धर्मसभा ब्रीफिंग: युद्ध पीड़ितों के लिए प्रार्थना एवं समुद्र में जान बचानेवालों की आवाज
वाटिकन न्यूज
वाटिकन में चल रहे धर्मसभा के छठे महाधिवेशन की शुरुआत कार्डिनल आर्थर रोक के चिंतन से हुई, जिन्होंने वर्तमान में गाजा और इज्राएल में हिंसा के साथ "खूनी युद्ध के खतरे" पर प्रकाश डाला।
मंगलवार दोपहर और बुधवार सुबह के बीच काम पर रिपोर्टिंग, जो दुनिया में संघर्ष, गरीबी, दुर्व्यवहार और लिंग पहचान जैसे विषयों पर केंद्रित थी, वाटिकन प्रेस कार्यालय में दैनिक ब्रीफिंग का संचालन, सूचना आयोग के अध्यक्ष पाओलो रूफिनी और आयोग सचिव शीला पीरेस ने किया।
अतिथियों में क्यूबेक (कनाडा) के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल जेराल्ड सिप्रियन लाक्रोइक्स थे, जिन्होंने पॉल छठवें हॉल में इन दिनों अपने “धनी” अनुभव पर रिपोर्ट दी; ग्रेस व्रकिया, ओशिनिया में धर्मसभा प्रक्रिया की गवाही दी, उन्होंने पापुआ न्यू गिनी के "छोटे" समुदायों की आवाज सुनाई; और “भूमध्यसागर मानव रक्षा” के संस्थापक और कार्यकर्त्ता लुका कासारिनी ने अपनी बातें रखीं। “भूमध्यसागर मानव रक्षा” एक गैरसरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 2018 में भूमध्यसागर में हजारों मौतों के सामने "आक्रोश" से पैदा हुआ है, और आज समुद्र में लोगों की जान बचाने के लिए समर्पित है।
धर्मसभा में विशेष रूप से आमंत्रित सदस्य, श्री कासारिनी ने “मारे नोस्त्रम” ["हमारा सागर"] में किए गए इस कार्य पर एक मजबूत गवाही साझा की। उन्होंने अपने अनुभव को दो गरीबी के बीच एक "मुलाकात" कहा: उन लोगों की भौतिक गरीबी जो "अपनी पूरी सम्पति", अपनी जमीन छोड़ने के लिए मजबूर हैं; और दूसरी, अपनी भूमि, पश्चिम की आध्यात्मिक गरीबी, जिसके बारे ऐसा लगता है कि इसने शोक मनाने और "त्रासदी" को अस्वीकार करने की क्षमता खो दी है।
संत मर्था में एक छोटा “कार्य दल”
डॉ. रूफिनी ब्रीफिंग में बोलनेवाले पहले वक्ता थे। उन्होंने मंगलवार को संत मर्था आवास में आयोजित एक "छोटे 'कार्य समूह'' पर रिपोर्टिंग की, जहाँ रोम के कुछ गरीबों को पोप फ्राँसिस और वाटिकन परोपकार विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल कोनराड क्राएस्की के साथ दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया गया था।
भोज में भाग लेनेवालों से यह भी पूछा गया कि वे कलीसिया से क्या अपेक्षा रखते हैं। महासभा की ओर से रिपोर्ट करते हुए डॉ. रूफिनी ने बतलाया कि "उनका जवाब था: 'प्यार" सिर्फ प्यार'।"
परिषद के मद्देनजर
मंगलवार की महासभा (जेनेरल कॉन्ग्रेगेशन) में 339 सदस्य उपस्थित थे, जबकि बुधवार की सुबह 345 सदस्य महासभा में शामिल हुए।
उन्होंने इताली काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल मात्तेव जुप्पी (जिनका जन्मदिन बुधवार को था) के नेतृत्व में देवदूत प्रार्थना की। कार्डिनल ने संत जॉन 23वें की मध्यस्थता का आह्वान किया, जिनका पर्व 11 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो द्वितीय वाटिकन महासभा के उद्घाटन की सालगिरह भी है।
कार्डिनल लाक्रोइक्स ने अपनी टिप्पणी में विश्वव्यापी कलीसिया के लिए ऐतिहासिक क्षण का उल्लेख किया। कनाडा के कार्डिनल ने कहा, "हम जिसको जी रहे हैं वह उन सभी की निरंतरता है।" जॉन 23वें "भविष्यवक्ता" थे, उन्होंने आगे कहा: हालांकि बुजुर्ग और बीमार, पोप जॉन 23वें "ख्रीस्तीय एकतावर्धक परिषद को जीने" की आवश्यकता की भावना से "प्रेरित" थे, जिसका अंत देखने के लिए वे जीवित नहीं रहे।
कार्डिनल लाक्रोइक्स ने परिषद के उद्घाटन के लिए जॉन 23वें का संबोधन पढ़ा, जो इस धर्मसभा के समय में असाधारण रूप से सामयिक है, जिसपर कलीसिया अक्टूबर 2021 से चल रही है। “हम जिस पद्धति का उपयोग कर रहे हैं वह प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति में प्रभु, उनके वचन, उनकी उपस्थिति को सुनने के लिए निर्देशित है, और यह हमें दूसरों के लिए और दूसरों के प्रति खुले रहने की अनुमति देता है।''
सुनना और बदलना कि हम कैसे सोचते हैं
क्यूबेक के महाधर्माध्यक्ष ने कहा, “हमारे भाइयो और बहनो, ईश्वर के वचन को सुनकर, "हम बारीकियों को ढूंढ सकते हैं, जो हम सोचते हैं उसे बदल सकते हैं, और इस तरह हम देखते हैं कि ईश्वर काम कर रहे हैं और सभी लोगों में काम कर रहे हैं।" व्यक्तिगत स्तर पर इसे जीने से "मुझे समायोजन करने, परिष्कृत करने, अपनी सोच को थोड़ा बदलने की प्रेरणा मिलती है।"
ओशिनिया के 'छोटे' द्वीपों की आवाज
दूसरी ओर, सिनॉडालिटी पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के पीछे का विचार "खुद को स्वतंत्र तरीके से अन्य हस्तक्षेपों में उभरनेवाली चीजों से चुनौती देना है," साथ ही उन लोगों को आवाज देना है जो अब तक पृष्ठभूमि में बने हुए हैं।
इस संबंध में, ग्रेस व्रेकिया ने सोलोमन द्वीप और पापुआ न्यू गिनी के प्रतिनिधियों को धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में आमंत्रित करने के लिए पोप का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, “हम इतने सालों से हम सुन रहे हैं और अब हम बोलना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि आप उसे सुनें। हमारे पास दुनिया को देने के लिए कुछ है। और हम जो देते हैं वह अपने दिल से देते हैं, वह हमारे जीने का तरीका है, मिल-जुलकर रहना, एक साथ रहना और संबंध बनाना है।”
शांति की जोरदार अपील
छोटे दलों और सभाओं द्वारा संबोधित विषयों को सूचीबद्ध करते हुए, डॉ. रूफिनी ने बताया कि कई भाषणों ने शांति और युद्ध से पीड़ित लोगों के विषय को छुआ।
उन्होंने कहा, "इस बात का संदर्भ दिया गया कि कैसे ख्रीस्तीय युद्ध और हिंसा से विकृत दुनिया में शांति और मेल-मिलाप के प्रतीक बन सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "संघर्ष से ग्रस्त देशों और "कुछ पूर्वी कलीसियाओं में पीड़ा" के लिए जोरदार अपील की गई।
गरीबों के लिए एक विनम्र कलीसिया
शीला पीरेस ने कहा, सभा में एक और विषय उभरा, जो "एक ऐसी कलीसिया चाहती है कि यह गरीबों की समर्थक हो, जो विनम्र हो, जो झुकती हो, और जो गरीबों के साथ चलती हो।"
शीला ने आगे कहा, गरीब लोगों के "कई चेहरे हैं": बहिष्कृत, आप्रवासी, जलवायु परिवर्तन से पीड़ित, और यहां तक कि दुनिया के कुछ हिस्सों में महिलाओं और बहनों के रूप में, "जो दूसरे दर्जे के नागरिक हैं, और उन्हें दुर्व्यवहार से बचाया जाना चाहिए।"
दुर्व्यवहार और यौन पहचान पर विचार
चिंतन में दुराचार एक अन्य केंद्रीय विषय था। डॉ. रूफिनी ने कहा, "यौन शोषण जैसे कलंक से हमारी विश्वसनीयता पर सवाल उठने और यौन, सत्ता एवं आध्यात्मिक दुर्व्यवहार सभी को खत्म करने एवं पीड़ितों के करीब रहने के लिए सब कुछ करने, सब कुछ जारी रखने की आवश्यकता के बारे में चर्चा हुई।"
वाटिकन संचार विभाग के अध्यक्ष ने कहा कि दलों और भाषणों में, यौन पहचान के मुद्दे को संबोधित किया गया। ऐसा कहा गया कि इसे "जिम्मेदारी और समझ के साथ, सुसमाचार और कलीसिया की शिक्षाओं के प्रति वफादार रहते हुए निपटा जाना चाहिए।"
कुछ लोगों ने लैंगिकता पर कलीसिया की शिक्षा पर अधिक आत्मपरख की आवश्यकता का आह्वान किया; हालाँकि, कुछ अन्य लोगों के लिए, "इससे अधिक आत्मपरख की कोई आवश्यकता नहीं है।" पत्रकारों के सवालों से प्रेरित होकर, उन्होंने बताया कि “ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे ध्रुवीकरण की रूढ़िवादिता में फंसाया जा सके। यह साझा करने का अनुभव है।"
डॉ. रूफिनी ने टिप्पणी की, "इन मुद्दों पर बोलनेवाले करीब सभी लोगों ने कहा कि हमें समलैंगिकता के भय के सभी रूपों को त्यागना चाहिए," उन्होंने बताया कि कई सदस्यों ने कहा कि "कई कठिनाइयाँ वास्तविकता और व्यक्तियों की व्यक्तिगत यात्रा को नहीं जानने से उत्पन्न होती हैं।"
आप्रवासियों के मुद्दे
जहाँ तक आप्रवासियों के मुद्दे की बात है - ब्रीफिंग में बताया गया - कुछ धर्माध्यक्षों ने "अन्य धर्माध्यक्षीय सम्मलनों से मदद मांगी है" जो एकीकरण और स्वागत के दृष्टिकोण से बेहतर स्थिति में हैं।
उन्होंने कहा कि यह विकसित कौशल से "लाभ उठाने में सक्षम होने" का एक तरीका है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वागत किये गये लोग समाज में एकीकृत हो सकें। "आप्रवासियों और शरणार्थियों को उन देशों के कानूनों का सम्मान करने की आवश्यकता है जहाँ वे रहते हैं," की भी पुष्टि की गई।
लुका कासारिनी की गवाही
आप्रवासन के विषय पर, लुका कासारिनी की गवाही वाटिकन प्रेस कार्यालय में ब्रीफिंग में उपस्थित अधिकांश लोगों के लिए मार्मिक थी। उन्होंने खुद को "एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति" के रूप में वर्णित करना शुरू किया, क्योंकि "ऐसी दुनिया में जहाँ यह देखने की होड़ है कि कौन सबसे ज्यादा लोगों को मारता है, एक ऐसी दुनिया जहाँ नफरत का बोलबाला है; एक जीवन की मदद के लिए आगे आना, भाइयों और बहनों को गले लगाना" समुद्र के बीच में एक अनंत उपहार है जो जीवन बदल देता है। इसने मुझे बदल दिया है..."
कार्यकर्ता ने गरीबी के मुद्दे पर भी विचार किया। उन्होंने कहा, "समुद्र के बीच में हम इन भाइयों और बहनों से मिलते हैं, और उस समय आप दो प्रकार की गरीबी से मिलते हैं।"
एक ओर, आर्थिक और सामाजिक गरीबी है जो लोगों को "अपनी भूमि, अपने परिवार, अपनी स्मृति", अपनी एकमात्र संपत्ति छोड़ने के लिए मजबूर करती है; दूसरी ओर, दुनिया के एक हिस्से की उजाड़ गरीबी जिसे अब "मामूली त्रासदी" माना जाता है।
कासारिनी ने कहा, "हम अब उस बच्चे के लिए रोने में सक्षम नहीं हैं जो मर जाता है।” “ये दोनों गरीबियाँ एक-दूसरे की मदद करती हैं और उस चीज के लिए जगह बनाती हैं जिसे हमें आज नफरत की दुनिया में बेसब्री से तलाश करनी चाहिए: वह है प्यार। इस तरह मेरी मुलाकात येसु और ईश्वर से हुई।”
अनुग्रह और व्यंग्य के साथ, विशेष अतिथि ने उन लोगों के सवालों के जवाब दिए जिन्होंने उनसे पूछा कि क्या विभिन्न अनुष्ठानों और आध्यात्मिक अवसरों के बीच सिनॉड जैसे कार्यक्रम में क्या उन्हें "अनुपयुक्त" महसूस हुआ।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं हमेशा खुद को हर संदर्भ में अयोग्य और अपर्याप्त महसूस करता हूँ।" "मैं वास्तव में धर्मसभा में उपस्थित सभी लोगों को अपना भाई और बहन मानता हूँ, मैं क्रोध और नाराजगी को धार्मिकता में बदलना सीख रहा हूँ।"
श्री कासारिनी ने कहा, “रहस्य यह है कि मैं सीखने की कोशिश कर रहा हूँ कि खुद को दूसरे व्यक्ति के स्थान पर रखूँ। हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि हम स्वयं ही सब कुछ हल कर लेंगे, बल्कि यह पवित्र आत्मा है जो कार्य करता है। इतनी अजीब चीजें हो सकती हैं...जैसे कि मैं धर्मसभा में हूँ।''
भूमध्यसागरीय संगठन के संस्थापक से जेनोआ में 2001 की जी8 बैठक के दौरान, उनके कार्यों के लिए "पश्चाताप" करने और अवैध आप्रवासन में सहायता एवं बढ़ावा देने के आरोप के बारे में भी पूछा गया।
श्री कासारिनी ने उत्तर दिया, "जेनोआ के लिए, मुझे आठ साल की सुनवाई से गुजरना पड़ा और अभियोजन के सभी तीन स्तरों पर मुझे बरी कर दिया गया," जबकि अन्य आरोपों को "मैं समझ नहीं सका"।
“मेरे लिए, कोई भी इंसान अवैध नहीं है… मैं समझ गया हूँ कि मैं जांच के दायरे में था क्योंकि मैंने समुद्र के बीच में 38 दिनों से 38 लोगों को बचाया था। जो यूरोप में अब तक का सबसे बड़ा गतिरोध है। इन लोगों में एक लड़की भी थी जिसके साथ समुद्र में जाने से पहले पांच लीबियाई गार्डों ने बलात्कार किया था। 38 दिनों तक उसने किसी डॉक्टर को भी नहीं देखा। क्या मैंने कोई अपराध किया? मुझे गिरफ्तार कर लो, मुझे खुशी है कि मैंने ऐसा किया।”
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