ब्रीफिंग: धर्मसभा ने हथियार तस्करों से मानवता को फिर से खोजने की अपील की
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 21 अक्टूबर 2023 : “अधिकार - जो कि कलीसिया में एक "सेवा" है जिसका "नंगे पैर अभ्यास" किया जाता है - और दुर्व्यवहार का मुद्दा गुरुवार दोपहर और शुक्रवार की सुबह आयोजित धर्मसभा के तेरहवें और चौदहवें आम सभा पर चल रहे धर्मसभा के हस्तक्षेप में संबोधित विषयों में से एक था। वाटिकन में क्रमशः 341 और 343 की उपस्थिति के साथ दोनों आम सभा में छोटे कार्य समूहों ने हस्तक्षेप के अपने तौर-तरीकों को बनाए रखा, इसके बाद स्वतंत्र रुप से हस्तक्षेप किया गया।” यह बात वाटिकन के संचार विभाग के प्रीफेक्ट और सूचना आयोग के अध्यक्ष पावलो रफ़िनी ने वाटिकन प्रेस कार्यालय में पत्रकारों के साथ ब्रीफिंग में कही, जो शुक्रवार दोपहर 2:20 बजे शुरू हुआ।
इंस्ट्रुमेंटुम लबोरिस के मॉड्यूल बी-3 पर गुरुवार दोपहर और शुक्रार सुबह के भाषणों का जिक्र करते हुए, जिसका शीर्षक "भागीदारी, जिम्मेदारी और अधिकार" है, डॉ. रुफीनी ने बताया कि "अधिनायकवाद से बचने" की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की गई थी और "अधिकार" प्रभुत्व नहीं बल्कि सेवा है।"
प्रेस ब्रीफिंग में सूचना आयोग के अध्यक्ष डॉ. रुफीनी के साथ सूचना आयोग की सचिव शीला पीरेस, आर्कबिशप लिथुआनिया, विनियस के महाधर्माध्यक्ष गिंटारस ग्रुसास, टोकियो के महाधर्माध्यक्ष तार्सिसियो इसाओ किकुची, आयरलैंड से सिस्टर मेरी तेरेसा बैरन और सीरिया से सिस्टर हौदा फडौल थे।
विशेष रूप से हॉल में प्रयुक्त सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्तियों में से एक का उल्लेख करते हुए, प्रीफेक्ट ने कहा कि अधिकार का प्रयोग "नंगे पैर" किया जाता है। यह भी कहा गया था कि जिस व्यक्ति के पास "अधिकार है", "उसे हर चीज़ पर नियंत्रण नहीं रखना चाहिए बल्कि उसे सौंपने की क्षमता होनी चाहिए और धर्माध्यक्ष के पास अंतिम शब्द है लेकिन एकमात्र शब्द नहीं है।"
डॉ. रुफीनी ने कहा कि "जिम्मेदारी" उन शब्दों में से एक है जो भाषणों में सबसे अधिक बार दोहराया गया, और इसे "करिश्मे की भागीदारी और समन्वय के रूप में" समझा जाता है। इस संबंध में, आंकड़ों, क्षमताओं और विशेष रूप से लोकधर्मियों की प्रतिबद्धता को महत्व देने पर जोर दिया गया।
सूचना आयोग की सचिव शीला पीरेस ने ब्रीफिंग में बताया कि ऐसे लोग भी थे जिन्होंने याजकवाद के खिलाफ चेतावनी दी थी, यहां तक कि लोकधर्मियों के बीच भी, क्योंकि इससे "शक्ति, विवेक, आर्थिक और यौनिकता का दुरुपयोग हुआ है।" सुश्री पीरेस ने जोर देकर कहा, कि दुर्व्यवहार ने कलीसिया की "विश्वसनीयता" खो दिया है, इतना तक कि एक "नियंत्रण तंत्र" आवश्यक हो गया है।
सुश्री पीरेस ने बताया, धर्मसभा दुर्व्यवहार को रोकने में मदद कर सकती है क्योंकि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका संबंध सुनने और संवाद करने से है।
अंत में, सुश्री पीरेस ने बताया कि डिजिटल वातावरण में युवा लोगों के साथ मौजूद रहने का मुद्दा दूर की परिधि पर मौजूद लोगों को करीब लाने के मिशन का एक सच्चा स्थान है। वास्तव में, यह इन युवाओं से मिलने का स्थान है जहां वे पहले से ही हैं, अर्थात् विभिन्न सोशल नेटवर्क में।
महाधर्माध्यक्ष ग्रुसास: प्रशिक्षण और हृदय परिवर्तन
विनियस के महाधर्माध्यक्ष यूरोपीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन और लिथुआनियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष, महाधर्माध्यक्ष गिंटारस ग्रुसास ने फरवरी में प्राग में आयोजित महाद्वीपीय बैठक को याद किया।
अमेरिकी मूल के महाधर्माध्यक्ष के विचार में, यह "बातचीत और आध्यात्मिक साझाकरण के लिए एक बेहद सकारात्मक अवसर" था, जिसकी बदौलत 45 अलग-अलग देशों के धर्माध्यक्ष अलग-अलग दृष्टिकोणों से एक साथ बात करने और मुददों की तुलना करने में सक्षम थे।
धर्मसभा के काम का जिक्र करते हुए, महाधर्माध्यक्ष ग्रुसास ने प्रशिक्षण के विषय की केंद्रीयता पर जोर दिया और कहा, " कलीसिया होने का एक तरीका, एक साथ रहने का, एकता का अनुभव करने का एक तरीका है।" उन्होंने सुझाव दिया कि धर्मसभा का अनुभव स्वयं इस सब को ठोस रूप से महसूस कराता है।
उन्होंने कहा, "इन दिनों की थकान के बावजूद, हमारे पास बहुत ऊर्जा है क्योंकि, हालांकि हम अलग-अलग देशों से आते हैं, हमें एहसास है कि हमारे बीच बहुत कुछ समान है: सबसे पहले, विश्वास।" महाधर्माध्यक्ष ग्रुसास द्वारा उजागर किया गया एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू हृदय परिवर्तन है, "कलीसिया के रूप में विकसित होने" की इच्छा, जो मानसिकता बदलने की इच्छा से शुरू होती है।
सिस्टर फडौल: पीड़ा और आशा के बीच
फिर सीरिया की सिस्टर हौदा फडौल ने मंच संभाला। सिस्टर हौदा 1993 में फादर पावलो दाल'ओलियो द्वारा स्थापित सीरियाई-काथलिक रीति डेर मार मूसा के मठवासी समुदाय में शामिल हो गईं। वे पूर्वी कलीसियाओं और मध्य पूर्व के लिए धर्मसभा प्रक्रिया के गवाह के रूप में भाग लेती हैं। उसने व्यक्तिगत और कलीसिया संबंधी अनुभव के बारे में बात की, जो युद्ध, महामारी, भूकंप जैसी नाटकीय घटनाओं से चिह्नित है।
सिस्टर फडौल ने धर्मसभा को "आदान-प्रदान का एक बहुत ही समृद्ध क्षण" कहा जो प्रार्थना में दी जाने वाली एकता और साझाकरण को बढ़ावा देता है। आख़िरकार, प्रत्येक विषय को "एक साथ चलने" की शैली में संबोधित किया जाता है: वहाँ एक प्रारंभिक बिंदु, एक रास्ता, एक लक्ष्य है जिसे हासिल किया जाना है।
टोकियो के महाधर्माध्यक्ष : कारितास की नज़र से
टोकियो महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष तार्सिसियो इसाओ किकुची, एक वर्बाइट मिशनरी, कारितास इंटरनेशनल के अध्यक्ष, जापान के धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष और एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन संघ के महासचिव हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि जापानियों के लिए समूह में बोलना कितना कठिन है, क्योंकि वे अपनी शैली में मौन रहना पसंद करते हैं।
उन्होंने कहा, इसीलिए, "इन दिनों हम जो बहस कर रहे हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है। महाद्वीपीय सभाओं में हमने पहले से ही एक मेज के आसपास छोटे समूहों के तरीके का उपयोग करना शुरू कर दिया था, एशिया में आयोजित बैठकों ने हमें धर्मसभा के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया। उनहोंने कहा, “पाँच छोटे समूहों में भाग लेकर, मुझे कलीसिया की एकता में विविधता का पूरी तरह से अनुभव करने का अवसर मिला। यह नहीं भूलना है कि इसका अस्तित्व सार्वभौमिक है।''
टोकियो के महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि एशिया में बहुत सारी भाषाएँ और बहुत सारी वास्तविकताएँ हैं। सभी लोगों के साथ चलने का सिर्फ एक ही तरीका नहीं है और धर्मसभा का मतलब एकरूपता नहीं है, बल्कि व्यक्तियों और संस्कृतियों का उचित सम्मान करना आवश्यक है।
इसके बाद महाधर्माध्यक्ष किकुची ने कारितास इंटरनेशनल के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा के बारे में बात की, उन्होंने बताया कि "प्रत्येक कारितास कलीसिया की धर्मसभा यात्रा में मौलिक है। सभी संगठनों की अपनी काथलिक पहचान है, वे विभिन्न भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं और साथ-साथ काम करते हैं।" और सबका अपना विश्वव्यापी और अंतरधार्मिक मूल्य है। इस संगठन का नेतृत्व करने वालों और दुनिया के सभी हिस्सों में स्थानीय स्तर पर काम करने वालों की विभिन्न राष्ट्रीयताओं में धर्मसभा देखी जा सकती है।"
सिस्टर बैरोनः अफ़्रीकी धर्मसभा
आयरलैंड की सिस्टर मेरी तेरेसा बैरोन, प्रेरितों की माता मरियम धर्मसमाज की सुपीरियर जनरल और इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सुपीरियर जनरल की अध्यक्ष हैं। धर्मसभा पर विचार करते हुए, उन्होंने कहा, "मुझे एक धर्मबहन के रूप में अपने अनुभव के आधार पर चीजों को देखने और जीने के लिए प्रेरित किया है, पूर्वी अफ्रीका में एक ग्रामीण पल्ली में परिपक्व हुई, जहां मैंने एक सिनॉडल कलीसिया का पहला अनुभव जीया था, एक 'युवा' कलीसिया जिसमें 35 गांवों के लिए दो पुरोहित और आधे आयरलैंड जितने बड़े क्षेत्र के लिए एक प्रचारक है।"
धर्मबहन ने आगे कहा, छोटे कामकाजी समूहों में अनुभव की जाने वाली धर्मसभा उस अनुभव के समान है जब अफ्रीका में "समुदाय में विश्वासियों के साथ, हर रविवार को मिट्टी की झोपड़ियों के बाहर, हम एक साथ निर्णय लेने के लिए एक घेरे में बैठते थे, "यहां तक कि उन लोगों के साथ भी जिनके पास कोई शिक्षा नहीं थी और हमने अपने दिल की गहराइयों से विश्वास साझा किया। लेकिन हर आवाज़ में एक वज़न था।"
सिस्टर बैरोन ने "युवा' कलीसियाओं को अधिक सुनने का प्रस्ताव रखा, जहां मजबूत भागीदारी है" और यह भी पुष्टि की कि कैसे उनके अपने धर्मसमाज के भीतर का जीवन भी धर्मसभा पर आधारित है।
कलीसिया में हर किसी की अपनी भूमिका है
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सिस्टर फडौल ने धर्मसभा के संबंध में आम जीवन के गवाह के योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने विशेष रूप से याद किया कि उन्होंने अपने समुदाय के साथ सीरियाई ख्रीस्तियों को नहीं छोड़ा था, उन्हें प्रार्थना में मदद की, उन्हें एकजुटता का एहसास कराया। सिस्टर बैरोन ने समर्पित जीवन में धर्मसभा को जीने के लिए प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। सिस्टर बैरोन ने ऑनलाइन प्रशिक्षण में "रिपल इफ़ेक्ट" का उल्लेख किया, जो साझाकरण और सामुदायिक निर्माण को व्यापक बनाने के लिए उपयोगी है।
कलीसिया में आतिथ्य और समावेशन पर एशियाई महाद्वीपीय दस्तावेज़ में शामिल प्रस्ताव पर एक फिलिपिनो पत्रकार के एक सवाल का जवाब देते हुए, टोकियो के महाधर्माध्यक्ष ने छोटे समूहों में प्रस्तावित प्रस्ताव को दोहराया, अर्थात् "प्रवेश करने के लिए किसी के जूते उतारने की पूर्वी प्रथा "घर" स्वागत और आतिथ्य के संकेत के रूप में।
सम्मेलन के अंतिम निर्णयों के बारे में एक अंतिम प्रश्न पर, महाधर्माध्यक्ष ग्रुसास ने "सिनॉडैलिटी की पद्धति पर" सम्मेलन की एकता पर जोर दिया।
विशिष्ट विषयों पर "मुझे विश्वास नहीं है कि इस स्तर पर, या 2024 से पहले भी, अंतिम निर्णय होंगे। लेकिन अगर हम आगे बढ़ते हैं और धर्मसभा में रहते हैं तो वे जरुर आएंगे, क्योंकि हम सैधांतिक निष्कर्षों की तलाश नहीं करते हैं, इस बारे में कोई पूर्वधारणा नहीं है कि क्या होगा यह धर्मसभा होनी चाहिए। हालाँकि हर कोई निर्णय चाहेगा, लेकिन प्रक्रिया निर्णयों से अधिक महत्वपूर्ण है।"
अंत में, सिस्टर फडौल ने कहा कि सुनना, साझा करना और समझना पूरी कलीसिया के लिए प्रमुख शब्द हैं।
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