धर्मसभा: कोई अवधारणा नहीं, बल्कि सुनने और शामिल करने का अनुभव
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 9 अक्टूबर 2023 (वाटिकन न्यूज) : येसु, कलीसिया, परिवार, धर्मसभा, श्रवण,समन्वय, गरीब, युवा, समुदाय, प्रेम: ये धर्मसभा की महासभा में काम के पहले दिनों में सबसे आम शब्दों में से कुछ हैं, जो कि इंस्ट्रुमेंटम लेबोरिस के पहले खंड पर किये गये कार्यों के परिणाम हैं। सूचना आयोग के अध्यक्ष और संचार विभाग के प्रीफेक्ट डॉ. पावलो रुफीनी ने बताया कि इन पहले दिनों में, प्रतिभागियों ने इस क्षण की सुंदरता के लिए संत पापा के प्रति आभार व्यक्त किया, जिसमें वे कलीसिया के विभिन्न चेहरों का अनुभव कर रहे हैं।
कार्य समूहों की रिपोर्ट
शुक्रवार दोपहर आयोजित तीसरी आम सभा के बाद, छोटे कार्य समूहों का तीसरा सत्र शनिवार सुबह हुआ। कार्य में मुख्य रूप से इन कार्य समूहों में किए गए कार्यों की रिपोर्ट को अंतिम रूप देना शामिल था, प्रत्येक दल में 10-12 लोग शामिल हैं, जिनमें भाईचारे के प्रतिनिधि भी शामिल हैं - हालांकि वे बाद वाले मतदान में भाग नहीं लेंगे।
प्रत्येक समूह में बड़े बहुमत से अनुमोदित इन रिपोर्टों को धर्मसभा के सामान्य सचिवालय को सौंप दिया गया, जो बाद में संश्लेषण दस्तावेज़ पर चर्चा होने पर उन्हें बड़ी सभा में वापस कर देगा।
रिपोर्ट के विषय
रिपोर्ट में उभरे विषयों में शामिल थे: हर स्तर प्रशिक्षण - पुरोहितों का, सेमिनरी में, परिवारों में; सभी बपतिस्मा प्राप्त लोगों के बीच सह-जिम्मेदारी और कलीसियाई पदानुक्रम स्वयं को भागीदारी के भीतर कैसे रख सकता है।
प्रतिभागियों को विभिन्न भाषाओं में शाब्दिक दृष्टिकोण से सिनॉडैलिटी शब्द का पता लगाने के लिए भी कहा गया। समस्या ने न केवल कलीसिया संरचनाओं के अफसर शाही पर अंकुश लगाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, बल्कि सहभागिता और कलीसिया के सहस्राब्दी इतिहास में भागीदारी के नए रूपों और नए स्थानों पर विचार करने के लिए ऊर्जा समर्पित करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
युवा लोग और डिजिटल वास्तविकता
युवा लोगों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया, उदाहरण के लिए, रिपोर्ट में आधुनिक डिजिटल वास्तविकता पर विचार करने, शक्ति की अवधारणा से सेवा की अवधारणा की ओर बढ़ने और किसी भी प्रकार के याजकवाद से बचने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कलीसियाई समुदाय के भीतर लोकधर्मियों और महिलाओं की भूमिका और कलीसिया खुद को गरीबों और प्रवासियों की सेवा में कैसे पेश करती है, इस बारे में भी सवाल थे। धर्मसभा की कार्यवाही कलीसिया के दो "फेफड़ों", पूर्व के फेफड़े और पश्चिम के फेफड़ों के बीच संबंधों पर भी केंद्रित थी।
धर्मसभा का नेतृत्व करने वाले चरवाहे संत पापा फ्राँसिस
डॉ. रुफीनी ने बताया कि संत पापा भी शुक्रवार दोपहर की आम सभा में उपस्थित थे और आम तौर पर हॉल में सबसे पहले आने वालों में से थे। डॉ. रुफीनी ने कहा कि मीडिया पेशेवर जिस तरह से वाटिकन में घटनाओं की व्याख्या कर रहे हैं, उसके लिए संत पापा ने विशेष आभार व्यक्त किया है।
अफ्रीका और मेडागास्कर धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों (सेकाम) की संगोष्ठी के अध्यक्ष कार्डिनल फ्रिडोलिन अंबोंगो बेसुंगु,; संयुक्त राज्य अमेरिका में संत बर्नेर्डिनो धर्मप्रांत की संपूर्ण धर्मसभा प्रक्रिया की गवाह, सिस्टर लेटिसिया सालाजार, ओडीएन और हमेशा की तरह, धर्मसभा के सूचना आयोग की सचिव शीला लिओकाडिया पीरेस ने भी शनिवार की प्रेस वार्ता में बातें की।
आज कलीसिया के लिए ईश्वर की इच्छा की खोज
कार्डिनल बेसुंगु ने कहा कि यह उनका चौथा धर्मसभा अनुभव है। यह धर्मसभा पिछली बैठकों से कैसे भिन्न है: "इस अवसर पर, कलीसिया के जीवन में वर्तमान ऐतिहासिक क्षण में ईश्वर की इच्छा की खोज को बहुत महत्व दिया गया है। कोई थोपने का एजेंडा लेकर नहीं आया है। हम भाई-बहन हैं जो अपनी कलीसिया के लिए ईश्वर की इच्छा को सुन रहे हैं और इस धर्मसभा से जो निकलेगा वह अच्छा फल देगा और ईश्वर की इच्छा के रूप में स्वीकार किया जाएगा... खुद को आत्मा की बात सुनने के लिए तैयार करना आवश्यक है: 2024 तक इस यात्रा का लक्ष्य कुछ समस्याओं का सर्वोत्तम उत्तर खोजना है और प्रार्थना और चर्चा के बाद मिले परिणाम को हम ईश्वर की इच्छा मान सकते हैं।'
प्रार्थना
कार्डिनल ने आगे कहा, "वास्तव में, प्रार्थना के बिना कोई धर्मसभा नहीं होती, एक कलीसिया के रूप में, हम हमेशा आत्मपरख में रहते हैं और इसका कोई समापन बिंदु नहीं है।"
बाद में, कार्डिनल ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में बताया कि "धर्मसभा की गतिशीलता" का सम्मान करने के लिए कार्य समूहों की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की जाएगी: "सभी रिपोर्टों का एक संश्लेषण होगा। केवल एक पर विचार करने का मतलब धर्मसभा से बाहर जाना होगा।”
"यह धर्मसभा सचिवालय नहीं है जो धर्मसभा का निर्णय लेता है।" उन्होंने बताया: कार्य समूहों और सामान्य सचिवालय के बीच एक बातचीत होती है। इसके अलावा, व्यक्तिगत प्रतिभागियों का अधिकार परमधर्मपीठीय नियुक्ति द्वारा नहीं, बल्कि बपतिस्मा द्वारा दिया जाता है। इस संबंध में, डॉ रुफीनी ने याद किया कि धर्मसभा के कुल 364 सदस्यों में से नियुक्त सदस्यों की संख्या 52 है।
समस्याओं से निपटने का एक नया तरीका
तथाकथित "एलजीबीटी मुद्दों" के बारे में पूछे जाने पर, जो धर्मसभा में उठे हैं और इन्हें अफ्रीकी धर्माध्यक्षों द्वारा कैसे स्वीकार किया जा सकता है, कार्डिनल बेसुंगु ने बताया, "हम यहां सिनॉडालिटी पर एक धर्मसभा के लिए हैं। मैं विषय से भटकना नहीं चाहूँगा। धर्मसभा का अर्थ व्यक्तिगत राय व्यक्त करना नहीं है, बल्कि तट ओर एक साथ चलना है जहां प्रभु हमारा इंतजार कर रहे हैं। एलजीबीटी मुद्दे पर, ईश्वर स्वयं सामूहिक आत्मपरख के माध्यम से हमें दिशा दिखाएंगे।''
इसके अलावा, कार्डिनल बेसुंगु ने लोगों से इस धर्मसभा से अतिरंजित अपेक्षाओं को कम करने का आग्रह किया, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से कलीसिया की ओर से कार्य करने और समस्याओं से निपटने का एक नया तरीका खोजना है।
कोई अवधारणा नहीं, बल्कि एक अनुभव
"धर्मसभा एक अवधारणा नहीं है। यह सुने जाने या शामिल किए जाने का एक अनुभव है", सिस्टर लेटिसिया सालाजार ने कहा, एक ऐसे कार्यक्रम में भाग लेने के अवसर के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए जिसमें संपूर्ण कलीसिया शामिल है।
इसके बाद उन्होंने धर्मसभा के विचार-विमर्श में प्रवासन के विषय पर चर्चा की। “जब मैं 17 साल की थी, तब मैं अपने परिवार के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका आई और जैसे ही आप किसी नए देश में पहुंचते हैं, विश्वास आपको कायम रखता है, लेकिन कलीसिया आपका स्वागत करता है और मुझे लगता है कि मेरे और मेरे परिवार के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका और कैलिफोर्निया में बिल्कुल यही हुआ है।''
धर्मसभा हॉल के बाहर कार्यक्रम
शीला लिओकाडिया पीरेस ने भी इस विषय पर कहा, कि प्रवासन का पारिवारिक संरचना पर प्रभाव पड़ता है और यह एक बहुत व्यापक विषय है जिसमें जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, युद्ध आदि जैसे अन्य मुद्दे भी शामिल हैं।
इसके बाद धर्मसभा के सूचना आयोग के सचिव ने प्रतिभागियों के चल रहे काम से संबंधित घटनाओं को याद किया। अगले गुरुवार सभी प्रतिभागियों को संत दोमितिल्ला और संत सेबेस्तियन काटेकुम्ब की तीर्थयात्रा के लिए आमंत्रित किया गया है। वाटिकन के संत पेत्त्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रोजरी माला प्रार्थना जैसे कार्यक्रमों की भी योजना बनाई गई है। पवित्र परमप्रसाद की आराधना करने का अवसर है, और वाटिकन उद्यान भी प्रतिभागियों के लिए खुले हैं।
प्रार्थना भी हॉल में एक मौलिक भूमिका निभाती है: वास्तव में, हस्तक्षेपों के बीच हमेशा प्रार्थना और मौन के क्षण होते हैं ताकि जो सुना गया है उस पर गहराई से विचार किया जा सके।
यह प्रक्रिया सोमवार को फिर से शुरू होगी
धर्मसभा प्रतिभागियों के पास शनिवार दोपहर या रविवार को कोई निर्धारित कार्य नहीं है। वे सोमवार सुबह संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र मिस्सा करने के तुरंत बाद चौथी आम सभा के लिए संत पापा पौल षष्टम सभागार में वापस आएंगे। धर्मसभा, जिसे स्ट्रीम किया जाएगा, इंस्ट्रुमेंटुम लबोरिस के अगले बिंदु को संबोधित करेगी, जो इस विषय पर केंद्रित है: “एक संवाद जो प्रसारित होता है। हम कैसे पूरी तरह से ईश्वर के साथ मिलन और समस्त मानवता की एकता का संकेत और साधन बन सकते हैं?” इसके बाद संश्लेषण रिपोर्ट आयोग और सूचना आयोग के सदस्यों का चुनाव होगा।
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