रत्जिंगर पुरस्कार 2023, स्पानी ईशशास्त्री एवं दर्शनशास्त्री को
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी शनिवार, 4 नवंबर 2023 (रेई) : रत्जिंगर पुरस्कार 2023 को स्पानी ईशशास्त्री और दर्शनशास्त्री फादर पाब्लो ब्लांको सार्तो एवं फ्रांचेस्को तोर्रालबा रोसेल्लो को 30 नवम्बर को प्रदान किया जाएगा।
पुरस्कार का वितरण 30 नवम्बर को वाटिकन के प्रेरितिक भवन साला रेजिया में वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन के कर कमलों से किया जाएगा। समारोह की शुरूआत रोम समयानुसार शाम 5 बजे होगा और जोसेफ रत्जिंगर - पोप बेनेडिक्ट 16वें – के निधन के करीब एक साल बाद उनपर चिंतन प्रस्तुत किया जाएगा।
पोप बेनेडिक्ट 16वें जिनका निधन 31 दिसम्बर 2022 को हुआ था उनकी यादगारी में सुबह 8:15 बजे ख्रीस्तयाग अर्पित किया जाएगा।
इसके अलावा, 29 नवंबर की दोपहर को, शाम 5 बजे से, रोम का परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय इस विषय पर अंग्रेजी में एक अध्ययन सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
फादर पाब्लो ब्लांको सारतो, रत्जिंगर के ईशशास्त्र के विशेषज्ञ
पाब्लो ब्लांको सारतो का जन्म 12 जुलाई 1964 को स्पेन के ज़ारागोज़ा में हुआ था। नवार्रा विश्वविद्यालय में हिस्पैनिक दर्शनशास्त्र का अध्ययन करने के बाद, उन्होंने रोम में पवित्र क्रूस के परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय में ईशशास्त्र की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने लुइगी पैरिसन (1918-1991) के विचार पर दर्शनशास्त्र में अपनी डिग्री और डॉक्टरेट की उपाधि शुरू की। 21 सितंबर 1997 को उनका पुरोहिताभिषेक सम्पन्न हुआ। 2005 में, उन्होंने जोसेफ रत्ज़िंगर के मौलिक ईशशास्त्र और धर्मों पर एक अध्ययन के साथ नवार्रा विश्वविद्यालय में डॉगमैटिक ईशशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि पूरी की।
वर्तमान में वे नवारा विश्वविद्यालय में ख्रीस्तीय एकता, संस्कारीय ईशशास्त्र और प्रेरिताई के क्षेत्रों के लिए प्रोफेसर हैं। उन्होंने जर्मनी के रेगेन्सबर्ग में इंस्टीट्यूट पापस्ट बेनेडिक्ट 16वें के साथ, स्पेन और लैटिन अमेरिका के कई शैक्षणिक संस्थानों और विभिन्न प्रकाशन केंद्रों और ईशशास्त्रीय एवं प्रेरितिक पत्रिकाओं के साथ सहयोग करते हैं। वे बीएसी में स्पेनिश में जोसेफ रत्ज़िंगर के ओपेरा ओम्निया के संपादकीय बोर्ड में हैं। और बेनेडिक्ट 16वें के जीवन, विचार और कार्य पर कई अध्ययनों और संस्करणों के लेखक भी हैं।
तोर्रालबा रोसेल्लो दार्शनिक मानवविज्ञान और नैतिकता
उन्होंने बार्सेलोना विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र (1992), कैटालोनिया के ईशशास्त्र संकाय से ईशशास्त्र (1997), रेमन लुल विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र (2018), और एटेन्यू यूनिवर्सिटी संत पासिया, फैकल्टी एंटोनी गौडी (2022) से इतिहास, पुरातत्व और ख्रीस्तीय कला में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
वे वर्तमान में रेमन लुल्ल विश्वविद्यालय में एक मान्यता प्राप्त प्रोफेसर हैं और स्पेन तथा अमेरिका के अन्य विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम और सेमिनार आयोजित करते हैं। वे अपनी शिक्षण गतिविधि को दार्शनिक मानवविज्ञान और नैतिकता की ओर उन्मुख, लेखन और अपने विचारों के प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ बदलते हैं। एक विपुल लेखक के रूप में, उन्होंने 1,800 से अधिक लेख और 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं।
फाउंडेशन की वैज्ञानिक समिति
रत्ज़िंगर पुरस्कार वाटिकन फाउंडेशन जोसेफ रत्ज़िंगर-बेनेडिक्ट 16वें की एक विशिष्ट पहल है, जिसमें 'उन विद्वानों को पुरस्कृत किया जाता है जो प्रकाशन और वैज्ञानिक अनुसंधान में विशेष योग्यता से प्रतिष्ठित हैं।' हाल के वर्षों में, पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के दायरे को ईसाई-प्रेरित कलाओं को शामिल करने के लिए विस्तारित का गया है। पुरस्कार के लिए नामांकन फाउंडेशन की वैज्ञानिक समिति द्वारा अनुमोदन के लिए पोप को प्रस्तावित किया जाता है, जिसमें संत पापा द्वारा नियुक्त पांच सदस्य शामिल होते हैं।
वर्तमान में फाऊंडेशन के सदस्य हैं, ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल कूर्ट कोच; विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के सेवानिवृत अध्यक्ष कार्डिनल लुइस लदारिया; संस्कृति के लिए परमधर्मपीठीय समिति के सेवानिवृत अध्यक्ष कार्डिनल जनफ्राँको रवासी; सुसमाचार प्रचार विभाग के उप अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष सल्वातोरे फिसिकेल्ला; और पापेस्ट बेनेडिक्ट 16वें संस्थान के अध्यक्ष मोनसिन्योर रूडोल्फ वोडेरहोलजर।
2011 से अब तक 28 विशेषज्ञों को पुरस्कृत किया गया है
यह पुरस्कार 2011 से प्रतिवर्ष दो या तीन विद्वानों को प्रदान किया जाता है। 2023 संस्करण के साथ, कुल 28 पुरस्कार विजेता होंगे। विश्वव्यापी सांस्कृतिक क्षितिज की पुष्टि करते हुए, पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति कम से कम 16 विभिन्न देशों से आते हैं: जर्मनी (7), फ्रांस (4), स्पेन (3), इटली (2), ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बुर्किना फासो, कनाडा, एस्टोनिया , ग्रीस, इंग्लैंड, लेबनान, पोलैंड, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और स्विट्जरलैंड। वे न केवल कैथोलिक हैं, बल्कि अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के भी सदस्य हैं: एक एंग्लिकन, एक लूथरन, दो ऑर्थोडॉक्स और एक यहूदी भी पुरस्कार विजेता रहे हैं।
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