भोजन की बर्बादी "बेहद शर्म की बात", महाधर्माध्यक्ष पालिया
वाटिकन सिटी
सान्तियागो, शुक्रवार, 25 अगस्त 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): लातीनी अमरीकी देश सान्तियागो की राजधानी चीले स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में अर्थशास्त्रियों एवं अन्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष विन्चेन्सो पालिया ने भोजन की बर्बादी को "बेहद शर्म की बात" निरूपित किया है।
उन्होंने "भ्रातृत्वपूर्ण मानव परिवार" के रूप में भूख के खिलाफ ठोस कार्रवाई लागू करने हेतु अर्थ बाज़ार के तर्कों के परे जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। "खाद्य और पोषण सुरक्षा के संदर्भ में भोजन के नुकसान और बर्बादी को रोकना एक अंतरक्षेत्रीय चुनौती", विषय पर महाधर्माध्यक्ष पालिया ने अपना सम्बोधन केन्द्रित रखा।
यह कार्यक्रम महाधर्माध्यक्ष पालिया की लातीनी अमरीकी, विशेष रूप से चिले और आर्जेंटीना की, यात्रा का हिस्सा है, जो 23 अगस्त से 31 अगस्त तक जारी रहेगा।
लोगों का बहिष्कार असहनीय
सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों का स्मरण दिलाते हुए महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा कि "भोजन की बर्बादी का अर्थ है लोगों की बर्बादी।" उन्होंने कहा, “भोजन की नहीं बल्कि लोगों की बर्बादी है, जो असहनीय, निंदनीय और बेहद शर्म की बात है, जिसके लिये हम ईश्वर और इतिहास के समक्ष जिम्मेदार हैं।''
लातीनी अमरीका में व्याप्त खाद्य स्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जहाँ खाद्य अपशिष्ट में वैश्विक अपशिष्ट का केवल 6% शामिल है, महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट रूप से एक सकारात्मक आँकड़ा है, तथापि, क्षुधा पीड़ितों के बारे में यदि हम सोचना बन्द कर दें तो यह दुखद तथ्य होगा। ऐसा उन्होंने लातीनी अमरीका के चार करोड़ सत्तर लाख अल्पपोषित लोगों को ध्यान में रखकर कहा, उदाहरणार्थ हेयटी जैसे देश में जहाँ कई लोगों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।
महाधर्माध्यक्ष ने अपने हेयटी दौरे के सन्दर्भ में कहा, "मैंने पोर्ट औ प्रिंस की मलिन बस्तियों का दौरा किया, मैं जंक फूड से पेट फूलने वाले या लंबे समय से अल्पपोषण से परेशान लोगों से मिला हूँ।" उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति को कैसे सहन किया जाता है, हम कैसे दूसरी तरफ देखते रह सकते हैं, कुछ न करना कैसे संभव है?"
क्रांतिकारी बदलाव
महाधर्माध्यक्ष पालिया ने "भोजन की बर्बादी से लेकर मानव जीवन की बर्बादी तक", समस्या को देखने के तरीके में बदलाव का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा, "हम अब भोजन के मुद्दे को पूरी तरह से आर्थिक और बाज़ार की तर्कणा की दृष्टि से देखने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।" महाधर्माध्यक्ष ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि खाद्य उत्पादन और वितरण के आधार पर आर्थिक संरचना को "अंतिम लक्ष्य के रूप में नहीं बल्कि लोगों की सेवा तथा एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण के साधन के रूप में माना जाना चाहिए।"
2021 में खाद्य दिवस पर दिये सन्त पापा फ्रांसिस के सन्देश के शब्दों का उल्लेख कर महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा, "भूख के खिलाफ लड़ाई की मांग है कि हम बाजार के ठंडे तर्क पर काबू पाएं, लालच से केवल आर्थिक लाभ पर ध्यान केंद्रित न करें, भोजन को सिर्फ एक अन्य वस्तु तक सीमित न करें तथा एकजुटता के तर्क को मजबूत करें।"
भाईचारापूर्ण मानव परिवार का निर्माण
"सावधान रहें," महाधर्माध्यक्ष पालिया ने चेतावनी देते हुए कहा, "एकजुटता का अर्थ केवल उन लोगों के प्रति परोपकार और देखभाल की भावना नहीं है जो कमजोर और वंचित हैं।" इसके बजाय, यह इस तथ्य की ओर इशारा है कि आर्थिक सहित सभी मानवीय अनुभव, एक भाईचारे वाले मानव परिवार के निर्माण में शामिल होते और सहयोग करते हैं, जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने अपने विश्वपत्र प्रातेल्ली तूती में रेखांकित किया है।
सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं, "हम भोजन की बर्बादी को केवल तभी गंभीरता से संबोधित कर सकेंगे जब हम यह पहचान लेंगे कि इसे किसी एक बाजार के मुद्दे से जोड़कर नहीं देखा जा सकता, जिसे तालिकाओं और आंकड़ों में परिभाषित किया जा सके या मापा जा सके। मानव जीवन इन सब से बढ़कर है।"
महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा, "भूख की भयानक विभीषिका से लड़ने का मतलब बर्बादी से लड़ना भी है।" उन्होंने कहा, "अपशिष्ट फेंक देने की सबसे घटिया अभिव्यक्ति है। मुझे सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित वह घटना याद आती है जब येसु मसीह ने जनसमुदाय को रोटियाँ बाँटने के बाद बचे हुए टुकड़ों को इकट्ठा करने के लिए कहा था ताकि कुछ भी खो न जाए।" इसलिये उन्होंने कहा, "पुनर्वितरित करने के लिए इकट्ठा करें, इधर-उधर तीन-तेरह करने के लिए उत्पादन नहीं।"
धरती पर सब कुछ अच्छा है, इस तथ्य की ओर इंगित करते हुए महाधर्माध्यक्ष पालिया ने कहा, "फेंक देने या बर्बाद करने का तर्क सुसमाचारी संदेश से बहुत दूर है।" उन्होंने कहा, बाईबिल धर्मग्रन्थ के पहले पन्ने से ही इस बात पर बल दिया गया है कि पृथ्वी पर जो कुछ है वह सब अच्छा है।
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