‘त्रियेक ईश्वर दया के स्रोत’ संदेशों को वाटिकन ने दी मान्यता
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 26 जुलाई 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित विश्वास एवं धर्मसिद्धांत सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मानुएल फेरनानडेज़ ने, कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा अनुमोदित, एक पत्र इटली में कोमो के कार्डिनल धर्माध्यक्ष को भेजा है, जिसमें माच्चयो नामक पवित्र तीर्थस्थल में पाये गये आध्यात्मिक अनुभवों के संबंध में 'नुल्ला ओस्ता' प्रदान किया गया है।
त्रियेक ईश्वर की दया
उत्तरी इटली में कोमो के निकटवर्ती विला गार्दिया में माच्चयो नामक पवित्र तीर्थस्थल पर पाये गये आध्यात्मिक अनुभवों के संबंध में कथित अलौकिक घटनाओं को पहचानने के लिए नए मानदंडों के लागू होने से वाटिकन स्थित विश्वास एवं धर्मसिद्धांत सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा 'कोई आपत्ति नहीं' अनुमति मिल गई है।
साल 2000 में, एक साधारण संगीत शिक्षक और गायक मंडली के निर्देशक, जोआखिनो जेनोवेज़े ने "बौद्धिक दर्शन" के माध्यम से "पवित्र त्रियेक के रहस्य की जीवंत उपस्थिति" को समझना शुरू किया था। पाँच साल बाद उन्होंने और लोगों को आराधना, प्रार्थना और नोरोज़ी विनती में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
जेनोवेज़े के लेखन कार्य और इस घटना की सामान्य रूप से प्रारंभिक जांच के बाद, 2010 में कोमो के तत्कालीन धर्माध्यक्ष दियेगो कोलेत्ती ने पल्ली गिरजाघर को सान्तिस्सिमा त्रिनीता मिज़ेरिकोर्दिया अर्थात् "पवित्रतम त्रियेक दया" शीर्षक के साथ एक अभयारण्य का दर्ज़ा दे दिया था।
अध्यक्ष का पत्र
गुरुवार, 24 जुलाई को वाटिकन स्थित विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मानुएल फेरनानडेज़ द्वारा कोमो के काथलिक धर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्कर कानतोनी को प्रेषित पत्र की प्रकाशना की गई।
विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के पत्र में सर्वप्रथम उक्त तीर्थस्थल पर पाये गये आध्यात्मिक अनुभवों एवं सन्देशों के सकारात्मक तथ्यों को गिनाया गया और वह यह कि "त्रियेक ईश्वर, दया और उसकी पूर्ण अनुभूति का स्रोत हैं"।
पत्र में इस बात की पुष्टि की गई कि इस विश्वास के प्रकाश में, आध्यात्मिक लेखन और काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा ने ईश्वर या येसु मसीह की दया के बारे में जो कुछ भी कहा है, वह एक मजबूत पवित्र त्रित्ववादी अर्थ प्राप्त करता है। यह भी कहा गया कि विगत शताब्दियों के धार्मिक चिंतन और आध्यात्मिकता में पवित्र त्रित्व रहस्य का हाशिए पर होना सर्वविदित है। इस अर्थ में, श्री जेनोवेज़े का आध्यात्मिक अनुभव पिछली शताब्दी में हुई आस्था और ईसाई जीवन के लिए परम पवित्र त्रित्व की केंद्रीयता की पुनः खोज के अनुरूप है।
पत्र में आगे लिखा थाः "श्री जेनोवेज़े के लेखन में इस सत्य पर ज़ोर दिया गया है कि त्रियेक ईश्वर से हम तक प्रवाहित होनेवाली दया का संदेश सुंदरता से भरा है। ईश्वर के पुत्र ने मानव रूप लेकर देहधारण किया, तब से आज तक त्रियेक ईश्वर की दया और असीम प्रेम हमारे लिए प्रकट होता रहा है।"
त्रियेक ईश्वर की प्रार्थना
श्री जेनोवेज़े को मिले संदेशों के अन्य अंश भी पत्र में शामिल किये गये हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रार्थना भी है:
"मेरा देहधारण त्रियेक ईश्वर की दया का वरदान है! मेरा वचन त्रियेक ईश्वर की दया का उपहार है! मेरा जुनून त्रियेक ईश्वर की दया का उपहार है! मेरा पुनरुत्थान त्रियेक ईश्वर की दया का उपहार है! मैं दया हूँ!"
कार्डिनल फेरनानडेज़ के अनुसार, "भले ही केवल ईशपुत्र ने ही मानव स्वभाव धारण किया हो, कलीसिया को येसु मसीह के मनोभाव में त्रियेक ईश्वर की असीम दया को अधिकाधिक पुनः खोजने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिन्हें श्री जेनोवेज़े के लेखन में 'त्रियेक ईश्वर की दया' के नाम से पुकारा गया है। यह सभी संदेशों का केंद्र है क्योंकि, अंततः, यह त्रियेक ईश्वर के रहस्योद्घाटन का केंद्र है।"
परिषद अध्यक्ष कार्डिनल फेरनानडेज़ ने निम्नलिखित "सुंदर" प्रार्थना को भी दुहराते हैं: "यह आप ही हैं जो मुझे देखते हैं, आप ही मुझे अपनी ओर आकर्षित करते हैं और मेरे झुके हुए चेहरे को अपनी ओर उठाते हैं और मुझसे कहते हैं कि मैं आपको अपने हृदय में स्थापित कर लूं, जहां मेरे लिए आपका प्रेम धड़कता है, ताकि मैं अपने कान उस शाश्वत धड़कन में डुबो सकूं और आराम से अपना सिर शांति से रख सकूं।"
स्पष्ट करने की आवश्यकता
कार्डिनल फेरनानडेज़ के पत्र में उन पहलुओं पर भी चर्चा की गई है जिन्हें स्पष्ट करने की आवश्यकता है। कार्डिनल ने लिखा है, "पवित्र त्रियेक ईश्वर के रहस्य पर सटीकता के साथ खुद को व्यक्त करना निश्चित रूप से कभी आसान नहीं होता है; और अगर यह महान धर्मशास्त्रियों और कलीसियाई धर्मशिक्षा पर लागू होता है, तो आध्यात्मिक अनुभव को मानवीय शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश और अधिक जटिल काम हो जाता है। वे कहते हैं कि इस पक्ष को श्री जेनोवेज़े ने भलीप्रकार समझा है, जिनका उल्लेख वे इन शब्दों में करते हैं, कहते हैं, 'मैं अपनी अशुद्धि के बारे में सचेत हूँ, ठीक वैसे ही जैसे मैंने अब तक जो कुछ भी लिखा है वह सब अशुद्धिपूर्ण है।"
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