खोज

ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह का पोस्टर (प्रतीकात्मक तस्वीर) ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह का पोस्टर (प्रतीकात्मक तस्वीर)  

रोम के धर्माध्यक्ष, एकता के सेवक

वाटिकन स्थित ख्रीस्तीयों के बीच एकता को प्रोत्साहित करने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद ने एक नया अध्ययन दस्तावेज प्रस्तुत किया है, जो सन्त पापा की भूमिका और सन्त पेत्रुस के उत्तराधिकारी की प्रेरिताई के कार्यान्वयन के संबंध में चल रही अंतर-कलीसियाई वार्ता का सर्वेक्षण करता है।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 14 जून 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित ख्रीस्तीयों के बीच एकता को प्रोत्साहित करने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद ने एक नया अध्ययन दस्तावेज प्रस्तुत किया है, जो सन्त पापा की भूमिका और सन्त पेत्रुस के उत्तराधिकारी की प्रेरिताई के कार्यान्वयन के संबंध में चल रही अंतर-कलीसियाई वार्ता का सर्वेक्षण करता है।

रोम के धर्माध्यक्ष, एकता के सेवक

रोम के धर्माध्यक्ष, एकता के सेवक शीर्षक से प्रकाशित ख्रीस्तानुयायियों के बीच एकता को प्रोत्साहन देनेवाले परमधर्मपीठीय परिषद के नवीन दस्तावेज़ में, द्वितीय वाटिकन महासभा के बाद, सन्त जॉन पौल द्वितीय द्वारा तीस वर्षों पूर्व आरम्भ विभिन्न सम्प्रदायों के ख्रीस्तीयों के साथ संवाद और वर्तमान सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा ख्रीस्तीय एकता की दिशा में किये गये प्रयासों का विवरण दिया गया है।

उद्देश्य

रोम के धर्माध्यक्ष, एकता के सेवक दस्तावेज़ का उद्देश्य उस प्राथमिकता के प्रयोग का एक रूप खोजना है जो प्रथम शताब्दियों में पूर्ण सामंजस्य में रहने वाली कलीसियाओं द्वारा साझा की जाती थी। भले ही “सभी धर्मतत्व वैज्ञानिक संवादों ने इस विषय को एक ही स्तर पर या एक ही गहराई से नहीं लिया है”, तथापि, अधिक विवादास्पद धर्मवैज्ञानिक प्रश्नों के प्रति कुछ “नए दृष्टिकोणों” का संकेत देना संभव है।

दस्तावेज़ों का पुनर्पाठ

धर्मशास्त्रीय संवादों का एक परिणाम "सन्त पापाओं के दस्तावेज़ों का" नए सिरे से पाठ करना है। इनमें सर्वप्रथम सन्त पेत्रुस द्वारा छोड़ी गई धरोहर पर मनन-चिन्तन तथा प्रेरितों के बीच सन्त पेत्रुस की भूमिका पर नए सिरे से विचार करना शामिल है। उदाहरण के लिए, "बाईबिल के नवीन व्यवस्थान में छवियों, व्याख्याओं और आदर्शों  की विविधता को फिर से खोजा गया है, जबकि बाईबिल सम्बन्धी धारणाओं ने अधिक व्यापक समझ विकसित करने में मदद की है।"

बाधाएँ पार

नवीन दस्तावेज़ में "संवादों में धर्मशास्त्रीय सार और प्राथमिकता की ऐतिहासिक आकस्मिकता के बीच अंतर पर जोर दिया गया है" और "ऐतिहासिक संदर्भ पर अधिक ध्यान देने और उसका आकलन करने का आह्वान किया गया है जिसने विभिन्न क्षेत्रों और अवधियों में प्राथमिकता के प्रयोग को निर्धारित किया है।"

इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया है कि "प्रथम वाटिकन महासभा की सिद्धांतवादी परिभाषाएँ अन्य ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा हैं। कुछ विश्वव्यापी संवादों ने इस परिषद के 'पुनः-पाठ' या 'पुनः-ग्रहण' के दौरान आशाजनक प्रगति दर्ज़ की है, जिससे उनके ऐतिहासिक संदर्भ " और द्वितीय वाटिकन महासभा की शिक्षाओं के प्रकाश में इसकी शिक्षाओं की अधिक सटीक समझ के लिए नए रास्ते खुल गए हैं। इसने "इसके विस्तार और सीमाओं की पहचान करके" कलीसिया के परमाध्यक्ष  के सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र की सिद्धांतवादी परिभाषा को स्पष्ट करने की अनुमति दी है।

नवीन दस्तावेज़ में "अचूकता के सिद्धांत के शब्दों को स्पष्ट करना और यहां तक ​​कि कुछ परिस्थितियों में, इसके उद्देश्य के कुछ पहलुओं पर सहमत होना भी संभव हो गया है, विशेष रूप से, शिक्षा प्रेरिताई  के व्यक्तिगत अभ्यास की आवश्यकता को पहचानते हुए और यह देखते हुए कि "ख्रीस्तीय एकता सत्य और प्रेम की एकता है।"

 

 

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

14 June 2024, 12:36