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धर्माध्यक्षीय  धर्मसभा 2023 धर्माध्यक्षीय धर्मसभा 2023  (ANSA)

धर्मसभा रिपोर्ट: एक कलीसिया जिसमें हर कोई शामिल है, दुनिया की पीड़ा के करीब है

धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की 16वीं महासभा के समापन पर संकलित रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। 2024 में दूसरे सत्र की प्रतीक्षा करते हुए, यह रिपोर्ट महिलाओं और लोकधर्मियों की भूमिका, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और उपयाजकों का प्रेरिताई, गरीबों और प्रवासियों के महत्व, डिजिटल मिशन, सार्वभौमवाद और दुर्व्यवहार जैसे विषयों पर विचार और प्रस्ताव प्रस्तुत करती है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार 15 नवम्बर 2023 : धर्मसभा की 16वीं महासभा द्वारा अनुमोदित और प्रकाशित संकलित रिपोर्ट में, दुनिया और कलीसिया की मांगों पर नए सिरे से नज़र डाली गई है। महिलाएं और लोकधर्मी, उपयाजक, प्रेरिताई और मजिस्ट्रियम, शांति और जलवायु, गरीब और प्रवासी, साम्यवाद और पहचान, नई भाषाएं और नवीनीकृत संरचनाएं, पुराने और नए मिशन ("डिजिटल" मिशन) सहित, सभी को सुनना और अधिक गहराई से हर चीज की जांच करना, यहां तक कि सबसे 'विवादास्पद' मुद्दों पर भी।

चार सप्ताह के काम के बाद, जो 4 अक्टूबर को वाटिकन के संत पापा पॉल षष्टम हॉल में शुरू हुआ, महासभा ने 29 अक्टूबर को अपना पहला सत्र समाप्त किया।

लगभग चालीस पृष्ठों का दस्तावेज़ उस सभा के कार्य का परिणाम है, "जब दुनिया में पुराने और नए दोनों तरह के युद्ध छिड़े हुए हैं, जिनके नाटकीय परिणाम अनगिनत पीड़ितों पर पड़ रहे हैं।" रिपोर्ट आगे कहती है, “गरीबों की, पलायन को मजबूर लोगों की, हिंसा और जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से पीड़ित लोगों की चीखें हमारे बीच गूंजती रहीं। हमने न केवल मीडिया के माध्यम से, बल्कि उपस्थित कई लोगों की आवाज़ों के माध्यम से भी उनका रोना सुना, जो व्यक्तिगत रूप से इन दुखद घटनाओं में शामिल थे, चाहे उनके परिवारों के माध्यम से या उनके लोगों के माध्यम से।”

इस चुनौती और कई अन्य चुनौतियों के लिए, विश्वव्यापी कलीसिया ने छोटे सर्किलों और हस्तक्षेपों में प्रतिक्रिया देने की कोशिश की है। संकलित रिपोर्ट एक प्रस्तावना और तीन भागों में विभाजित है, जो 2024 में दूसरे सत्र में किए जाने वाले काम का मार्ग दर्शन करता है।

संत  पापा पॉल षष्टम हॉल में  काम करते हुए  महासभा के सदस्य
संत पापा पॉल षष्टम हॉल में काम करते हुए महासभा के सदस्य

दुर्व्यवहार के पीड़ितों से शुरुआत करते हुए सभी की बात सुनना (भाग I)

जैसा कि ईश प्रजा को लिखे पत्र में, धर्माध्यक्षीय धर्मसभा "कलीसिया में यौन दुर्व्यवहार और चोट झेलने वाले लोगों सहित सभी को सुनने और साथ देने के लिए खुलेपन" की पुष्टि करती है और "इस तरह के दुर्व्यवहार को बढ़ावा देने वाली संरचनात्मक स्थितियों को संबोधित करती है जहाँ पश्चाताप के ठोस संकेतों की आवश्यकता होती है।”

धर्मसभा कलीसिया का चेहरा

सिनॉडालिटी पहला कदम है। यह एक ऐसा शब्द है जिसे धर्मसभा में भाग लेने वाले स्वयं स्वीकार करते हैं, "यह शब्द ईश्वर के लोगों के कई सदस्यों के लिए अपरिचित है, जिससे कुछ लोगों को भ्रम और चिंता होती है," (1एफ) जिसमें परंपरा से हटने का डर, परंपरा का ह्रास शामिल है। कलीसिया की पदानुक्रमित प्रकृति (1जी), शक्ति की हानि या, इसके विपरीत, गतिहीनता और परिवर्तन के लिए साहस की कमी। इसके बजाय "सिनॉडल" (सहभागी) और "सिनॉडालिटी" (सहभागिता) ऐसे शब्द हैं जो "कलीसिया होने के एक तरीके की बात करते हैं जो समन्वय, मिशन और भागीदारी को एकीकृत करता है।" इसलिए वे कलीसिया में रहने, मतभेदों को महत्व देने और सभी की सक्रिय भागीदारी विकसित करने के तरीके का संकेत देते हैं। यह उपयाजकों, पुरोहितों और धर्माध्यक्षों से शुरू होता है: "एक सिनॉडल कलीसिया उनकी आवाज के बिना नहीं चल सकता" (1एन), "हमें उनमें से कुछ के द्वारा धर्मसभा के विरोध के कारणों को समझने की आवश्यकता है।"

मिशन

दस्तावेज़ यह समझाता है कि सिनॉडालिटी मिशन के साथ-साथ चलती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि "ख्रीस्तीय समुदायों को अन्य धर्मों, विश्वासों और संस्कृतियों के साथ एकजुटता में प्रवेश करना है, इस प्रकार एक ओर, आत्म-संदर्भ और आत्म-संरक्षण के जोखिम से बचना है और दूसरी ओर पहचान को खोने के जोखिम से बचना है।"(2ई) कई लोगों को इस नई "प्रेरितिक शैली" में, "धर्मविधि की भाषा को विश्वासियों के लिए अधिक सुलभ और संस्कृतियों की विविधता में अधिक सन्निहित" बनाना महत्वपूर्ण लगा। (3एल)

संत पापा पॉल षष्टम हॉल में काम करते महासभा के सदस्य
संत पापा पॉल षष्टम हॉल में काम करते महासभा के सदस्य

केंद्र में गरीब

रिपोर्ट में पर्याप्त स्थान गरीबों को समर्पित है, जो कलीसिया से "प्यार" मांगते हैं, जिसे "सम्मान, स्वीकृति और मान्यता" के रूप में समझा जाता है। (4ए) "कलीसिया के लिए, गरीबों और हाशिये पर मौजूद लोगों के लिए विकल्प सांस्कृतिक, समाजशास्त्रीय, राजनीतिक या दार्शनिक श्रेणी होने से पहले एक धार्मिक श्रेणी है" (4बी), दस्तावेज़ में कहा गया है कि गरीबों की पहचान न केवल भौतिक रूप से गरीब लोगों के रूप में की जाती है, बल्कि प्रवासियों; मूल वासियों; हिंसा और दुर्व्यवहार के शिकार विशेषकर महिलाएँ, या नस्लवाद और तस्करी के शिकार; नशा का सेवन करने वाले लोग; अल्पसंख्यक; परित्यक्त बुजुर्ग लोग और शोषित श्रमिकों के रूप में भी की जाती है। (4 सी) दस्तावेज़ में आगे कहा गया है, "सबसे कमज़ोर लोगों में, अजन्मे बच्चे और उनकी माताएँ हैं" जिन्हें लगातार सुरक्षा की ज़रूरत है । "महासभा 'नए गरीबों' की पुकार सुनती है, जो युद्धों और आतंकवाद से उत्पन्न होती है, जो कई महाद्वीपों के कई देशों को त्रस्त करती है, और महासभा उन भ्रष्ट राजनीतिक और आर्थिक प्रणालियों की निंदा करती है जो इस तरह के संघर्ष का कारण बनते हैं।"

महासभा के दस्तावेज में कहा गया है, "सबसे कमजोर लोगों में से, जिनके लिए निरंतर हिमायत की आवश्यकता है, वे गर्भ में पल रहे बच्चे और उनकी माताएँ हैं।" ये "युद्धों द्वारा उत्पन्न 'नए गरीबों' के विलाप से अवगत हैं" और आतंकवाद भी 'भ्रष्ट राजनीतिक और आर्थिक प्रणालियों' के कारण होता है।

राजनीति के क्षेत्र में और आम भलाई के लिए विश्वासियों की प्रतिबद्धता

इस अर्थ में, कलीसिया से व्यक्तियों, सरकारों और कंपनियों द्वारा किए गए "अन्याय की सार्वजनिक निंदा" के लिए प्रतिबद्ध होने और राजनीति, संघों, ट्रेड यूनियनों, लोकप्रिय आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी के लिए आग्रह किया जाता है। साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सहायता के क्षेत्र में कलीसिया की समेकित कार्रवाई, "बिना किसी भेदभाव या किसी के बहिष्कार के" किया जाना चाहिए। (4के)

महासभा की कार्यवाही के दौरान विराम
महासभा की कार्यवाही के दौरान विराम

प्रवासी

महासभा में प्रवासियों और शरणार्थियों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, "जिनमें से कई लोग अपने देश से भगाये जाने, युद्ध और हिंसा के दंश झेलते हैं।" वे "अक्सर उन समुदायों के लिए नवीनीकरण और संवर्धन का स्रोत बन जाते हैं जो उनका स्वागत करते हैं और भौगोलिक रूप से दूर की कलीसियाओं के साथ सीधे संबंध स्थापित करने का अवसर बनते हैं।" (5डी) उनके प्रति बढ़ते शत्रुतापूर्ण रवैये का सामना करते हुए, महासभा का कहना है, "हम खुले स्वागत का अभ्यास करने, एक नए जीवन के निर्माण में उनका साथ देने और लोगों के बीच एक सच्चा अंतरसांस्कृतिक संवाद बनाने के लिए बुलाये गये हैं।" इस अर्थ में "प्रवासियों की धार्मिक परंपराओं और धार्मिक प्रथाओं के प्रति सम्मान" के साथ-साथ उनकी अपनी भाषा के प्रति सम्मान मौलिक है। उदाहरण के लिए, "मिशन" जैसा शब्द, उन संदर्भों में जहां "सुसमाचार की उद्घोषणा उपनिवेशीकरण, यहां तक कि नरसंहार" से जुड़ी थी, "दर्दनाक ऐतिहासिक यादों" से भरा हुआ है और "आज एकता में बाधा डालता है।" (5ई) दस्तावेज़ में कहा गया है, "इन संदर्भों में सुसमाचार प्रचार के लिए की गई गलतियों को स्वीकार करने, इन मुद्दों के प्रति नई संवेदनशीलता सीखने की आवश्यकता है।"

नस्लवाद और ज़ेनोफ़ोबिया का मुकाबला करना

शिक्षा में, संवाद और मुलाकात की संस्कृति में, नस्लवाद और ज़ेनोफोबिया का मुकाबला करने में, विशेष रूप से प्रेरितिक प्रशिक्षण के माध्यम से निर्णायक रूप से संलग्न होने के लिए कलीसिया को समान प्रतिबद्धता और देखभाल की आवश्यकता है। (5पी) "कलीसिया के भीतर उन प्रणालियों की पहचान करना भी जरूरी है जो नस्लीय अन्याय पैदा करती हैं या बनाए रखती हैं।" (5क्यू)

पूर्वी कलीसियाएँ

प्रवासन के विषय पर रिपोर्ट पूर्वी यूरोप और हाल के संघर्षों पर नज़र डालती है, जिसके कारण बड़ी संख्या में पूर्वी काथलिकों का लैटिन बहुमत वाले क्षेत्रों में प्रवाह हुआ है। महासभा का कहना है, "यह आवश्यक है, कि स्थानीय लैटिन-धर्मविधि कलीसियाओं को, धर्मसभा के नाम पर, पूर्वी काथलिकों को आत्मसात करने की प्रक्रिया से गुजरे बिना अपनी पहचान बनाए रखने और अपनी विशिष्ट विरासत को विकसित करने में मदद करना है। ” (6सी)

ख्रीस्तीय एकता की राह पर

ख्रीस्तीय एकता वर्धक वार्ता के संबंध में, रिपोर्ट एक "आध्यात्मिक नवीनीकरण" की बात करती है जिसके लिए "पश्चाताप की प्रक्रियाओं और स्मृति के उपचार" की आवश्यकता होती है। (7सी) यह "रक्त की ख्रीस्तीय एकता वर्धक वार्ता" के बारे में संत पापा फ्राँसिस की अभिव्यक्ति को उद्धृत करता है; जिसमें "विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय जो येसु मसीह में विश्वास के लिए अपना जीवन देते हैं", (7डी) और इसमें एक विश्वव्यापी शहादत (7ओ) के प्रस्ताव का उल्लेख है। रिपोर्ट यह भी दोहराती है कि "सभी ख्रीस्तियों के बीच सहयोग" नफरत, विभाजन और युद्ध की संस्कृति को ठीक करने का एक संसाधन है जो समूहों, लोगों और राष्ट्रों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करता है। यह तथाकथित मिश्रित विवाहों के मुद्दे को नहीं भूलता है, जो वास्तविकताएं हैं जिनमें "एक-दूसरे को ख्रीस्तीय बनाना संभव है।" (7एफ)

लोकधर्मी और परिवार (भाग II)

"समर्पित जीवन जीने वाले पुरुषों, महिलाओं और अभिषिक्त पुरोहितों की समान गरिमा है" (8बी): संकलित रिपोर्ट में इस दृढ़ विश्वास को जोरदार ढंग से दोहराया गया है, जो याद दिलाता है कि लोकधर्मी "ख्रीस्तीय समुदायों के भीतर सेवा में मौजूद और सक्रिय हैं।" (8ई) धर्मशिक्षकों, धर्मशास्त्रियों, आध्यात्मिक अनुप्राणदाताओं और प्रचारकों, सक्रिय सुरक्षाकर्मियों और प्रशासकों का योगदान "कलीसिया के मिशन के लिए अपरिहार्य" है। (8ई) इसलिए अलग-अलग करिश्माओं को " पहचाना जाना चाहिए, आगे बढ़ाया जाना चाहिए और पूरी तरह से सराहना की जानी चाहिए।" (8एफ) इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, या "याजकवाद" नहीं होना चाहिए। (8एफ)

कलीसिया के जीवन और मिशन में महिलाएं

फिर, कलीसिया की ओर से प्रेरितिक और सांस्कारिक जीवन के सभी पहलुओं में महिलाओं का साथ देने और उन्हें समझने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता का आह्वान किया गया है। इसमें कहा गया है, "महिलाएं अभी भी यौन हिंसा, आर्थिक असमानता और उन्हें वस्तुओं के रूप में व्यवहार करने की प्रवृत्ति से चिह्नित समाजों में न्याय के लिए गुहार करती हैं," (9सी) इसमें कहा गया है, "महिलाओं के लिए प्रेरितिक सहयोग और वकालत साथ-साथ चलनी चाहिए।"

धर्मसभा में भाग लेने वाली कुछ महिलाओं के साथ संत पापा फ्राँसिस
धर्मसभा में भाग लेने वाली कुछ महिलाओं के साथ संत पापा फ्राँसिस

याजकवाद

धर्मसभा में उपस्थित कई महिलाओं ने "पुरोहितों और धर्माध्यक्षों के कामों के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त की", लेकिन "ऐसी बातों को भी साझा किया जो उन्हें पीड़ा देता है।"(9 एफ) "याजकवाद, एक अंधराष्ट्रवादी मानसिकता और अधिकार की अनुचित अभिव्यक्तियाँ लगातार डरा रही हैं और कलीसिया के चेहरे एवं उसके साम्य को नुकसान पहुँचा रही हैं।" महासभा ने कहा, "किसी भी प्रभावी संरचनात्मक परिवर्तन की नींव के रूप में गहन आध्यात्मिक रूपांतरण की आवश्यकता है" और "हम एक ऐसी कलीसिया को बढ़ावा देना चाहते हैं जिसमें पुरुष और महिलाएं एक साथ बातचीत करें... अधीनता, बहिष्करण और प्रतिस्पर्धा के बिना।” (9 एच)

क्या महिलाओं के लिए उपयाजक अभिषेक शुरु किया जाए?

महिलाओं के उपयाजक बनने के मुद्दे पर विभिन्न मतों को स्वीकार किया गया (9जे): कुछ लोगों के लिए, यह "अस्वीकार्य है क्योंकि वे इसे परंपरा से विच्छेद मानते हैं"; दूसरों के लिए, यह प्रारंभिक कलीसिया की प्रथा को बहाल करेगा; फिर भी अन्य लोग इसे "समय के संकेतों के प्रति एक उचित और आवश्यक प्रतिक्रिया के रूप में देखते हैं ... जो कलीसिया में नई ऊर्जा और जीवन शक्ति की तलाश करने वाले कई लोगों के दिलों में गूंज पाएगा।" फिर ऐसे लोग भी हैं जो चिंतित हैं कि महिलाओं के उपयाजक बनने से "एक चिंताजनक मानवशास्त्रीय भ्रम पैदा होगा, जो अगर अनुमति दी गई, तो कलीसिया युग की भावना से जुड़ जाएगा"। धर्मसभा के सदस्य संत पापा द्वारा विशेष रूप से स्थापित आयोगों के परिणामों के साथ-साथ पहले से किए गए धार्मिक, ऐतिहासिक और व्याख्यात्मक शोध का उपयोग करते हुए "उपयाजक तक महिलाओं की पहुंच पर धार्मिक और प्रेरितिक अनुसंधान" जारी रखने के लिए कहते हैं : "यदि संभव हो तो इस शोध के परिणाम को धर्मसभा के अगले सत्र में प्रस्तुत किए जाने चाहिए।"(9एन)

भेदभाव और दुर्व्यवहार

इस बीच, यह सुनिश्चित करने की तात्कालिकता दोहराई गई है कि "महिलाएं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग ले सकती हैं और प्रेरितिक देखभाल और कार्यालय में जिम्मेदारी की भूमिका निभा सकती हैं", यह देखते हुए कि कैनन लॉ को तदनुसार अनुकूलित किया जाना चाहिए। (9एम) रोजगार भेदभाव और अनुचित पारिश्रमिक के मामलों को भी संबोधित किया जाना चाहिए, जिसमें कलीसिया के मामले भी शामिल हैं जहां समर्पित महिलाओं को अक्सर "सस्ता श्रम" माना जाता है। (9ओ) इसी प्रकार, ईशशास्त्र शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक महिलाओं की पहुंच का विस्तार किया जाना चाहिए, (9पी) जिसमें धर्मविधि ग्रंथों और कलीसियाई दस्तावेजों में समावेशी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है।(9क्यू)

समर्पित जीवन

समर्पित जीवन के विभिन्न रूपों की समृद्धि और विविधता को देखते हुए, रिपोर्ट "एक सत्तावादी शैली की दृढ़ता के खिलाफ चेतावनी देती है, जिसमें संवाद के लिए कोई जगह नहीं है।" रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, "समर्पित जीवन से जुड़े लोगों और सामान्य संगठनों के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहार के मामले, अधिकार के प्रयोग में समस्या का संकेत देते हैं और निर्णायक एवं उचित हस्तक्षेप की मांग करती हैं।"(10डी)

उपयाजक और प्रशिक्षण

आमसभा तब अभिषिक्त पुरोहितों के प्रति आभार व्यक्त करती है, जो "गहरी व्यक्तिगत आध्यात्मिकता और प्रार्थना का जीवन विकसित करते हुए, लोगों के साथ निकटता, सभी का स्वागत करने, उन्हें सुनने और ईश प्रजा की सेवा में अपना जीवन जीने के लिए बुलाये गये हैं।"(11बी) रिपोर्ट याजकवाद, "पुरोहिताई बुलाहट के विरूपण" के खिलाफ चेतावनी देती है, जिसे लोगों और जरूरतमंद लोगों के साथ "निकट संपर्क" सुनिश्चित करके "प्रशिक्षण के शुरुआती चरणों से चुनौती देने की जरूरत है।"(11सी) साथ ही अनुरोध किया गया है कि प्रेरिताई के लिए उम्मीदवारों के प्रशिक्षण सेमिनरियों या अन्य पाठ्यक्रमों को समुदायों के दैनिक जीवन से जोड़ा जाए (11 ई), ताकि "औपचारिकता और विचारधारा के जोखिमों से बचा जा सके जो सत्तावादी दृष्टिकोण को जन्म देते हैं, और वास्तविक बुलाहटीय विकास बाधा डालते हैं।"

ब्रह्मचर्य जीवन

रिपोर्ट में कहा गया है कि आमसभा के दौरान ब्रह्मचर्य के विषय का उल्लेख किया गया था, जिसे विभिन्न मूल्यांकन प्राप्त हुए। इसके मूल्य को सभी ने बड़े पैमाने पर भविष्यसूचक और मसीह के लिए एक गहन गवाही के रूप में सराहा है”; जबकि कुछ लोग पूछते हैं कि "क्या पुरोहिताई प्रेरिताई के लिए धार्मिक रूप से इसकी उपयुक्तता को आवश्यक रूप से लैटिन कलीसिया में एक अनुशासनात्मक दायित्व में तब्दील किया जाना चाहिए, सबसे ऊपर कलीसियाई और सांस्कृतिक संदर्भों में जो इसे और अधिक कठिन बनाते हैं।" यह चर्चा नई नहीं है लेकिन इस पर और विचार करने की आवश्यकता है।”

धर्माध्यक्ष

धर्माध्यक्षों की छवि और भूमिका पर पर्याप्त चिंतन है, जिसे "सह-जिम्मेदारी" निभाते हुए "धर्मसभा का एक उदाहरण" कहा जाता है, (12सी)  जिसे पुरोहितों और धर्मप्रांत के भीतर अन्य अभिनेताओं की भागीदारी के रूप में समझा जाता है। ताकि "प्रशासनिक और कानूनी प्रतिबद्धताओं" के बोझ को हल्का किया जा सके जो उनके मिशन में बाधा बन सकते हैं।(12 ई) साथ ही धर्माध्यक्ष को हमेशा वह मानवीय और आध्यात्मिक समर्थन नहीं मिलता जिसकी उसे ज़रूरत होती है, जबकि "निश्चित रुप से अकेलेपन की भावना असामान्य नहीं है।" (12ई)

दुर्व्यवहार

दुर्व्यवहार पर उठे सवाल, जो "कई धर्माध्यक्षों को पिता की और न्यायाधीश की भूमिका के बीच सामंजस्य बैठाने की कठिन परिस्थिति में डालता है" (12आई), रिपोर्ट "किसी अन्य निकाय को न्यायिक कार्य सौंपने की उपयुक्तता" की खोज का समर्थन करती है और इसे (धार्मिक आदेशों के अनुसार) विहित रूप से निर्दिष्ट किया जाना है। ”(12आई)

प्रशिक्षण (भाग III)

रिपोर्ट में "धर्मसभा दृष्टिकोण" के प्रशिक्षण के लिए अनुरोध किया गया है, जिसमें सिफारिश की गई है कि "रिश्ते और यौन शिक्षा पर काम किया जाए, युवा लोगों को उनकी व्यक्तिगत और यौन पहचान में परिपक्व होने के लिए साथ दिया जाए और ब्रह्मचर्य एवं समर्पित शुद्धता” (14जी) का जीवन जीने के लिए बुलाए गए लोगों की परिपक्वता का समर्थन किया जाए।" रिपोर्ट "मानव विज्ञान के बीच संवाद" को गहरा करने के महत्व पर जोर देती है (14 एच) ताकि "कलीसिया के भीतर विवादास्पद मामलों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जा सके" (15बी) - यानी, अन्य मुद्दों के बीच, जैसे कि पहचान और कामुकता के मामले, जीवन का अंत, जटिल वैवाहिक स्थितियाँ और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित नैतिक मुद्दे। इस तरह के मुद्दे निश्चित रूप से विवादास्पद हैं "क्योंकि वे समाज और कलीसिया में नए प्रश्न खड़े करते हैं।" (15जी) रिपोर्ट में कहा गया है, "इस चिंतन के लिए आवश्यक समय निकालना और इसमें अपनी सर्वोत्तम ऊर्जा का निवेश करना महत्वपूर्ण है, सरल निर्णय दिए बिना जिससे व्यक्तियों और कलीसिया के लोगों को ठेस पहुंचती है। रिपोर्ट में यह याद करते हुए कहा गया है कि "कलीसियाई शिक्षण पहले से ही इनमें से कई मामलों पर दिशा की भावना प्रदान करता है, लेकिन इस शिक्षण को स्पष्ट रूप से अभी भी प्रेरितिक अभ्यास में अनुवाद की आवश्यकता है।"

धर्मसभा बैठक  में
धर्मसभा बैठक में

सुनना

इसी चिंता के साथ, रिपोर्ट "उन लोगों को सुनने और उनका साथ देने के निमंत्रण को नवीनीकृत करती है जो अपनी शादी की स्थिति, पहचान या कामुकता के कारण कलीसिया से हाशिए पर या बहिष्कृत महसूस करते हैं।" "सभा में उन लोगों के लिए प्यार, दया और करुणा की गहरी भावना महसूस की गई जो कलीसिया द्वारा आहत या उपेक्षित महसूस करते हैं, जो  एक जगह चाहते हैं जहां वे सुरक्षित महसूस कर सकें, न्याय किए जाने के भय बिना उनकी बात सुनी जा सके और उनका सम्मान किया जा सके। दस्तावेज़ में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि "ख्रीस्तियों को हमेशा हर व्यक्ति की गरिमा के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए।" (16 एच)

बहुविवाह

अफ्रीका से धर्मसभा के कुछ सदस्यों द्वारा धर्मसभा हॉल में बताए गए अनुभवों के प्रकाश में, एसईसीएएम (अफ्रीका और मडागास्कर के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की संगोष्ठी) को बहुविवाह और इसके संगत में रहने वाले लोग जो विश्वास में आ रहे हैं," इन विषयों पर "एक ईशशास्त्रीय और प्रेरितिक विवेक" को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।(16पी)

डिजिटल संस्कृति

अंत में, संकलित रिपोर्ट डिजिटल वातावरण की बात करती है: "यह हम पर निर्भर है कि हम आज की संस्कृति को उन सभी स्थानों तक पहुँचाएँ जहाँ लोग जीवन में अर्थ और प्रेम चाहते हैं, जिसमें वे स्थान भी शामिल हैं जिनमें वे अपने सेल फोन और टैबलेट के माध्यम से प्रवेश करते हैं", (17सी) इसे ध्यान में रखना जरुरी है कि इंटरनेट "नुकसान और चोट भी पहुंचा सकता है, जैसे डराना, दुष्प्रचार, यौन शोषण और लत आदि।" रिपोर्ट में कहा गया है, "इस बात पर विचार करने की तत्काल आवश्यकता है कि ख्रीस्तीय समुदाय यह सुनिश्चित करने में परिवारों का समर्थन कैसे कर सकता है कि ऑनलाइन स्थान न केवल सुरक्षित रहे, बल्कि आध्यात्मिक रूप से जीवन देने वाला भी बने।" (17 एफ)

सिनॉड की 16वीं महासभा की मुख्य घटनाएँ

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15 November 2023, 14:45