कार्डिनल ताग्ले : मैंने कोंगो में विश्वास की खुशी महसूस की
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
पीड़ित लोगों के प्रति कलीसिया का सामीप्य व्यक्त करने के लिए अफ्रीका के केंद्र की यात्रा, इसी मनोभाव के साथ कार्डिनल लुइस अंतोनियो ताग्ले, देश के दक्षिण स्थित लुबुम्बाशी में हाल के दिनों में आयोजित तीसरी राष्ट्रीय यूखरीस्तीय कांग्रेस में भाग लेने के लिए पोप के विशेष दूत के रूप में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य पहुँचे थे।
सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के उपाध्यक्ष ने उत्तरी किवु प्रांत की राजधानी गोमा का भी दौरा किया, जहां की जनता वर्षों से सरकारी बलों और एम23 मिलिशिया के बीच हिंसा और सशस्त्र झड़पों से पीड़ित है। वाटिकन मीडिया के साथ इस साक्षात्कार में, कार्डिनल ने कांगो के ख्रीस्तीयों के साक्ष्य की ताकत और पोप फ्रांसिस के साथ उनके विशेष संबंध पर प्रकाश डाला।
कार्डिनल ताग्ले, आप अभी डीआर कांगो का दौरा करके लौटे हैं जहां आपने पोप फ्रांसिस के विशेष दूत के रूप में लुबुंबाशी में राष्ट्रीय यूखरीस्तीय कांग्रेस में भाग लिया। कांगो के लोगों और कांगो की कलीसिया के बारे में किस बात ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया?
हम कांगो के लोगों और कांगो के काथलिकों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। सबसे पहले आप उनमें खुशी देखते हैं, एक खुशी जो रहस्यमय है क्योंकि हम जानते हैं कि ये वे लोग हैं जो पीड़ित हैं। तो इस खुशी का रहस्य क्या है? यह प्रभु में उनका विश्वास और आशा है, यही वास्तव में यूखरिस्त है! इस प्रकार यह उत्सव एक साक्ष्य था जो पूरी दुनिया के लिए भी एक गवाही थी कि कैसे ईश्वर की उपस्थिति में विश्वास पीड़ा को खुशी में बदल सकता है।
पोप फ्रांसिस ने इस साल की शुरुआत में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो का दौरा किया था। क्या उस यात्रा का कोई प्रत्यक्ष फल है?
मुझे हाँ कहना चाहिए। लोगों के दिलो-दिमाग पर पोप की यात्रा की गहरी छाप की स्मृति के अलावा, उनका संदेश भी है। कई लोगों के लिए, यहाँ तक कि सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए भी संत पापा के शब्द आशा के स्रोत रहे और यदि अच्छी तरह से अध्ययन किया जाए तो वे मेल-मिलाप और शांति की दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं। और इसी चीज को मैंने भी प्रोत्साहित किया। जब मैंने पुरोहितों, धर्मसमाजियों के साथ मुलाकात की तो मैंने उनसे आग्रह किया कि “हम संत पिता की यात्रा को सिर्फ एक स्मृति के रूप में न रखें। जी नहीं! आइये, हम खुद को प्रेरितिक और मिशनरी कार्यक्रम से परिवर्तित होने दें।”
आपने उत्तरी किवु की राजधानी गोमा का भी दौरा किया, जो हिंसा और लड़ाई से सबसे अधिक प्रभावित प्रांत है। आप पोप की निकटता लेकर आए जिन्हें गोमा जाने का अवसर नहीं मिला था। लोगों ने आपकी यात्रा पर कैसी प्रतिक्रिया दी?
मैं अभिभूत था, सचमुच अभिभूत और मैंने सोचा: "यदि संत पापा यहाँ होते, तो पोप के रूप में उनकी प्रेरिताई को निश्चित रूप से बहुत सांत्वना और प्रोत्साहन मिलता"। लोग किसी भी अन्य शरणार्थी शिविर की तरह ही बहुत गंभीर और निराश्रित स्थिति में हैं।
लेकिन ऐसे लोग भी हैं जिनमें शांति की तीव्र इच्छा है और हम आशा करते हैं कि संघर्ष में शामिल सभी लोग - चाहे स्थानीय हों या अंतर्राष्ट्रीय, चाहे राजनीतिक, सैन्य या व्यापारिक - सीधे इन लोगों की आँखों में देखेंगे और अपने चुनाव का परिणाम देखेंगे। ये संख्या नहीं हैं, ये मनुष्य हैं और इसलिए मनुष्य के रूप में, उन्होंने संत पापा के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट की। हालांकि संत पापा ने एक परियोजना स्थापित की है जहां लोगों को स्वच्छ, पेय जल मिल सके... हां, यह एक मानवीय आवश्यकता है, लेकिन यह बहुत अधिक बाइबिल से भी जुड़ा है! जल, जीवन का प्रतीक, पवित्र आत्मा का प्रतीक, और हर बार जब लोग पानी लेने के लिए वहां जाते हैं, तो मुझे यकीन है कि वे पोप के लिए प्रार्थना करते हैं।
सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में, कोंगो जैसी कलीसिया और आमतौर पर अफ्रीका की कलीसिया से बाकी कलीसियाओं के लिए क्या योगदान देखते हैं। मेरी सोच सिनॉडालिटी पर आगामी धर्मसभा के लिए भी है।
कांगो में कलीसिया और शायद हम पूरे अफ्रीका महाद्वीप में कह सकते हैं, एक जीवंत कलीसिया है। महाद्वीप के कुछ हिस्सों में, यह बहुत छोटी है। कांगो में, कलीसिया युवा है! उनके पास युवा लोग हैं: वे प्रार्थना करते हैं, वे गाते हैं, वे झूमते हुए प्रभु से प्रार्थना करते हैं। और मुझे उम्मीद है कि यह सिनॉड और पूरी कलीसिया के लिए, जो अभी सिनॉडालिटी पर ध्यान केंद्रित कर रही है, यह उत्साह इस ऊर्जा, ऊर्जा के उभार को विश्व के अन्य हिस्सों तक ले जाएगा।
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