रूफिनीः संचार माध्यमों को नबूवत एकतामय निगाहों की जरुरत
दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, गुरूवार, 08 जून 2023 (रेई) अमेरीका के बाल्टीमोर में शुरू हुई काथलिक संचार सम्मेलन की वार्षिक संगोष्ठी में वाटिकन संचार विभाग के अधिकारी डॉ. पाओलो रूफिनी ने संचार माध्यम में कार्यरत लोगों को दिये गये अपने संबोधन में प्रथम शिष्यों की एकता और सहभागिता से प्रेरणा लेने का आहृवान किया।
अपने संबोधन ने डॉ. रुफिनी इस इस बात की याद दिलायी कि यह सम्मेलन पेन्तेकोस्त त्योहार के तुरंत बाद आयोजित किया गया है जहाँ हम येसु की मृत्यु के उपरांत शिष्यों को जो भय की जंजीरों से बंधे थे मुक्त पाते हैं। यह पवित्र आत्मा था जिन्होंने विश्व में ख्रीस्त के पुनरूत्थान को घोषित करने हेतु उन्हें शक्ति से भर दिया।
डॉ. रूफ़िनी ने कहा कि हम अपने समय में कई बार भ्रम की बृहृद स्थिति को पाते हैं जो बाबेल टॉवर के विनाश उपरांत हुई थी, जैसा कि उत्पत्ति ग्रँथ की पुस्तिका में हम पाते हैं। “ऐसा लगता है जैसे हर कोई एक-दूसरे को गलत समझता है, और फिर गलत समझे जाने की शिकायत की जाती है।”
संचार माध्यम में स्वयं का आदान-प्रदान
उऩ्होंने काथलिक संचार माध्यमों के व्यवसायिकों को इस बात की याद दिलाई कि कलीसिया में संचार माध्मम की उत्पत्ति पुनरूत्थान के प्रत्युत्तर में हुई है। “यदि हम संचार माध्यम के मूल शब्द जो लातीनी भाषा से आती है गौर करें तो यह दो शब्दों “कुम” जिसका अर्थ एक साथ और “मुनुस” अर्थात उपहार के मेल से बना है।” उन्होंने कहा कि इसका अर्थ उपहार के रुप में स्वयं का आदान-प्रदान है, एक उपहार जो हमारे लिए दूसरों के संग संबंध स्थापित करने से आता है।
उन्होंने कहा कि प्रेम औऱ करूणा वह वैश्विक भाषा थी जो प्रथम ख्रीस्तीयों को सभों के बीच पहचान प्रदान करती थी, जिसके कारम दुनिया में उनकी निगाहें को इतना अलग और दूसरों के लिए इतना आकर्षक बना दिया कि “उऩकी एक अमिट छाप” स्थापित हुई।
“प्रथम ख्रीस्तियों का समुदाय एक हृदय और एक आत्मा का था, अतः उनके बीच की एकता ने उनके संचार को और भी गहराई प्रदान की, जिनकी जड़ें ईश्वर में थीं।”
संचार और एकता
डॉ. रूफिनी ने इसके उपरांत वर्तमान समाज में कलीसियाई संचार के बेहतर प्रयासों की ओर ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने काथलिक संचार माध्यम के पेशेवरों को एक अन्य शब्द से जुड़े रहने को आमंत्रित किया, जिसकी व्युत्पत्ति कम्युनिकेशन के समान है: “कम्युनियन।” “कम्युनियन हमें एक दूसरे के जीवन का अंग बनाता है। कम्युनियन कलीसिया के संचार का रहस्य है।”
उत्तम पत्रकारिता के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह उत्पदक की बिक्री से संबंधित नहीं है बल्कि लोगों को एक संबंध और अवसर प्रदान करने से है जहाँ वे एक-दूसरों से भेंट करते और “अपने कृपापूर्ण जीवन की विशिष्ट कहानियों” को साझा करते हैं। कलीसिया में संचार माध्यम का अर्थ इस भांति एकता को पुनःस्थापित करना है, अपने को संचार के एक साधन स्वरूप देना हैं, जहाँ हम अपनी एकता का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
प्रेम तकनीकी विकास को निर्देशित करें
उन्होंने तकनीकी और सामाजिक संचार माध्यमों के विकास और परिवर्तन की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि इनके द्वारा हम अपने विश्व को बदला हुआ पाते हैं लेकिन हमें इस बात को याद करने की जरुरत है कि हम तकनीकी विकास को निर्देशित करने हेतु बुलाये गये हैं।
“हमें चाहिए कि हम तकनीकी का निर्देशन हृदय से करें, जो हमारी बुद्धिमत्ता को विशेष बनाती है क्योंकि हमारी प्रेरिताई केवल हमारी बुद्धि से संचालित नहीं होती या केवल ज्ञान को प्रसारित करने से नहीं होती बल्कि यह प्रेम करने की योग्य में भी होती है।”
उन्होंने वाटिकन संचार विभाग द्वारा प्रकाशित एक अभिलेख “पूर्ण उपस्थिति की ओरः एक सामाजिक संचार पेशा से संबंधित प्रेरितिक चिंतन” की ओर ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि यह ईशशास्त्रीय और प्रेरितिक चिंतन हमें कलीसिया में संचार माध्यमों के उचित उपयोग के बारे बतलाता है न कि संपादकीय शक्ति के संबंध में सिर्फ कलन विधि को धारण करने को, जिसके द्वारा सामाजिक संचार माध्यमों का संचालन होता है।
कलन विधि नाजुकता पर विचार नहीं करता है, उन्होंने कहा, “प्यार हालांकि नाजुकता से पैदा होता है, दूसरे के दर्द से, उनकी भावनाओं से उत्पन्न होता है। ईश्वर के लिए काव्यात्मक रूप से यही कहा गया हैः ईश्वर सर्वशक्तिमान हैं, उनकी पूर्णता, यद्यपि असंवेदनशील नहीं है। ईश्वर संवेदनशील है: वे रोते हैं, ईश्वर दुःख से पीड़ित हैं। कलन विधि में यह नहीं होता है।”
पेशेवर रचनात्मकता आत्मा से प्रेरित
अंत में, डॉ. रूफिनी ने काथलिक मीडिया पेशेवरों को तकनीकी पहलुओं और लाभ के बाजार से “परे” जाने को आमंत्रित किया। “हमें उन लोगों की विनम्र और धैर्यपूर्ण रचनात्मकता की जरूरत है जो क्षंणभर की आतिशबाज़ी नहीं करते हैं, लेकिन एक वफादार संबंध, आत्मा से प्रेरित होते जो हमें एकता में बनाये रखता है।” “हमारे काथलिक संचार को प्रयास यही होना चाहिए वह सहभागिता की खोज करें।”
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