पारोलिनः रूस में हथियारों के प्रेषण से युद्ध और होगा सघन
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 31 मई 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलिन ने रूसी भूमि पर नेटो राष्ट्रों द्वारा हथियारों के प्रेषण पर यूरोपीय देशों की हामी पर गहन चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि हथियारों के प्रेषण से रूस को पराजित करने की बात भ्रम मात्र है, इससे युद्ध रुकेगा नहीं बल्कि अनियंत्रित हो जायेगा।
चिन्ताजनक सम्भावना
इटली के मिलान शहर में गुरुवार को एक पुस्तक की प्रस्तुति के अवसर पर वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पारोलिन ने रूसी क्षेत्र पर पश्चिमी हथियारों के उपयोग की संभावना पर संवाददाताओं को जवाब देते हुए कहा कि यह "एक परेशान करने वाली संभावना है जिससे उस हर व्यक्ति को चिंतित होना चाहिए जो विश्व की नियति के प्रति उत्कंठित है।"
स्मरण रहे कि 30 और 31 मई को चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में पश्चिमी देशों के विदेश मंत्रियों का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन जारी है, जिसमें पश्चिमी देशों द्वारा दिए गए हथियारों से रूस पर हमला करने के लिए यूक्रेनी सेना को अधिकृत करना प्रमुख विषय है। वाटिकन राज्य सचिव पारोलिन के अनुसार यह "एक ऐसी वृद्धि का नेतृत्व करेगी जिसे कोई भी नियंत्रित नहीं कर पाएगा"।
इन संभावित परिदृश्यों के बारे में अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कार्डिनल पारोलिन कहते हैं, "प्रत्येक व्यक्ति जो हमारी दुनिया के भाग्य की परवाह करता है, उसे इस बारे में चिन्तित होना चाहिये क्योंकि जोखिम वास्तविक है।"
यूक्रेनी बच्चों की वापसी
पत्रकारों से बातचीत में कार्डिनल महोदय ने यूक्रेनी बच्चों की वापसी के लिए परमधर्मपीठ की मानवीय प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा वाटिकन की वित्त व्यवस्था के बारे में कहा: "कई अतिशयोक्तियाँ हैं, व्यवस्था बहाल करने के लिए सन्त पापा फ्राँसिस की ओर से महान प्रयास किये जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि बलात रूस ले जाये गये यूक्रेनी बच्चों की वापसी के लिये वाटिकन ने अपने प्रयास कार्डिनल मातेयो ज़ूपी की यूक्रेन और रूस यात्रा के समय ही शुरु कर दिये थे। उन्होंने कहा कि यह "काम बहुत तेज़ी से जारी नहीं है तथापि फलप्रद सिद्ध हो रहा है।"
यूरोपीय चुनाव
आगामी यूरोपीय चुनावों के बारे में सवालों का जवाब देते हुए, कार्डिनल ने रेखांकित किया कि कलीसिया की स्थिति "कभी भी पार्टी-उन्मुख नहीं होती है" और "हम खुद को एक या दूसरे के पक्ष या विपक्ष में व्यक्त नहीं कर सकते हैं"। हालाँकि, उन्होंने "अपना वोट व्यक्त करना महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि इसका मतलब लोकतंत्र को लागू करना और उसका प्रयोग करना है। साथ ही उन्होंने कहा, हमें "उम्मीदवारों के मूल्यों को ध्यान में रखना चाहिए जो काथलिक संवेदनशीलता के क़रीब हो। मैं कहूंगा कि जहां तक हमारा संबंध है, ये वे सिद्धांत हैं जिनका हमें पालन करना चाहिए।"
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