संत पापा ने धर्मबहनों के नेतृत्व वाले तस्करी विरोधी नेटवर्क को धन्यवाद दिया
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शुक्रवार 24 मई 2024 : गुरुवार की सुबह, संत पापा फ्राँसिस ने धर्मबहनों के नेतृत्व में तस्करी विरोधी पहलों के एक नेटवर्क, तलिथा कुम को एक संदेश भेजा। नेटवर्क, जो अपने 15वें वर्ष में है, वर्तमान में रोम के बाहर अपनी आम सभा आयोजित कर रहा है।
तस्करी के खिलाफ 15 वर्षों का संघर्ष
संत पापा फ्राँसिस ने अपने संदेश की शुरुआत यह कहकर की कि वे तलिथा कुम के काम के लिए "बहुत आभारी" हैं। 2009 में स्थापित, यह नेटवर्क अब 90 से अधिक देशों में सक्रिय है।
संत पापा ने कहा, "हमें तलिथा कुम ने हमेशा से जो किया है, उसी रास्ते पर चलते रहना चाहिए: पीड़ितों के साथ खड़े रहें, उनकी बात सुनें, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करें और मिलकर मानव तस्करी के खिलाफ़ कार्रवाई करें।" उन्होंने कहा कि यह "कोई आसान काम नहीं है", लेकिन "पिछले 15 सालों में आपने हमें हर स्तर पर दिखाया है कि यह किया जा सकता है।"
मानव तस्करी: एक 'व्यवस्थित' बुराई
संत पापा ने जोर देकर कहा कि मानव तस्करी एक "व्यवस्थित बुराई" है, जिसके लिए "व्यवस्थित, बहु-स्तरीय दृष्टिकोण" की आवश्यकता है। संत पापा ने कहा कि संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के कारण तस्करी को बढ़ावा मिलता है और यह विशेष रूप से प्रवासियों और महिलाओं को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे की आपराधिक रणनीतियां "लगातार विकसित हो रही हैं।"। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा, "हमें निराश नहीं होना चाहिए। येसु मसीह की आत्मा की शक्ति और इतने सारे लोगों के समर्पण" के साथ, हम तस्करी को खत्म करने में सफल हो सकते हैं। 2025-2030 के लिए प्राथमिकताएं
तालिथा कुम की महासभा ने बुधवार को एक अंतिम दस्तावेज जारी किया है, जो यहां उपलब्ध है। इसमें 2025-2030 की अवधि में नेटवर्क के लिए तीन नई प्राथमिकताओं की रूपरेखा दी गई है: 1) नई कमजोरियों के सामने प्रणालीगत परिवर्तन की वकालत करना; 2) उत्तरजीवी-केंद्रित दृष्टिकोण; और 3) संगठन के सहयोग और साझेदारी को व्यापक बनाना।
अपने पत्र को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि वे दस्तावेज को "ध्यान से" पढ़ेंगे और इसका "प्रचार" करेंगे। उन्होंने कहा, "प्रिय बहनों और भाइयों, मैं आपके साथ हूँ। इन वर्षों में प्रभु ने आपको कार्य करने में सक्षम बनाया है, उसके लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए... मैं आपको और आपके समुदायों को अपना हार्दिक आशीर्वाद प्रदान करता हूँ।”
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