महाधर्माध्यक्ष गालाघेर: युद्ध केवल कूटनीति और मेल-मिलाप से अंत होता है
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
लिकटेंस्टीन, बुधवार 26 अप्रैल 2023 (वाटिकन न्यूज) : "हम सभी शांति के भूखे हैं, और यह शांति सुलह के रास्ते पर चले बिना हासिल नहीं की जा सकती।" महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गालाघेर ने 24 अप्रैल को लिकटेंस्टीन में दिए गए वाटिकन डिप्लोमेसी पर एक सम्मेलन में इस रुख की पुष्टि की।
राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों के लिए वाटिकन सचिव दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा के लिए यूरोपीय रियासत में थे जो मंगलवार को समाप्त हुई।
"कूटनीति और सुसमाचार" शीर्षक भाषण में महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने परमधर्मपीठीय कूटनीति में एक व्यापक श्रेणी की अंतर्दृष्टि दी, जो सुसमाचार से प्रेरित है, "हमेशा शांति और मानवीय गरिमा के पक्ष में, दया के साथ सुलह को बढ़ावा देने के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में है।”
उन्होंने कहा कि वास्तव में सुसमाचार "शांति की ओर बढ़ने की शिक्षा देता है", युद्ध, आक्रोश और घृणा के सर्पिल पर काबू पाने और लोगों और राष्ट्रों को "बातचीत के मार्ग पर और आम भलाई की खोज में" मार्गदर्शन करता है।”
परमाध्यक्षीय कूटनीति निष्पक्ष है
वाटिकन के प्रतिनिधि ने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि "परमाध्यक्षीय कूटनीति में सत्ता का कोई हित नहीं है: न तो राजनीतिक, आर्थिक और न ही वैचारिक", राज्यों के विपरीत, "जो अपने स्वयं के हितों पर ध्यान देते हैं"। उनकी एकमात्र चिंता मानवता के सामान्य भलाई को बढ़ावा देना है। इसलिए, वे "अधिक स्वतंत्रता के साथ एक पक्ष के कारणों को दूसरे पक्ष के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं, और प्रत्येक पक्ष की उन जोखिमों की निंदा कर सकते हैं जो एक स्व-संदर्भित दृष्टि हर किसी के सामने आ सकती है।"
यह दिखाता है कि आपातकालीन स्थितियों में, जैसे कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध में, विश्व नेता संत पापा फ्राँसिस में "एक नैतिक अधिकार और एक उल्लेखनीय संदर्भ बिंदु की तलाश करते हैं और इस हद तक कि वे उनके हस्तक्षेप और मध्यस्थता का आह्वान करते हैं", हालांकि दुर्भाग्य से, रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करने के संत पापा और परमधर्मपीठ के प्रयासों ने अब तक कोई प्रगति नहीं की है।
हथियारों के विकल्प के रूप में कूटनीति
महाधर्माध्यक्ष ने टिप्पणी की कि दुनिया में चल रहे कई संघर्षों को हल करने में कूटनीति की विफलता के पीछे जो दिखाई देता है, जिसे संत पापा फ्राँसिस ने अक्सर "खंडित तीसरे विश्व युद्ध" के रूप में वर्णित किया है, वह भी विशाल "धन और हथियारों का प्रवाह" है, जो संघर्ष को समर्थन और ईंधन देता है," जैसा कि संत पापा ने बारंबार इसे आगाह किया है।
यही कारण है कि परमधर्मपीठ समर्थन करता है और संत पापा दृढ़ता से जोर देते हैं, एक कूटनीति जो "हथियार, हिंसा और आतंक के विकल्प के रूप में लोगों और राष्ट्रों के बीच एकजुटता के वाहक के रूप में" अपनी भूमिका को फिर से खोजे, जो "बातचीत, सहयोग और सुलह के लिए वाहन" के रूप में कार्य करता है और "मुलाकात और संवाद के साथ बल के उपयोग को बदलने में सक्षम है।"
"हम कह सकते हैं कि अपनी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति में, परमधर्मपीठ ने हमेशा इस "सक्रिय गुण" को बढ़ावा दिया है जिसे संत पापा फ्राँसिस ने स्वयं "शांति का साहस" कहा है, जिसका अर्थ है "हर कीमत पर संवाद में बने रहने की शक्ति, ईश्वर की महिमा और सभी की भलाई के लिए, सम्मानजनक और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बढ़ते हुए मजबूत ताने-बाने को दिन-ब-दिन बुनता है। युद्ध करने से कहीं अधिक शांति बनाने के लिए साहस की आवश्यकता होती है।
मानवाधिकारों को बनाए रखने और संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में सुधार करने की आवश्यकता है
अपने भाषण के दूसरे भाग में, महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए "भाईचारे की भावना" में प्रयास करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, ताकि युद्ध के बाद के नए आदेश की नींव के रूप में अपनाई गई मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की विरासत “आज भी हमारे समाजों के निर्माण के लिए सामान्य क्षितिज का संकेत दे सके।”
बहुपक्षीय प्रणाली के गहरे संकट का सामना करते हुए, वेeटिकन के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में "सभी लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अधिक प्रतिनिधि तरीके से" सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, इसके लिए पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन और "हेलसिंकी की भावना" की बहाली की आवश्यकता है।
“विशेष रूप से यूक्रेन में वर्तमान युद्ध ने, उसी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के भीतर, बहुपक्षीय प्रणाली और बड़े संगठनों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के गहरे संकट को दिखाया है। सभी लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, अधिक प्रतिनिधि तरीके से, इस संगठन के कामकाज में सुधार कितना जरूरी है! इसके लिए पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन और पुनर्प्राप्ति की आवश्यकता है, जैसा कि राज्य के कार्डिनल सचिव पिएत्रो पारोलिन ने अक्सर "हेलसिंकी की आत्मा" पर जोर दिया है।
कलीसिया के लिए दया एक राजनयिक श्रेणी है
अपने भाषण के अंतिम भाग में, महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने याद किया कि परमधर्मपीठ की कूटनीति के मूल में दया है, जो "कलीसिया के लिए भी एक राजनीतिक और राजनयिक श्रेणी बन जाती है और "घृणा एवं बदला की जंजीरों को तोड़ने में सक्षम है।"
हमें यूक्रेन में शांति के लिए भी सोचना चाहिए। वाटिकन के धर्माध्यक्ष ने कहा, "इस दया के संकेत में हम खुद को इस तथ्य से अलग नहीं कर सकते हैं कि यूक्रेन में युद्ध दुखद और अकल्पनीय परिणामों के साथ लंबे समय तक जारी रह सकता है।" "भले ही इस समय बातचीत के लिए कोई रास्ता नहीं दिख रहा हो, हमें यह विश्वास करते हुए कभी भी आशा नहीं खोनी चाहिए कि यह युद्ध समाप्त हो जाएगा, भले ही यह राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की या राष्ट्रपति पुतिन द्वारा की गई कल्पना के आधार पर समाप्ति न हो।"
"हम सभी न्यायोचित शांति चाहते हैं, लेकिन शांति अवश्य आनी चाहिए और इसे प्राप्त करने के लिए, यदि आवश्यक हो, तो हमें "अकल्पनीय सोचना" भी चाहिए।
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