रहे- अब 10 साल से ज्यादा हो गए हैं, मुझे लगता है कि लगभग 12 साल- सीरिया में इस युद्ध के बावजूद। यह हमारी परंपरा का हिस्सा है, क्योंकि हमारी प्रतिबद्धता विशुद्ध कूटनीतिक अर्थों में राजनीतिक प्रतिबद्धता नहीं है; यह लोगों के प्रति, कलीसिया के प्रति प्रतिबद्धता है। और यदि कभी-कभी, एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से, राजदूतों को निष्कासित कर दिया गया है - उदाहरण के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और हाल ही में - हम इन चीजों को स्वेच्छा से नहीं करते हैं; यह कुछ ऐसा होता है। हम कह सकते हैं कि रहने, लोगों की पीड़ा को साझा करने का विचार हमारी कूटनीति का हिस्सा है। पोप लोगों पर बलिदान और पीड़ा नहीं थोपना चाहते, लेकिन वे चाहते हैं कि एकजुटता की यह भावना, उनकी यह व्यक्तिगत निकटता उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रकट हो।

आपकी राय में, यूक्रेन के लोग इस जारी आक्रामकता का सामना करते हुए शांति की आकांक्षा कैसे कर सकते हैं, एक शांति, जिसका पोप फ्राँसिस लगातार आह्वान कर रहे हैं?

मुझे कोई संदेह नहीं है कि सभी यूक्रेनी शांति का सपना देखते हैं; यह स्वभाविक है। जब माता-पिता अपने बच्चों को देखते हैं, तो वे आशा करते हैं कि वे एक शांतिपूर्ण देश में बड़े हों। इस समय रूस और रूस के साथ स्पष्ट रूप से तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, कठिनाइयों के बावजूद, उन्हें इस सपने को पूरा करना चाहिए। हालाँकि, उन्हें भी संरक्षित करना चाहिए - शायद स्वतंत्रता के वर्षों को याद करके, शांति के वर्षों को जो उस देश ने अपनी स्वतंत्रता के बाद अनुभव किया था - उन्हें भविष्य को एक निश्चित आशावाद के साथ देखना चाहिए, जो पहले से ही देश के पुनर्निर्माण के बारे में सोचने का प्रयास कर रहे हैं। देश में पुनर्निर्माण और सामंजस्य के लिए बहुत कुछ करना होगा।

 

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23 February 2023, 17:20