कार्डिनल टागले: एशिया और ओशिनिया में संत पापा की यात्रा 'मिशन के प्रति आज्ञाकारिता का कार्य'
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बुधवार 28 अगस्त 2024 (फ़ीदेस न्यूज) : दो महाद्वीपों के चार राष्ट्र, कुल मिलाकर लगभग 40 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय करनी है। संत पापा का विमान 2 सितंबर को फ़्यूमिचिनो हवाई अड्डे से उड़ान भरेगा, और संत पापा फ़्राँसिस एशिया और ओशिनिया की यात्रा करते हुए अपनी सबसे लंबी और सबसे कठिन प्रेरितिक यात्रा शुरू करेंगे।
हालाँकि, कार्डिनल लुइस अंतोनियो जोवाकिम टागले के अनुसार, रोम के धर्माध्यक्ष अपने धर्मप्रांत को रिकॉर्ड तोड़ने के लिए नहीं छोड़ रहे हैं, बल्कि "हमें बुलाने वाले प्रभु के सामने विनम्रता का कार्य" और "मिशन के प्रति आज्ञाकारिता" के रूप में छोड़ रहे हैं।
जैसे-जैसे संत पापा फ़्राँसिस की इंडोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और सिंगापुर की यात्रा नज़दीक आ रही है, सुसमाचार प्रचार के लिए बने विभाग के प्रो-प्रीफ़ेक्ट (प्रथम सुसमाचार प्रचार और नए विशेष कलीसियाओं के लिए बने अनुभाग) ने वाटिकन की फ़ीदेस न्यूज़ एजेंसी से बात की।
उन्होंने उन कारणों का पता लगाया कि क्यों "छोटे झुंडों" की कलीसियाओं के बीच पेत्रुस के उत्तराधिकारी की यह यात्रा विश्वव्यापी कलीसिया के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि यह उन सभी को प्रभावित कर सकती है जो विश्व में शांति की परवाह करते हैं।
प्रश्न: लगभग 88 वर्ष की आयु में, संत पापा फ्राँसिस अपने परमाध्यक्षीय काल की सबसे लंबी और सबसे थकाने वाली यात्रा करने वाले हैं। उन्हें ऐसी "यात्रा" करने के लिए क्या प्रेरित करता है?
कार्डिनल टागले: मुझे याद है कि एशिया और ओशिनिया की यह यात्रा वास्तव में 2020 की शुरुआत में ही तय हो गई थी। मैं रोम में लोगों के सुसमाचार प्रचार के लिए गठित धर्मसभा में फिलहाल पहुंचा था और मुझे याद है कि यह योजना पहले से ही मौजूद थी। फिर कोविड-19 महामारी ने सब कुछ रोक दिया। और मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि संत पापा ने एक बार फिर इस योजना को अपने हाथ में लिया। यह उनके 'अस्तित्वगत परिधि' कहे जाने वाले लोगों के प्रति उनकी पैतृक निकटता का संकेत है।
सच में, मैं संत पापा से छोटा हूँ और ये लंबी यात्राएँ मेरे लिए भी भारी हैं। उनके लिए, इस प्रयास को अपनाना भी विनम्रता का कार्य है। यह दिखावा नहीं है कि कोई अभी भी क्या करने में सक्षम है। एक गवाह के रूप में, मैं इसे प्रभु के सामने विनम्रता का कार्य कहता हूँ जो हमें बुलाते हैं: मिशन के प्रति विनम्रता और आज्ञाकारिता का कार्य।
प्रश्न: कुछ लोगों ने कहा है कि यह यात्रा इस बात की एक और पुष्टि है कि संत पापा पूर्व को प्राथमिकता देते हैं और पश्चिम की उपेक्षा करते हैं।
कार्डिनल टागले: यह विचार कि प्रेरितिक यात्राओं को इस बात का संकेत माना जाए कि संत पापा दुनिया के एक महाद्वीप या हिस्से को “पसंद” करते हैं, या अन्य हिस्सों को तुच्छ समझते हैं, संत पापा की यात्राओं की गलत व्याख्या है। इस यात्रा के बाद, सितंबर के अंत में, संत पापा लक्ज़मबर्ग और बेल्जियम की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने यूरोप के कई क्षेत्रों में कई देशों का भी दौरा किया है।
मुझे लगता है कि इन यात्राओं के ज़रिए वे काथलिकों को उन सभी परिस्थितियों में प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जिनमें वे खुद को पाते हैं। हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि दुनिया के ज़्यादातर लोग इन्हीं इलाकों में रहते हैं। एशिया में दुनिया की दो-तिहाई आबादी रहती है। इनमें से ज़्यादातर लोग गरीब हैं। बहुत से गरीब लोग बपतिस्मा ग्रहण करते हैं।
संत पापा फ्राँसिस जानते हैं कि उन इलाकों में बहुत से गरीब लोग हैं और गरीबों में युद्ध, उत्पीड़न और संघर्ष के बीच भी येसु और सुसमाचार के प्रति आकर्षण है।
प्रश्न: अन्य लोगों ने बताया है कि संत पापा जिन कई देशों में जाते हैं, वहां ख्रीस्तियों की संख्या जनसंख्या की तुलना में कम है।
कार्डिनल टागले : अपनी यात्रा करने से पहले, संत पापा को न केवल स्थानीय कलीसियाओं से बल्कि नागरिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं से भी निमंत्रण प्राप्त हुए, जिन्होंने औपचारिक रूप से अपने देश में रोम के धर्माध्यक्ष की उपस्थिति का अनुरोध किया।
वे न केवल विश्वास के कारण बल्कि नागरिक अधिकारियों से संबंधित कारणों से भी संत पापा की उपस्थिति चाहते हैं। उनके लिए, संत पापा भाईचारे की भावना में मानव सह-अस्तित्व और सृष्टि की देखभाल के लिए एक शक्तिशाली प्रतीक बने हुए हैं।
प्रश्न: फिलीपींस के चर्च से आने वाले पादरी और मिशनरी डिकास्टरी के कार्डिनल के रूप में, पोप अगले कुछ दिनों में जिन देशों और चर्चों का दौरा करेंगे, उनके साथ आपके क्या अनुभव और बैठकें हुई हैं?
कार्डिनल टागले : पापुआ न्यू गिनी में, मैंने कार्डिनल इवान डायस, जो उस समय सुसमाचार प्रचार हेतु गठित विभाग प्रीफ़ेक्ट थे, के अनुरोध पर सेमिनारियों का प्रेरितिक दौरा किया।
दो महीनों में, मैंने दो यात्राएँ कीं, पापुआ न्यू गिनी और सोलोमन द्वीप के सेमिनारियों का दौरा किया। मैंने इंडोनेशिया और सिंगापुर का भी दौरा किया है, लेकिन मैं कभी तिमोर-लेस्ते नहीं गया, हालाँकि मैं उस देश के कई धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और आम लोगों से मिला हूँ।
मेरे लिए, एशिया "एक ऐसी दुनिया है जिसमें अलग-अलग दुनियाएँ हैं" और एक एशियन के रूप में, मैं देखता हूँ कि एशिया की यात्राएँ किस तरह से मेरे मन और हृदय को मानवता और मानवीय अनुभव के विशाल क्षितिज के लिए खोलती हैं। ख्रीस्तीय धर्म भी एशिया में ऐसे तरीके से पनपता है जो मुझे आश्चर्यचकित करता है। मैं पवित्र आत्मा की बुद्धि और रचनात्मकता से बहुत कुछ सीखता हूँ। मैं हमेशा इस बात से हैरान होता हूँ कि किस तरह से सुसमाचार को विभिन्न मानवीय संदर्भों में व्यक्त और मूर्त रूप दिया जाता है।
मेरी आशा है कि संत पापा और उनके दल में शामिल हम सभी, साथ ही पत्रकार, इस नए अनुभव, पवित्र आत्मा की रचनात्मकता के अनुभव को प्राप्त कर सकें।
प्रश्न: संत पापा द्वारा अगली यात्रा पर जाने वाले समुदाय समग्र रूप से कलीसिया को क्या उपहार और सांत्वना दे पाएंगे?
कार्डिनल टागले : उन देशों में, ख्रीस्तीय समुदाय लगभग हर जगह अल्पसंख्यक हैं, एक "छोटा झुंड।" यूरोप जैसी जगहों पर, कीसिया को अभी भी सम्मान की एक निश्चित सांस्कृतिक, सामाजिक और यहाँ तक कि नागरिक "स्थिति" प्राप्त है।
फिर भी, कई पश्चिमी देशों में, हम कलीसिया के एक छोटे झुंड के रूप में इस अनुभव की ओर लौट रहे हैं। कई पूर्वी देशों की कलीसियाओं को देखना अच्छा हो सकता है कि जब कोई व्यक्ति किसी स्थिति में हो, दीनता की स्थिति में हो तो उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए।
येसु के शिष्यों के प्रथम प्रेरितों का अनुभव इन देशों में बार-बार दोहराया जाता है। नेपाल के एक पल्ली पुरोहित ने मुझे बताया कि उनके पल्ली का क्षेत्रफल इटली के एक तिहाई के बराबर है; इतने बड़े क्षेत्र में उनके केवल 5 पल्लीवासी फैले हुए हैं। यह 2024 है, लेकिन संदर्भ और अनुभव प्रेरितों के कार्य के समान प्रतीत होते हैं और पूर्व में रहने वाली छोटी कलीसियायें हमें सिखा सकती हैं।
प्रश्न: संत पापा की यात्रा का पहला पड़ाव इंडोनेशिया है, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है।
कार्डिनल टागले: इंडोनेशिया एक राष्ट्र-द्वीपसमूह है और यहाँ सांस्कृति, भाषा, आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत विविधता है। यह दुनिया में सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश भी है।
इंडोनेशियाई काथलिक समुदाय को पवित्र आत्मा का सबसे बड़ा उपहार सह-अस्तित्व है जो विविधता को नकारता नहीं है। उम्मीद है कि संत पापा की यात्रा विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच भाईचारे को नई ऊर्जा देगी।
प्रश्न: पापुआ न्यू गिनी में दूसरे चरण के बारे में क्या कहते हैं ?
कार्डिनल टागले: पापुआ न्यू गिनी की कलीसिया एक नया कलीसिया है, लेकिन इसने पहले ही विश्वव्यापी कलीसिया को एक शहीद, पीटर टू रोट दिया है, जो एक धर्मप्रचारक भी थे।
पापुआ न्यू गिनी भी एक बहुसांस्कृतिक देश है, जिसमें कई जनजातियाँ हैं जो कभी-कभी एक-दूसरे के साथ संघर्ष में आ जाती हैं। लेकिन यह एक ऐसा देश है जहाँ विविधता एक संसाधन हो सकती है। अगर हम अपनी पूर्वधारणाओं को स्थगित कर दें, यहाँ तक कि आदिवासी संस्कृतियों में भी, हम ख्रीस्तीय आदर्शों के करीब मानवीय मूल्य पा सकते हैं।
पापुआ न्यू गिनी में, ऐसी जगहें हैं जहाँ प्रकृति अछूती है। दो साल पहले, मैं एक नए गिरजाघर के अभिषेक के लिए वहाँ गया था। मैंने धर्माध्यक्ष से पानी माँगा और उन्होंने मुझसे कहा: "हम नदी का पानी पी सकते हैं, यह पीने योग्य है।"
अपने आदिवासी ज्ञान के कारण, वे प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने में कामयाब रहे हैं और सीधे नदी से पानी पी सकते हैं। ऐसा कुछ जो तथाकथित विकसित देशों में, अब नहीं है।
प्रश्न: और तीसरा चरण, तिमोर-लेस्ते में?
कार्डिनल टागले: यह महत्वपूर्ण है कि संत पापा इंडोनेशिया और उसके बाद तिमोर-लेस्ते पहुँचेंगे। इन दोनों देशों का संघर्ष का इतिहास रहा है और अब वे शांति में हैं। यह एक नाजुक शांति है, लेकिन दोनों देशों को धन्यवाद, यह स्थायी प्रतीत होती है।
स्थानीय कलीसिया और सरकार के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं। स्थानीय सरकार कीसिया से संबंधित शैक्षिक सेवाओं का भी समर्थन करती है। मुझे ऐसा लगता है कि कलीसिया ही स्वतंत्रता के लिए युद्ध के दौरान आबादी के लिए प्रकाशस्तंभों में से एक था। तिमोर-लेस्ते के लोग घोषणा करते हैं कि मसीह में उनके विश्वास ने उन्हें स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के वर्षों के दौरान सहारा दिया।
प्रश्न: अंत में, चौथा देश, सिंगापुर?
कार्डिनल टागले: यह दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है और ऐसे लोगों को देखना अद्भुत है जो कुछ ही वर्षों में पेशेवरता और तकनीकी उन्नति के ऐसे स्तर पर पहुँच गए हैं, और वह भी अनुशासन की भावना और सीमित संसाधनों के साथ।
सिंगापुर में सरकार सभी समुदायों के उपासकों को स्वतंत्रता की गारंटी देती है और उन्हें हमलों और अपमानजनक कृत्यों से बचाती है। धर्म के खिलाफ़ अपराधों को कड़ी सज़ा दी जाती है। लोग और पर्यटक भी सुरक्षित रहते हैं, लेकिन संतुलन की ज़रूरत है। इतिहास हमें सावधान रहना सिखाता है कि कानून प्रवर्तन उन मूल्यों का खंडन न करे जिनकी रक्षा करने के लिए कानून बनाए गए हैं।
प्रश्न: वह रहस्यमय बंधन क्या है जो हमेशा शहादत को मिशन से जोड़ता है?
कार्डिनल टागले: दो साल पहले, धार्मिक स्वतंत्रता पर एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था। एक तथ्य स्पष्ट था: उन देशों में जहाँ सतावट और उत्पीड़न मौजूद थे, बपतिस्मा की संख्या बढ़ रही थी।
जहाँ शहादत की वास्तविक संभावना है, वहाँ विश्वास फैलती है। यहाँ तक कि जो लोग विश्वासी नहीं हैं वे भी खुद से पूछते हैं: 'यह सारी ताकत - जो उन्हें अपना जीवन अर्पित करने के लिए प्रेरित करती है - कहाँ से आती है?' यह सुसमाचार की गतिविधि हैऔर सुसमाचार प्रचार के लिए गठित विभाग का उद्देश्य स्थानीय कलीसियाओं की मदद करना है, न कि उनसे अलग मानसिकता या संस्कृति थोपना।
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