कार्डिनल चेर्नी: नाविकों को 'अन्याय, शोषण और असमानता' का सामना करना पड़ता है
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार 25 जून 2024 : हर साल जुलाई के दूसरे रविवार को, काथलिक कलीसिया सागर रविवार मनाती है और नाविकों के लिए प्रार्थना और वकालत करती है।
इस साल के उत्सव से पहले, समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के प्रमुख कार्डिनल माइकेल चेर्नी ने नाविकों के भूले हुए श्रम को दर्शाते हुए एक संदेश जारी किया है।
अन्याय, शोषण और असमानता
कार्डिनल चेर्नी ने इस बात पर ध्यान देना शुरू किया कि शिपिंग उद्योग में शामिल सभी लोगों की कुल संख्या - जहाजों के चालक दल से लेकर डॉकवर्कर्स, कोस्टगार्ड से लेकर कस्टम एजेंट तक - निश्चित रूप से कई लाखों में है।
कार्डिनल चेर्नी लिखते हैं कि इन श्रमिकों के "छिपे हुए प्रयासों" के माध्यम से ही हमारी कई दैनिक ज़रूरतें हम तक पहुँचती हैं। उन्हें, " अतीत की तरह आज भी, समुद्री यात्रा के लिए महीनों और यहाँ तक कि सालों तक घर और ज़मीन से दूर रहना पड़ सकता है। नाविक और उनके परिवार दोनों ही एक-दूसरे के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से चूक जाते हैं। इसके अलावा, कई नाविक "अन्याय, शोषण और असमानता से खतरे में हैं।"
इसके बाद कार्डिनल चेर्नी काथलिक कलीसिया के नाविक प्रेरिताई सेवा पर चर्चा करते हैं, जिसके माध्यम से स्वयंसेवक और पुरोहित शिपिंग उद्योग में लोगों की आध्यात्मिक सहायता प्रदान करते हैं और उनके अधिकारों की वकालत करते हैं।
काथलिक कलीसिया का समुद्र का प्रेरिताई - जिसे 'स्टेला मारिस' या 'स्टार ऑफ द सी' के रूप में जाना जाता है, एक प्राचीन शीर्षक है और दुनिया भर के सैकड़ों बंदरगाहों में मौजूद है।
कार्डिनल लिखते हैं कि यह "समुद्र का प्रेरिताई" कई तरीकों से "परिधि को केंद्र में लाने में मदद कर सकता है": "समुद्र के लोगों से व्यक्तिगत रूप से और प्रार्थना में मिलकर; मजदूरों की भौतिक और आध्यात्मिक स्थितियों में सुधार करके; श्रमिकों की गरिमा और अधिकारों की वकालत करके और मजबूत अंतरराष्ट्रीय संबंधों और नीतियों की वकालत करके।"
ख्रीस्तीय इतिहास में समुद्र
अपने संदेश के दूसरे भाग में, कार्डिनल चेर्नी कीसिया के इतिहास में दो ऐसे प्रकरणों पर विचार करते हैं जो समुद्र से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
सबसे पहले, वे संत पौलुस की यात्रा पर चर्चा करते हैं - जिन्होंने अपना अधिकांश समय समुद्र के रास्ते यात्रा करते हुए बंदरगाह शहर कोरिंथ तक कलीसिया के संदेश को फैलाने में बिताया। उन्होंने वहां बड़ी संख्या में अनुयायी प्राप्त किए, लेकिन ये नए ख्रीस्तीय जल्द ही आपस में विभाजित हो गए।
कार्डिनल चेर्नी कहते हैं कि संत पौलुस का कोरिंथियों को पहला पत्र, जो इस विभाजन को संबोधित करता है, "आज कलीसिया को न केवल उन लोगों के बीच बढ़ती एकता हेतु काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो एक दूसरे से अलग हैं, बल्कि उन लोगों के बीच भी जो विभाजन और आपसी तनाव का अनुभव कर रहे हैं।"
दूसरा, कार्डिनल चेर्नी इस तथ्य पर विचार करते हैं कि समुद्र अक्सर वह मार्ग रहा है जिसके माध्यम से ख्रीस्तीय धर्म दुनिया भर में फैला है।
वे लिखते हैं, "आज की कलीसिया, तटवर्ती समुदायों के निवासियों से प्रेरणा ले सकती है, जिन्होंने समुद्री प्रेरितों और अन्य मिशनरियों से मसीह के बिल्कुल नए संदेश को सबसे पहले सुना था।"
कार्डिनल चेर्नी निष्कर्ष निकालते हैं, "यदि हम सुख-सुविधाओं को प्राथमिकता देते हैं, तो हम जीवन की संभावनाओं के लिए खुले नहीं रह सकते।"
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