वाटिकन में चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना वाटिकन में चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना  (Vatican Media)

कार्डिनल कान्तालामेस्सा का पाँचवा चालीसाकालीन उपदेश

वाटिकन में परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों के लिये जारी चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना के पाँचवें उपदेश में आध्यात्मिक साधना की अध्यक्षता कर रहे कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने शुक्रवार को शिष्यों से कहे प्रभु येसु के अन्तिम शब्दों पर चिन्तन प्रस्तुत किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 31 मार्च 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों के लिये जारी चालीसाकालीन आध्यात्मिक साधना के पाँचवें उपदेश में आध्यात्मिक साधना की अध्यक्षता कर रहे कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने शुक्रवार को शिष्यों से कहे प्रभु येसु के अन्तिम शब्दों पर चिन्तन प्रस्तुत किया।

ढारस रखो

"संसार में तुम्हें क्लेश सहना पड़ेगा, परन्तु ढारस रखो, मैंने संसार पर विजय पायी है।" इस धरती से जाने से पूर्व अपने शिष्यों से कहे प्रभु येसु के इन शब्दों को दुहराते हुए कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि "ढारस रखो" साधारण शब्द नहीं हैं, क्योंकि जाने से पहले प्रभु येसु ये भी कहते हैं, "मैं तुम लोगों को अनाथ छोड़कर नहीं जाऊँगा मैं तुम्हारे पास आऊँगा"

उन्होंने कहा कि इन शब्दों का अर्थ समझकर ही हम कलीसिया की यथार्थ और सच्ची प्रकृति के मर्म को समझ सकते हैं। सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित प्रभु येसु के अन्तिम शब्द कलीसिया को प्रदत्त महान धरोहर है जिसे संजोकर रखना प्रत्येक खीस्तानुयायी का दायित्व है।

पवित्रआत्मा का आश्वासन

कार्डिनल महोदय ने कहा कि प्रभु येसु ने जाने से पूर्व शिष्यों को पवित्रआत्मा का आश्वासन दिया था, हालांकि उन्होंने कहा था कि वे स्वयं हमारे बीच पुनः प्रकट होंगे। उन्होंने कहा कि इसी में हम पुनर्जीवित ख्रीस्त तथा पवित्रआत्मा के बीच विद्यमान सम्बन्ध के रहस्य को पाते हैं। यह सम्बन्ध इतना निकट एवं रहस्यमय है कि सन्त पौल कभी-कभी इसमें अपनी पहचान करने लगते हैं, कुरिन्थियों को प्रेषित दूसरे पत्र के तीसरे अध्याय के 17 वें पद में सन्त पौल लिखते हैं, "क्योंकि प्रभु तो आत्मा है, और जहाँ प्रभु का आत्मा है, वहाँ स्वतंत्रता है।"

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा कि धर्मग्रन्थ का उत्तर यह है कि पवित्र आत्मा, मुक्ति के कार्य के साथ, "मसीह का आत्मा" बन गया है; यह वह मार्ग है जिसमें पुनर्जीवित ख्रीस्त, जैसा कि सन्त पौल रोमियों को लिखते हैं, "मृतकों में से जी उठने के कारण पवित्रआत्मा द्वारा पूर्ण सामर्थ्य सहित ईश्वर के पुत्र प्रमाणित हुए" (रोमियों 1:4)। उन्होंने कहा कि इसीलिये प्रभु येसु ख्रीस्त शिष्यों से कह सके कि "यह अच्छा है कि मैं जा रहा हूँ," और आगे कहते हैं, "लेकिन मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा।"

ईश्वर सृष्टि में सदैव सक्रिय

कार्डिनल कान्तालामेस्सा ने कहा, हमें कलीसिया के उस दर्शन से छुटकारा पाना चाहिए जो बहुत से विश्वासियों की चेतना पर हावी हो गया है। मैं इसे एक देववादी या कार्टेशियन छवि कहता हूं, जिसमें ईश्वर और दुनिया के बीच संबंध की कल्पना कमोबेश इस तरह हुई: ईश्वर ने पहले संसार का निर्माण किया और फिर पीछे हट गए तथा इसे उन कानूनों के अनुसार विकसित होने दिया जो उन्होंने इसे दिया था - एक घड़ी की तरह जिसे अपने आप अनिश्चित काल तक चलने के लिए छोड़ दिया गया। इसमें ईश्वर के कोई भी नये हस्तक्षेप की बात नहीं थी। इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि ईश्वर सृष्टि की रचना में सदैव सक्रिय एवं क्रियाशील रहते हैं। वे सृष्टि को नित्य नया करते रहते हैं।

इस सिद्धान्त को कलीसिया पर लागू करते हुए कार्डिनल महोदय ने कहा कि इसका अर्थ है कि मसीह ने कलीसिया की स्थापना की, इसे कार्य करने के लिए आवश्यक सभी पदानुक्रमित और पवित्र संरचनाओं के साथ संपन्न किया, और स्वर्गारोहण के क्षण में इसे स्वतः संचालित होने के लिये छोड़ दिया। तथापि, उन्होंने कहा कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है क्योंकि येसु मसीह अनवरत कलीसिया के संग हैं। सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के अनुसार, "याद रखो संसार के अन्त तक मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

कार्डिनल ने कहा कि प्रत्येक नए तूफान के साथ, वर्तमान सहित, वे यही दुहराते हैं जो उन्होंने तूफान को शांत  करने की घटना के वक्त प्रेरितों से कहा था,  "अल्पविश्वासियों, तुम क्यों डरते हो?" (मत्ती 8:26)।

उन्होंने कहा कि ख्रीस्त के अनुयायियों को यह याद रखने की नितान्त आवश्यकता है कि येसु की उपस्थिति  पुनर्जीवित प्रभु की उपस्थिति है जो हर समय और स्थान में आत्मा की शक्ति में कार्य करता और हमारे भीतर कार्य करता है।

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31 March 2023, 11:12