वेलंकनी तीर्थस्थल धर्मों के मिश्रण को नहीं, आतिथ्य माता को प्रकट करती है
वाटिकन न्यूज
भारत, मंगलवार, 6 अगस्त 2024 (रेई) : लाखों तीर्थयात्री भारत के तमिलनाडु राज्य में वेलंकनी की स्वास्थ्य की माता के तीर्थस्थल पर श्रद्धापूर्वक दर्शन करने आते हैं।
विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल विक्टर मानुएल फर्नांडिस के अनुसार "इस तीर्थस्थल पर उत्पन्न होनेवाले अनेक आध्यात्मिक फल हमें इस स्थान पर पवित्र आत्मा की निरंतर क्रियाशीलता का बोध कराते हैं।"
यह बात कार्डिनल ने 1 अगस्त को पोप फ्राँसिस द्वारा अनुमोदित और तंजोर धर्मप्रांत के नामित धर्माध्यक्ष सगायाराज तम्बुराज को प्रेषित पत्र में कही है।
वेलंकनी तीर्थस्थल में 8 सितम्बर को स्वास्थ्य की माता मरियम का पर्व मनाया जाएगा, जहाँ भक्ति की यह परंपरा 16वीं शताब्दी से चली आ रही है।
पवित्र आत्मा की क्रियाशीलता कई गैर ख्रीस्तीय तीर्थयात्रियों में
कार्डिनल फर्नांडिज ने जोर देकर कहा, "बहुत से गैर-ख्रीस्तीय तीर्थयात्री जो सांत्वना की तलाश में आते हैं, वे भी इसी तरह का अनुभव करते हैं।" "उनमें से कुछ अपनी बीमारियों से ठीक हो जाते हैं और बहुत से लोग शांति और आशा पाते हैं। निस्संदेह, पवित्र आत्मा भी उनमें काम कर रहे हैं, जो मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रकट होता है।"
उन्होंने गौर किया कि “इसे समन्वयता या विभिन्न धर्मों के मिश्रण के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। तीर्थस्थल एक ऐसा स्थान है जहाँ माता मरियम का सामीप्य प्रकट होता है, सभी का स्वागत करता और उन लोगों पर प्रभु का प्रेम प्रदर्शित करता है जो इसपर चिंतन करते हैं। जो लोग काथलिक कलीसिया के पवित्र संस्कारों को ग्रहण नहीं कर सकते, उन्हें येसु की माँ की सांत्वना से वंचित नहीं करता है।”
पोप फ्राँसिस “विश्वास के इस स्थान” की सराहना करते हैं
कार्डिनल फर्नांडिस ने बतलाया हैं कि पोप फ्राँसिस और खुद उन्होंने 1 अगस्त को, मुलाकात के दौरान आस्था के इस स्थान की आध्यात्मिक सुंदरता को याद किया।
उन्होंने कहा, "संत पापा श्रद्धालु तीर्थयात्रियों की लोकप्रिय धर्मनिष्ठा के बारे में बहुत चिंता करते हैं, क्योंकि वे गतिशील कलीसिया की सुंदरता को प्रतिबिंबित करते हैं जो मरियम की बाहों में येसु को खोजती तथा अपनी पीड़ा और आशा को उनकी माता के हृदय में सौंपती है।"
यही कारण है कि कार्डिनल कहते हैं, पोप फ्राँसिस ने विश्वास के इस स्थल के लिए अपनी बड़ी सराहना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वेलंकनी तीर्थस्थल पर सितम्बर माह के समारोह की तैयारी के लिए पोप सभी तीर्थयात्रियों को अपना पितृवत आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
कुँवारी मरियम का पहला दिव्यदर्शन
एक प्राचीन कथा के अनुसार, कुँवारी मरियम पहली बार 16वीं शताब्दी में वेलंकनी में एक ग्राहक के लिए दूध लेकर आए एक युवक के सामने प्रकट हुईं थी और उससे अनुरोध किया था कि वह उस बच्चे के लिए दूध दे जिसे वे अपनी बाहों में पकड़ी हुई थीं। युवक ने दूध दे दी थी, लेकिन ग्राहक के पास पहुंचने पर उसे एहसास हुआ कि दूध अभी भी कम नहीं हुआ।
कार्डिनल ने कहा, “यह उन लोगों की उदारता की अभिव्यक्ति है जो अपनी गरीबी में भी दूसरों को कुछ देने के लिए तैयार हैं। उदार होने के लिए आपके पास बहुत कुछ होना जरूरी नहीं है। बांटने, सहायता करने, ज़रूरतमंदों के करीब रहने का यह आह्वान हमेशा इस जगह पर गूंजता रहे। माता मरियम को अपने बच्चों की उदारता बहुत पसंद है।"
माता मरियम की कोमलता, सभी की माँ
विश्वास के सिद्धांत लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के अध्यक्ष ने सुन्दर परम्परा की सराहना करते हुए कहा, "इस तीर्थस्थल पर गरीब और बीमार लड़कों के साथ कुँवारी मरियम की मुलाकातों से जुड़ी खूबसूरत परंपराएँ हैं। इस प्रकार, मरियम की कोमलता और निकटता, जिसे येसु ने सभी की माँ के रूप में हमें सौंपना चाहा, प्रकट हुईं। उनकी मध्यस्थता द्वारा, येसु ख्रीस्त अपनी शक्ति उंडेलते हैं और बीमारों को स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।"
उन्होंने याद किया कि, "2002 में, संत जॉन पॉल द्वितीय ने विश्व रोगी दिवस मनाने के लिए उसी स्थान को चुना था। इस प्रकार, कुँवारी मरियम जिन्होंने लूर्द में खुद को प्रकट किया, वह भारत में भी स्वास्थ्य की माता के रूप में प्रकट हुईं।"
मरियम के सामने, हम येसु के प्रेम को पहचानते हैं
कार्डिनल ने कहा, "यह केवल शारीरिक स्वास्थ्य का मामला नहीं है, बल्कि यह आत्मा को भी स्पर्श करता है। माता मरियम पर चिंतन करते हुए हम सभी येसु ख्रीस्त के प्रेम को पहचान सकते हैं जो हमारी उदासी, हमारी पीड़ा और हमारे डर को चंगा कर सकते हैं। अगर हम मरियम के सामने रुकते हैं, भले ही विश्वास और प्रेम के एक छोटे क्षण के लिए, उनकी ममतामय दृष्टि हमें शांति प्रदान करती है।"
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