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वाटिकन में स्थित विश्वास के सिद्धांत के लिए बने विभाग का प्रवेश द्वार वाटिकन में स्थित विश्वास के सिद्धांत के लिए बने विभाग का प्रवेश द्वार 

विश्वास के सिद्धांत के लिए बने विभाग ने 'दया के श्रोत त्रित्व ईश्वर' संदेशों को मान्यता दी

विश्वास के सिद्धांत के लिए बने विभाग के प्रीफेक्ट ने संत पापा द्वारा अनुमोदित एक पत्र कोमो के कार्डिनल धर्माध्यक्ष को भेजा, जिसमें माच्चो के तीर्थालय में आध्यात्मिक अनुभवों के संबंध में 'कोई आपत्ति नहीं’ प्रदान किया गया।

वाटिकन न्यूज़

वाटिकन सिटी, बुधवार 24 जुलाई 2024 : उत्तरी इटली में कोमो के पास विला ग्वार्दिया में माच्चो के तीर्थालय में आध्यात्मिक अनुभवों के संबंध में अलौकिक घटनाओं को पहचानने के लिए नए मानदंडों के लागू होने से विश्वास के सिद्धांत के लिए बने विभाग से एक नई "हरी बत्ती" मिली।

2000 में, एक संगीत शिक्षक और गायक मंडली के निर्देशक, विवाहित और दो बेटियों के पिता, जोवाकिनो जेनोवेसे ने "प्रज्ञात्मक दर्शन" के माध्यम से "पवित्र त्रित्व के रहस्य की जीवित उपस्थिति" को समझना शुरू किया। एक गंभीर, विवेकशील व्यक्ति जिसने कभी सुर्खियों में आने की कोशिश नहीं की, पाँच साल बाद उसने और अधिक लोगों को आराधना, प्रार्थना और नोवेना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

जेनोविसे के लेखन और इस घटना की सामान्य रूप से प्रारंभिक जांच के बाद, 2010 में कोमो के तत्कालीन धर्माध्यक्ष डिएगो कोलेट्टी ने पल्ली गिरजाघर को “सांतिस्सिमा त्रिनिटा मिसेरिकोरिया” (दया के श्रोत त्रित्व ईश्वर) शीर्षक के साथ एक तीर्थस्थल का दर्जा दिया।

प्रीफेक्ट का पत्र

आज, बुधवार, 24 जुलाई को, कोमो के धर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्कर कैंटोनी को धर्म के सिद्धांत के लिए बने विभाग के प्रीफेक्ट, कार्डिनल विक्टर मानुअल फर्नांडीज द्वारा संबोधित एक पत्र सार्वजनिक किया गया।

कार्डिनल कैंटोनी ने नए मानदंडों के प्रावधानों के अनुसार माच्चो की घटना के लिए "नुल्ला ओस्ता" ('कोई आपत्ति नहीं’) घोषित करने की संभावना के बारे में विभाग को लिखा था। संत पापा फ्राँसिस द्वारा अनुमोदित पत्र में, कार्डिनल फर्नांडीज ने जेनोवेसे के लेखन पर कुछ स्पष्टीकरण दिए हैं।

सकारात्मक तत्व

सबसे पहले, डीडीएफ प्रीफेक्ट ने संदेशों में मौजूद सकारात्मक पहलुओं को सूचीबद्ध किया: "पवित्र त्रित्व दया और इसकी पूर्ण प्राप्ति का स्रोत है। इस विश्वास के प्रकाश में, आध्यात्मिक लेखन और मजिस्टेरियम ने ईश्वर या मसीह की दया के बारे में अक्सर कहा है, वह एक मजबूत त्रित्वमय अर्थ प्राप्त करता है। पिछली शताब्दियों के धार्मिक चिंतन और आध्यात्मिकता में पवित्र त्रित्व रहस्य का हाशिए पर होना सर्वविदित है। इस अर्थ में, श्री जेनोवेसे का आध्यात्मिक अनुभव पिछली शताब्दी में हुई विश्वास और ख्रीस्तीय जीवन के लिए परम पवित्र त्रित्व की केंद्रीयता की पुनः खोज के अनुरूप है।

पवित्र त्रित्वमय प्रार्थना

कार्डिनल फर्नांडीज बताते हैं, "भले ही केवल पुत्र ने ही मानव स्वभाव ग्रहण किया हो, कलीसिया को मसीह के हाव-भाव में त्रित्वमय ईश्वर की असीम दया को अधिक से अधिक पुनः खोजने के लिए कहा जाता है, जिसे श्री जेनोवेसे के लेखन में 'त्रित्वमय दया' के नाम से पुकारा गया है। यह सभी संदेशों का केंद्र है क्योंकि, अंततः, यह रहस्योद्घाटन का केंद्र है।"

स्पष्ट किए जाने वाले पहलू

कार्डिनल फर्नांडीज के पत्र में उन पहलुओं पर भी चर्चा की गई है जिन्हें स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है। कार्डिनल ने लिखा है, "सबसे पवित्र त्रित्व के रहस्य पर सटीकता के साथ खुद को व्यक्त करना निश्चित रूप से कभी भी आसान नहीं होता है; और अगर यह महान धर्मशास्त्रियों और कलीसिया के मजिस्टेरियम पर लागू होता है, तो यह और भी जटिल हो जाता है जब कोई आध्यात्मिक अनुभव में जो जीया जाता है उसे मानवीय शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश करता है। श्री जेनोवेसे ने इसे स्पष्ट रूप से पहचाना है जब उन्होंने अपने शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे 'उनकी अस्पष्टता के बारे में जानते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मैंने अब तक जो कुछ भी लिखा है वह सब असपष्ट है'" [मूल में रेखांकित]।

विशेष रूप से, पत्र में “सबसे जटिल मुद्दे” के रूप में उन अभिव्यक्तियों को उजागर किया गया है, जो शरीर धारण को संदर्भित करने के लिए भी त्रित्वमय बहुवचन “हम” का उपयोग करते हैं, जैसे, उदाहरण के लिए, “हम दया [...] मनुष्य बन गए हैं।” (541) कार्डिनल फर्नांडीज कहते हैं, “ऐसी अभिव्यक्तियाँ स्वीकार्य नहीं हैं,” और उनके प्रसार से बचना चाहिए, क्योंकि उन्हें आसानी से काथलिक विश्वास के विपरीत तरीके से व्याख्या किया जा सकता है,” क्योंकि केवल पुत्र ही शरीर धारण किया था।

सही व्याख्या

कार्डिनल फर्नांडीज लिखते हैं, "हम यह कह सकते हैं कि श्री जेनोवेसे द्वारा 'पवित्र त्रित्वमय दया' के संबंध में बताए गए अनुभवों से उत्पन्न आध्यात्मिक प्रस्ताव, यदि जो कहा गया है, जैसा कि विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा परामर्श किया गया है, के प्रकाश में व्याख्या की जाए, तो इसमें कलीसिया के सिद्धांत के विपरीत धार्मिक या नैतिक तत्व शामिल नहीं हैं। किसी भी मामले में, इस तरह से आगे बढ़ना आवश्यक है कि, लेखन के संकलन के प्रकाशन में, भ्रमित करने वाले भावों वाले ग्रंथों से बचा जाए [...] और यह पत्र संग्रह के परिचय के रूप में रखा जाए।"

अंत में, पत्र निर्दिष्ट करता है कि, "शैतान का उल्लेख करने वाले विभिन्न ग्रंथों की व्याख्या एक ऐसे ईश्वर की अभिव्यक्ति के रूप में की जानी चाहिए जो अपने प्रिय प्राणी को कभी नहीं भूलता, तब भी जब वह सृजित प्राणी स्वतंत्र रूप से और निश्चित रूप से ईश्वर से दूर हो गया हो"; और यह कि "ऐसे ग्रंथ जो धर्माध्यक्ष या अन्य लोगों को संकेत देते हैं (तारीखों, समय, स्थानों और अन्य विस्तृत या सूक्ष्म विवरणों का विवरण) वे विश्वासियों के लिए उपयोगी नहीं हैं और इसमें शामिल लोगों की सावधानीपूर्वक समझ के बिना कुछ लोगों के लिए उन्हें दैवीय संकेत नहीं माना जा सकता है।"

धर्माध्यक्ष की आज्ञप्ति

श्री जेनोवेसे द्वारा प्राप्त संदेशों का मूल्य, उनकी प्रतीकात्मक भाषा के साथ, क्रिस्टोलॉजी और ट्रिनिटेरियन धर्मशास्त्र के बीच अत्यधिक अलगाव को दूर करने की कोशिश में निहित है, जो येसु के हर हाव-भाव में परिलक्षित "दया के श्रोत पवित्र त्रित्व ईश्वर" की पुनः खोज का आह्वान करता है।

विभाग के पत्र के प्रकाशन के साथ ही, कोमो के धर्माध्यक्ष ने नए मानदंडों के प्रावधानों के अनुसार "नुल्ला ओस्ता" की स्थापना करने वाला आज्ञप्ति प्रकाशित किया।

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24 July 2024, 16:30