संत पापाः डोरोथी डे ने गरीबों में ईश्वर को पाया
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 अगस्त 2023 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने डोरोथी डे की आत्मकथा के इतालवी अनुवाद की प्रस्तावना लिखी।
संत पापा फ्रांसिस ने यह याद दिलाते हुए लिखा कि कैसे वे ख्रीस्तीय विश्वास तक पहुंचीं, “कृपा जो करूणामय कार्य से आती है,सुन्दरता जो साक्ष्य से आती है, और प्रेम जिसे हम ठोस रुप से सेवा के माध्यम व्यक्त करते हैं” जो अपने में किसी भी मानवीय प्रयास या रणनीतियाँ से महत्वपूर्ण है। उन्होंने संत पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के द्वारा कही गई बातों की याद दिलाते हुए कहा कि कलीसिया आकर्षण के द्वारा विकसित होती है, धर्मांतरण से नहीं, और हम इसे डोरोथी डे के जीवन परिवर्तन, कार्य और गवाही में देखते हैं।
सन् 2000 में ईश सेविका सेवक घोषित, अमेरिकी की डोरोथी डे (1897-1980) ने अपना जीवन सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों, विशेष रूप से गरीबों, शोषित श्रमिकों, समाज द्वारा हाशिए में पड़े लोगों के लिए समर्पित कर दिया। संत पापा ने उनके जीवन साक्ष्य को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा कि हम सभी उनकी बेचैनी, कलीसिया के बारे में उनकी समझ और दूसरों के प्रति सेवा के भाव से सीख सकते हैं।
निरंतर खोज
डोरोथी डे की बेचैनी के बारे में जिक्र करते हुए संत पापा ने उनके धार्मिक अभ्यास के त्याग और उसे पुनः प्राप्त कने के बारे में लिखा कि वह हमेशा आध्यात्मिकता की खोज करती और उसके लिए खुली रहती थीं, जिसके फलस्वरुप उन्होंने ईश्वर में विश्वास को फिर से प्राप्त किया। इसे उन्होंने अपने जीवन की पूर्णता और खुशी के मार्ग स्वरूप देखा। डोरोथी ने ईश्वर को न केवल सांत्वना के रूप में देखा, बल्कि जीवन के अर्थ की परिपूर्णत और आनंद के रूप में भी देखा।
संत पापा ने लिखा किस तरह “ईश्वर बेचैन हृदय के प्रति अतुर रहते हैं, न कि आदर्श आत्माओं के लिए जो अपने में संतुष्ट रहते हैं।” उन्होंने इस बात की चर्चा की कि “ईश्वर का दिव्य प्रेम हर मानव के हृदय में व्याप्त सुन्दरता, सच्चाई और अच्छाई को फलहित करता है।” डोरोथी डे का मार्ग हमें “एक साहसिक कार्य को दिखाता है जो हृदय के लिए अच्छा है, जहाँ हम ईश्वर के प्रेम को स्वरीकारते औऱ उसका प्रत्युत्तर देते हैं।
कलीसिया ईश्वर को ओर ले चलती
इसके बाद संत पापा ने काथलिक कलीसिया के सदस्यों की असफलताओं और कमज़ोरियों के बावजूद, डोरोथी डे द्वारा कहे गए सुंदर शब्दों की ओऱ ध्यान आकर्षित कराते हुए लिखा, “जैसे-जैसे आस्था की सच्चाइयों के प्रति उनकी निष्ठा बढ़ती गई, वैसे-वैसे काथलिक कलीसिया की दिव्यता के बारे में उनके विचार भी बढ़ते गये।” लेकिन उन्होंने “ईमानदार और प्रबुद्ध दृष्टिकोण" के साथ कलीसिया के सदस्यों की कमजोरियों को पहचाना, जो अभी भी “कलीसिया की बुलाहट और पहचान की बड़ी तस्वीर को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करती है: जो मानवीय नहीं बल्कि एक दिव्य वास्तविकता है जो हमें ईश्वर की ओर ले चलती है और जिसके द्वारा ईश्वर हमारी ओर पहुंच सकते हैं।”
सेवा ईश्वरीय प्रेम की अभिव्यक्ति
संत पापा लिखते हैं, "एक कार्यकर्ता और एक पत्रकार के रूप में दूसरों की सहायता करने के लिए डोरोथी डे की ठोस पहुंच “एक प्रकार का मुख्य मार्ग” रहा जिसके द्वारा ईश्वर ने उनके हृदय का स्पर्श किया।” उन्होंने यह दिखलाया कि न्याय के लिए संघर्ष हमारे लिए एक मार्ग बनता है जहाँ हम ईश्वर के सपने, मेल-मिलाप की दुनिया को साकार करने हेतु आगे बढ़ते हैं। संत पापा ने लिखा कि आज भी विश्वासी और अविश्वासी “प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देने में सहयोगी हो सकते हैं जब वे सबसे अधिक जरूरतमंदों और परित्यक्त लोगों को प्यार करते हैं और उनकी सेवा करते हैं।"
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