"पर्यटक से तीर्थयात्री" जुबली गाइड की गई लॉन्च
वाटिकन सिटी
रोम, शुक्रवार, 23 फरवरी 2024 (रेई, वाटिकन न्यूज़): रोम स्थित चार परमाध्यक्षीय महागिरजाघरों तथा परमधर्मपीठीय सम्प्रेषण और संचार विभाग ने मिलकर, एक आध्यात्मिक और कलात्मक मार्गदर्शक के रूप में, महागिरजाघरों के दर्शन हेतु विश्वासी लोगों को "पर्यटक से तीर्थयात्री" बनने में मदद करने के लिए एक नई मिनीसाइट लॉन्च की है।
"पर्यटक से तीर्थयात्री"
विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया 2025 में पवित्र वर्ष या जयन्ती वर्ष मना रही है। इसी के उपलक्ष्य में परमधर्मपीठीय सम्प्रेषण और संचार विभाग ने रोम के सन्त पेत्रुस महागिरजाघर, सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर, सन्त पौल महागिरजाघर तथा मेरी मेजर मरियम महागिरजाघर के दर्शन हेतु "पर्यटक से तीर्थयात्री" शीर्षक के अन्तर्गत वेद साईट पर एक जुबली गाइड जारी की है।
गुरुवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वेबसाइट इन पवित्र स्थानों के सौन्दर्य और इतिहास तथा उन्हें भरने वाली कलात्मक उत्कृष्ट कृतियों को व्यक्त करने के लिए "आवाज" के माध्यम पर बहुत अधिक निर्भर करती है।
'आवाज की गर्मजोशी और उत्साह'
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रतिदिन तीर्थयात्रियों की सेवा में संलग्न, धर्मसमाजी एवं धर्मसंघी पुरुषों और महिलाओं के साथ मिलकर कला निर्माण, उत्खनन और पुनर्स्थापन परियोजनाओं में लगे पेशेवर, परमाध्यक्षीय महागिरजाघरों की कहानियों को अपने शब्दों में बताते हैं। बयान के अनुसार, "अपनी आवाज की गर्मजोशी और उत्साह के माध्यम से, वे 'गवाहों' के रूप में कार्य करते हैं और चार परमाध्यक्षीय महागिरजाघरों का प्रतिनिधित्व करने वाली हर चीज के लिए अपना प्यार साझा करते हैं।"
इस वेबसाईट पर संतों और कलाकारों के जीवन एवं कार्यों की चर्चा है जिन्होंने समर्पित जीवन द्वारा उन महागिरजाघरों को आकार दिया है, ताकि सभी पर्यटक एवं तीर्थयात्री केवल कलात्मक कृतियों का दर्शन न करें अपितु तनिक रुककर इसके आध्यात्मिक आयाम पर चिन्तन करें।
पॉडकास्ट
"पर्यटक से तीर्थयात्री तक" पहल के अन्तर्गत एक पॉडकास्ट भी निहित है जो महागिरजाघरों के इतिहास के माध्यम से तीर्थयात्रियों को उनकी यात्रा में साथ देता है - चाहे व्यक्तिगत रूप से या ऑनलाइन - और उनके सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में विशेष अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
पॉडकास्ट श्रृंखला 27 फरवरी को लॉन्च होगी, जिसमें प्रत्येक मंगलवार को एक नया एपिसोड जारी किया जाएगा।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इस प्रकार "जो चीज़ एक पर्यटक के लिए केवल एक शहर का चौराहा प्रतीत हो सकती है उसे यदि एक तीर्थयात्री की नज़र से देखा जाए तो वह एक कदम, एक तीर्थयात्रा और एक दिव्य प्रतीक बन जाती है।"
"पर्यटक से तीर्थयात्री तक" का जन्म परमधर्मपीठीय सम्प्रेषण और संचार विभाग द्वारा आयोजित "डिजिटल दुनिया में विश्वास संचार" नामक युवा काथलिक संचारकों को प्रशिक्षित करने की एक परियोजना से हुआ था।
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